हाल के कुछ वर्षों में कांवड़ यात्रा को ‘कोहराम’ यात्रा कहें तो कोई गलत बात नहीं होगी. दिल्ली में इन दिनों चारों तरफ कावंड़ियों का हुड़दंग नजर आ रहा है. सावन शुरू होते ही सड़कों पर चारों तरफ तेज म्यूजिक, हॉर्न की आवाज और रेंग-रेंग कर गाड़ियों का चलना आम बात है. ऐसा लगता है मानों सड़क पर चारों तरफ कोहराम मचा हुआ है.
दिल्ली-एनसीआर ही नहीं उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में भी सावन के महीने में यातायात व्यवस्था पूरी तरह से खराब हो जाती है. वर्दी में तैनात ट्रैफिक पुलिस इन हालात को संभालने और सुधारने की कोशिश तो करती है, लेकिन उनकी सारी रणनीति कांवड़ियों के हुड़दंग के आगे धरी की धरी रह जाती है .
अगर बात करें दिल्ली-एनसीआर की तो कांवड़ यात्रा को देखते हुए कई जगहों पर ट्रैफिक को डायवर्ड कर दिया गया है, जिसकी वजह से आम आदमी बुरी तरह से परेशान है. यहां के लोग कांवड़ यात्रा शुरू होते ही ट्रैफिक में घंटों खड़े रहना अपनी नियति मान चुके हैं. एक अगस्त से ही गाजियाबाद, मेरठ, नोएडा और दिल्ली में ट्रैफिक डायवर्जन शुरू हो गया है. इस ट्रैफिक डायवर्जन से आम लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. ट्रैफिक यह डायवर्जन 10 अगस्त तक रहेगा.
गाजियाबाद, मेरठ, नोएडा और पूर्वी दिल्ली में रहने वाले लोगों को ट्रैफिक के कारण घरों में पहुंचने में तीन से चार घंटे लग रहे हैं. कांवड़ यात्रा को लेकर इन जगहों पर ट्रैफिक का संचालन एक ही लेन से किया जा रहा है. शिवभक्तों के लिए एक लेन रिजर्व रखी जा रही है.
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कांवड़ यात्रा में सुरक्षा और ट्रैफिक व्यवस्था को लेकर जहां पुलिस अधिकारी रोड पर दौड़ते दिखते हैं वहीं आम आदमी की परेशानियों को समझने वाला कोई नजर नहीं आता. दिल्ली-एनसीआर की ज्यादातर सड़कों खासकर NH-24 का तो सबसे बुरा हाल देखने को मिल रहा है. NH-24 रोड के दोनों तरफ कई कंपनियां हैं. ऐसे में ऑफिस और दूसरे स्थान पहुंचने के लिए लोगों को घरों से काफी पहले निकलना पड़ रहा है. नोएडा और गुरुग्राम जाने वाले आम लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
कांवड़ियां सड़क पर बिना नियम का पालन किए पूरे अधिकार के साथ चलते हैं
इंदिरापुरम के शक्ति खंड 1 में रहने वाले वरिष्ठ पत्रकार कुंदन कुमार ने फ़र्स्टपोस्ट हिंदी से बातचीत में कहते हैं, ‘सावन का महीना आते ही ऑफिस जाने के लिए सोचना पड़ता है. तय समय में घर से दो से तीन घंटे पहले निकलना पड़ता है. ऑफिस से घर लौटते समय मान लेते हैं कि रात 12 बजे से पहले नहीं पहुंच पाएंगे. इधर-उधर या शॉर्टकट करने से अच्छा होता है कि मेन रोड से ही सफर करें. मन में यह विश्वास रहता है कि धीरे-धीरे ही सही घर तो पहुंच जाएंगे. गाड़ी में पेट्रोल की पर्याप्त मात्रा का भी ध्यान रखना पड़ता है क्योंकि रास्ते में पेट्रोल खत्म हो जाने के बाद और मुसीबत झेलनी पड़ सकती है.’
बता दें कि दिल्ली से मेरठ आने-जाने वालों को तो और दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. मुरादनगर, लोनी के रास्ते जाने वाले लोगों को तो बीते 4 अगस्त से ही परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. गाजियाबाद शहर में आने वाली सभी रोडवेज और प्राइवेट बसों के रुट को डायवर्ट कर दिया गया है.
सावन का महीना शुरू होने के साथ ही शिव भक्तों की कांवड़ यात्रा भी शुरू हो जाती है. कुछ लोग पैदल, तो कुछ साइकिल, जीप और मिनी ट्रक से अपनी यात्रा पूरी करते हैं. ऐसे में हर साल निकलने वाली इस यात्रा के दौरान आम लोगों को ट्रैफिक जाम की दिक्कतों से जूझना पड़ता है.
कांवड़ यात्री नियमों को ताक पर रख देते हैं. कांवड़ यात्रियों के तेज म्यूजिक और उटपटांग हरकतों के कारण आम लोग सहमे रहते हैं. सावन के महीने में सड़कों पर सबसे ज्यादा गाडियां कांवड़ यात्रियों के ही होते हैं. कांवड़ियां सड़क पर बिना नियम का पालन किए पूरे अधिकार के साथ चलते हैं.
