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तीन तलाक: जानिए किसने किया सबसे पहले इसका खात्मा, क्या कहती है कुरान

बहुत से मुस्लिम बहुल देशों में सीधे या अप्रत्यक्ष तौर पर तीन तलाक की प्रथा को खत्म किया जा चुका है.

FP Staff

तीन तलाक के मुद्दे को लेकर काफी सालों से बहस होती आ रही है. हाल ही में बीजेपी ने यूपी चुनाव प्रचार के दौरान वादा किया था कि अगर वो प्रदेश में सत्ता में आती है तो तीन तलाक खत्म कर देगी. प्रदेश में बीजेपी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की और अपने वादे को पूरा करने के लिए कदम उठाने भी शुरु कर दिए हैं.

देश भर में ज्यादातर लोगों का कहना है कि तीन तलाक अच्छी चीज नहीं है. लेकिन इसके बावजूद अभी तक इस मुद्दे का निपटारा करने के लिए कोई बीच का रास्ता नहीं निकल पाया है.


क्या कहती है कुरान

न्यूज 18 पर छपी खबर के मुताबिक, कुरान की माने जाए तो, जब पति-पत्नी के अलग होने की नौबत आन पड़े तो, अल्लाह ने कुरान में उनके करीबी रिश्तेदारों या फिर उनका भला चाहने वालों को यह हिदायतें दी है कि वो आगे बढ़ कर मामले का निपटारा कराएं और उनके रिश्ते में सुधार लाने का काम करें.

अगर इससे भी बात नहीं बनती है तो शौहर और बीवी दोनों या दोनों में से जिस भी एक ने तलाक देने का फैसला किया है, तो ऐसे में शौहर को बीवी के मेन्सट्रूएशन आने और इसके खत्म हो जाने का इंतजार करना होता है और इसके खत्म हो जाने के बाद शारीरिक संबंध नहीं बनाना होता है. इसके बाद कम से कम दो जुम्मेदार लोगों को गवाह बना कर उनके सामने बीवी को एक तलाक दे, यानी शौहर बीवी से सिर्फ इतना कहे कि 'मैं तुम्हे तलाक देता हूं'.

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इसके बाद बीवी को तीन महीनों (अगर वो प्रेगनेंट है तो बच्चा होने तक) तक अपने ससुराल में रहने की इजाजत दी जाती है और इस दौरान उसके शौहर को ही उसका सारा खर्चा उठाना होता है. ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि शौहर और उसकी पत्नी को तलाक के फैसले के बारे में सोचने के लिए अधिक वक्त मिले और वो तलाक का अपना फैसला वापस ले लें. अगर पती-पत्नी में सुलाह हो जाए तो वो फिर से शौहर और बीवी के रूप में रह सकते हैं. लेकिन इसके लिए उन्हें उन गवाहों के सामने ये बात कहनी होती है कि हमने अपना फैसला बदल लिया है जिनके सामने उन्होंने तलाक देने की बात कही थी. ऐसा जिंदगी में सिर्फ दो बार ही किया जा सकता है.

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सबसे पहले किस देश ने खत्म किया तीन तलाक

तीन तलाक खत्म करने का ऐतिहासिक घोषणा करने वाला सबसे पहला देश मिस्र है.जिसने 1929 में कानून-25 के जरिए घोषणा की गई थी कि तलाक को तीन बार कहने पर भी उसे एक ही माना जाएगा और इसे वापस लिया जा सकता है. मिस्र ने 1929 में इस विचार को कानूनी मान्यता दी थी. लेकिन इस कानून में एक बात जो गौर करने वाली है वो ये हैं कि लगातार तीन तूहरा (जब बीवी का मासिक चक्र न चल रहा हो) के दौरान तलाक कहने से तलाक अंतिम माना जाएगा.

बहुत से मुस्लिम बहुल देशों में सीधे या अप्रत्यक्ष तौर पर तीन तलाक की प्रथा को खत्म किया जा चुका है. इन देशों में पाकिस्तान, बांग्लादेश, ईरान, तुर्की, ट्यूनीशिया, अल्जीरिया और मलेशिया जैसे देश शामिल हैं. इससे एक चीज साफ हो जाती है कि ये प्रथा अब सिर्फ भारत और दुनियाभर के सिर्फ सुन्नी मुसलमानों में बची हुई है.

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भारत में भी किए जा रहे हैं प्रयास

ऐसा नहीं है कि भारत में लंबे समय से चली आ रही तीन तलाक की प्रथा खत्म करने के लिए कुछ नहीं किया जा रहा. यहां की अदालतों में भी इस प्रथा को खत्म करने के लिए फैसले सुनाए हैं.

साल 2008 में  दिल्ली हाईकोर्ट के जज बदर दुरेज अहमद ने कहा था कि भारत में तीन तलाक को एक तलाक (जो वापस लिया जा सकता है) समझा जाना चाहिए. इसी तरह से गुवाहाटी हाईकोर्ट ने जियाउद्दीन बनाम अनवरा बेगम मामले में कहा था कि तलाक के लिए पर्याप्त आधार होने चाहिए और सुलह की कोशिशों के बाद ही तलाक होना चाहिए.

2016 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी तीन तलाक पर बड़ा फैसला सुनाया था और इसे मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ क्रूरता बताया था. वहीं मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस फैसले के खिलाफ नाराजगी जताते हुए इसे शरियत के खिलाफ बताया था. भारत में बड़ी संख्या में मुस्लिम महिलाएं तीन तलाक को खत्म करने के पक्ष में हैं.

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क्या है लेटेस्ट अपडेट

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तीन तलाक के मामले में सुप्रीम कोर्ट में अपनी सरकार का पक्ष रखने के मकसद से मुस्लिम महिलाओं की राय जानने के लिये कार्ययोजना तैयार करने का निर्देश दिया है.

राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री ने मंगलवार रात पिछड़ा वर्ग कल्याण, अल्पसंख्यक कल्याण और वक्फ व महिला एवं बाल विकास विभागों के प्रस्तुतीकरण के दौरान कहा कि प्रदेश सरकार अदालत में लंबित तीन तलाक के मामले में मुस्लिम महिलाओं की राय के आधार पर अपना पक्ष रखेगी.

इसके अलावा हाल ही में ऑल इंडिया मुस्लिम लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) के वाइस-प्रेसीडेंट डॉक्टर सईद सादिक ने कहा था कि वो 18 महीनों में तीन तलाक खत्म कर देंगे. साथ ही उन्होंने ये भी कहा है कि तीन तलाक को लेकर सरकार के हस्तक्षेप की कोई जरूरत नहीं है. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि तीन तलाक, निकाह हलाला और बहुविवाह की परंपराएं मुसलमानों के लिए अहम हैं.

इन मसलों से उनकी भावनाएं जुड़ी हैं. कोर्ट ने फैसला किया था कि वो 11 मई से इन परंपराओं को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगा.