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कश्मीर पर पाकिस्तान की साजिशों का नतीजा खतरनाक हो सकता है!

कश्मीर पर भारत-पाक के तीखे होते तेवर खतरनाक इशारा कर रहे हैं

s. pandey

कश्मीर हल का खाका तैयार है... देश की अंखडता से सौदा नहीं होगा. राजनाथ सिंह का यह बयान आशंकाओं से भरा है. क्या करना चाहता है भारत? अपने हिस्से के कश्मीर को तो पाकिस्तान को सौंपने से रहा. उधर, पाकिस्तान भी किसी भी कीमत पर अपना हिस्सा गंवाने को तैयार नहीं दिखता.

क्या कश्मीर पर 5वें युद्ध की तैयारी है? घटनाएं तो इसी तरफ संकेत करती हैं.


आर्मी का मनोबल बढ़ाने के लिए आश्चर्यजनक रूप से जीप पर कश्मीरी युवक को बांध कर घूमाने वाले मेजर गोगोई को आर्मी गैलेंटरी अवार्ड से नवाजा जाना.

एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ का 12 हजार वायुसेना अफसरों को युद्ध के लिए तैयार रहने के लिए पत्र लिखना.

आर्मी चीफ बिपिन रावत का कहना है कि सेना के जवानों को पत्थरबाजों के हाथों मरने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता है. हम किसी भी युद्ध के लिए तैयार हैं. नौशेरा सेक्टर में पाकिस्तानी बंकरों को उड़ाने का वीडियो रिलीज करना युद्ध की आशंकाओं को गहरा करता है.

अगर यह रस्मी और एकतरफा बयान होते तो शायद इन्हें नकारा जा सकता था. पर अगर ध्यान दें तो पाकिस्तान में भी हालात और हरकतें काफी तेज हैं. पाकिस्तानी वायुसेना प्रमुख सोहेल अमान ने 'हम भी तैयार हैं कि तर्ज पर' स्कार्दू हवाई बेस से सियाचिन तक उड़ान भरी.

पाकिस्तान की और से भी भारतीय बंकरों को उड़ाने वाला वीडियो जारी किया गया जिसे भारत ने नकार दिया और सबसे खतरनाक बात पाकिस्तान ने अपनी अग्रिम चौकियों को पूरी तरह ऑपरेशनल कर दिया है वो भी शॉर्ट नोटिस पर. अग्रिम चौकियों को सिर्फ हमले की आंशका के मद्देनजर ही ऑपरेशनल किया जाता है.

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बॉर्डर या लाइन ऑफ कंट्रोल पर ही नहीं कश्मीर के भीतर भी हालात काफी बिगड़े हुए हैं. बुरहान वानी के एनकाउंटर में मारे जाने के बाद घाटी जल उठी थी. आज भी घाटी बुरहान के नाम पर सुलग उठती है. उस पर बुरहान वानी के उत्तराधिकारी हिजबुल कमांडर सब्जार अहमद को भी सेना ने ढेर कर दिया.

कश्मीर घाटी का दौरा करते हुए रक्षामंत्री अरुण जेटली (फोटो: पीटीआई)

खराब हालात

कश्मीर में हालात ठीक होते दिखाई नहीं देते. छात्र-छात्राएं किताबों की बजाए पत्थर मारना सीख रहे हैं. अमित शाह ने बातचीत के लिए पत्थर छोड़ने की शर्त तय कर दी है. उस पर भी सरकार अलगाववादियों से किसी भी तरह की बात करना नहीं चाहती. कुल मिला कर घाटी के भीतर बातचीत से मामला सुलझता नहीं दिखता.

जब बातचीत की संभावना नगण्य है तो फिर किस खाके की बात कर रहे हैं राजनाथ सिंह. क्यों बाहें चढ़ा रहे हैं बिपिन रावत? क्यों धनुआ को चिट्ठी लिखने की नौबात आन पड़ी. हो क्या रहा है कश्मीर में. इसकी एक झलक अमेरिका की नेशनल इंटेलिजेंस के डायरेक्टर डेनियल.आर कोट्स की एक रिपोर्ट में मिल जाती है.

डेनियल की रिपोर्ट को में कहा गया है कि पाकिस्तान में पले बढ़े आतंकवादी ग्रुप भारत में आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देते हैं और पाकिस्तान इन्हें रोकने में पूरी तरह नाकाम रहा है. भारत ने भी इस तरह की घटनाओं पर सख्त रुख अपनाया हुआ है. रिपोर्ट पेश करते हुए कहा गया कि भारत कुछ कदम उठा सकता है.

कश्मीर पर भारत और पाकिस्तान युद्ध के मुहाने पर खड़े हैं

युद्ध का मुहाना

ये क्या कदम होंगे इस पर रिपोर्ट में चुप्पी है पर हालातों को देखते हुए यही लगता है कि हम पांचवे युद्ध के मुहाने पर खड़े हैं. आजादी के बाद से ही कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ 4 युद्धों में उलझ चुका है भारत. दोनों एटमी ताकतें एक बार फिर एक दूसरे को ललकार रही हैं.

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हालांकि, मोदी ने सत्ता संभालते ही पाकिस्तान की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया था पर बात नहीं बनी. पाकिस्तान में सरकार और सेना की खींचतान के बीच दोस्ती का हाथ थामने वाला कोई नहीं था. पठानकोट के हमले ने सारी बातचीत को पटरी से उतार दिया.

मामले को शांत करने आतंकवादियों पर लगाम लगाने और समझदारी की उम्मीद पाकिस्तान से कम ही है. अगर नवाज शरीफ चाहें भी तो सेना करने नहीं देगी. भारत में भी युद्ध के पैरोकारों की तादाद तेजी से बढ़ रही है.

हालात काफी संवेदनशील हैं. एक गलती हमें परमाणु युद्ध की तरफ धकेल सकती है. एक अनुमान के अनुसार भारत-पाक के बीच एक छोटे परमाणु युद्ध में 1 करोड़ से ज्यादा जानें जा सकती हैं.

इसमें कोई शक नहीं कि आम भारतीय कश्मीर का जल्द से जल्द हल चाहता है. पर इसे आम-जन का युद्ध उन्माद समझने की भूल नहीं की जानी चाहिए. पाकिस्तान को सबक सिखाना जरूरी है पर समझदारी से, 'सांप भी मर जाए और लाठी भी ना टूटे', के चश्मे से समस्या का हल ढूंढना चाहिए.

भारत से ही समझदारी की उम्मीद है. इसका यह कतई मतलब नहीं कि हम हाथ पर हाथ धरे मार खाते रहें पर जंग कश्मीर तो क्या किसी समस्या का हल नहीं है.