दिल्ली ट्रैफिक पुलिस के पूर्व जॉइंट कमिश्नर एसबीएस त्यागी ने फर्स्टपोस्ट हिंदी से बातचीत में कहा, ‘सावन के महीने में कांवड़ियों को लेकर ट्रैफिक पुलिस पूरी तरह अलर्ट रहती है. कांवड़िए ट्रैफिक नियम का पालन करना तो छोड़ दीजिए खुद अपनी जान को भी जोखिम डाल देते हैं. हमलोगों को इस स्थिति को संभालने में बहुत ही मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. रोड पार करने वाले आमलोगों को हमलोग सुरक्षित रहने की हिदायत देते हैं. खासकर फुट ओवरब्रिज और जेब्रा क्रॉसिंग इस्तेमाल करने वाले लोगों को सतर्क और सावधान रहने को कहते हैं, क्योंकि ये कांवड़िया इस बात का भी ध्यान नहीं रखते. पूरी सड़क को घेर कर चलते हैं. कांवड़िए अपने साथ म्यूजिक सिस्टम से भरा ट्रक लेकर चलते हैं इससे आमलोगों को और दिक्कतें पैदा होती हैं.’
इन बातों को ध्यान में रखते हुए ही ट्रैफिक पुलिस कांवड़ियों के रूटों की एक एडवाइजरी जारी करती है. जिसमें पैदल या गाड़ी से जाने वाले कावड़ियों के लिए बेहतर और सुलभ रूटों का चयन किया जाता है. इसके साथ ही रूट डायवर्जन व्यवस्था का पूरा खाका तैयार किया जाता है.
अब कांवड़ यात्रा में अगर म्यूजिक नहीं बजे, नारा न लगे तो कांवड़ यात्रा नहीं मानी जाती है
कुछ दिन पहले ही गाजियाबाद पुलिस ने कांवड़ यात्रा के लिए हिंडन नहर और ओखला पक्षी विहार का रूट तय किया था. इस स्थिति में लोग इस रूट पर चलने से बचते हैं और एक्सप्रेसवे का रास्ता लेते हैं. लेकिन, इन रुटों पर भी ट्रैफिक का भारी दबाव बन जाने से जाम की स्थिति बन जाती है.
कांवड़ियों के जत्थे को देखते हुए एक अगस्त से ही मेरठ रोड की एक लेन बंद कर दिया गया है. श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ने पर दोनों लेन भी बंद होते रहते हैं. इस स्थिति में लोगों को और परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
अक्षरधाम और नोएडा मोड़ के रास्ते आने वाले भारी वाहनों को मयूर विहार, नोएडा फिल्म सिटी से होकर एक्सप्रेसवे का रास्ता पकड़ना पड़ता है. यहां से भारी वाहन ग्रेटर नोएडा, कासना श्यामनगर मंड़ी, सिकंदराबाद होकर बुलंदशहर और मुरादाबाद की तरफ जाते हैं.
ओखला बैराज और डीएनडी फ्लाईओवर के रास्ते दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान से आने वाले भारी वाहनों को महामाया फ्लाईओवर से एक्सप्रेसवे की तरफ डायवर्ट कर दिया गया है. यहां से ग्रेटर नोएडा, कासना, श्यामनगर मंड़ी, सिकंदराबाद होते हुए भारी वाहन बुलंदशहर और मुरादाबाद की तरफ जा रहे हैं.
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ट्रैफिक पुलिस कावंड़ियों के आने जाने वाले रास्तों पर लकड़ियों, रेत से भरे ट्रैक्टर-ट्रॉली का आना-जाना पूरी तरह से बंद कर देती है.
कांवड़ियों को लेकर तरह-तरह की बातें होती रहती हैं. खासकर पिछले कुछ सालों में कावड़ यात्रा काफी बदल गई है. पहले कांवड़ यात्रा के दौरान शोर-शराबा सुनाई नहीं देता था. लेकिन, अब कांवड़ यात्रा में अगर म्यूजिक नहीं बजे, नारा न लगे तो कांवड़ यात्रा नहीं मानी जाती है.
कुलमिलाकर कह सकते हैं पिछले कुछ सालों से सावन में कांवड़ यात्रा के दौरान हुड़दंग का भी खूब तड़का लग रहा है. कहीं न कहीं खाकी और खादी का भी इस तड़के में खूब सहयोग मिल रहा है. जगह-जगह पर कांवड़ शिविर लगाकर स्थानीय नेता जहां अपनी राजनीति चमकाते हैं वहीं पुलिस महकमा इनका खूब साथ देती है. लेकिन, सड़क पर चलने वाले आम लोगों को इस हुड़दंग से होने वाली परेशानी से काफी पेरशानियों का सामना करना पड़ता है, जिसकी चिंता किसी को भी नहीं है.