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मीडिया ने श्रीदेवी की मौत को थ्रिलर-मिस्ट्री में बदल दिया

पोस्टमॉर्टम से पहले ही अफवाहों को बाजार गर्म हुआ. पार्थिव शरीर वापस आने और अंतिम संस्कार के अलग-अलग समय बताए जाने लगे. यह बहुत ही दुखद है

Bikram Vohra

हालात ऐसे हैं, जिसने श्रीदेवी की मौत से वो सम्मान छीन लिया है, जिस सम्मान की हर मौत हकदार होती है. इसकी अपनी वजह है. सबसे बड़ा सवालिया निशान अथॉरिटी ने मौत की वजह पर लगाया है. इसकी जांच होगी कि किसने सबसे पहले बताया कि श्रीदेवी की मौत कार्डियक अरेस्ट यानी दिल की धड़कनें रुक जाने से हुई.

हड़बड़ी में आई इन बातों को मीडिया ने मान लिया और उसके बाद तरह-तरह की अटकलें चल निकलीं. इन अटकलों पर किसी की आधिकारिक मुहर नहीं थी. पोस्टमॉर्टम से पहले ही अफवाहों को बाजार गर्म हुआ. पार्थिव शरीर वापस आने और अंतिम संस्कार के अलग-अलग समय बताए जाने लगे. यह बहुत ही दुखद है. हम यह समझ पाने में नाकाम रहे हैं कि भारत में जिस तरह का वीआईपी सिंड्रोम काम करता है, वैसा दुबई में नहीं है. यहां पर हर कोई बराबर है. पुलिस अपने तरीके से काम करेगी. वे अपना काम जानते हैं. वे कोई गैर पेशवर नहीं हैं. उनका रिकॉर्ड जबरदस्त रहा है.


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दुबई पुलिस उन बातों पर भी ध्यान रखेगी, जिस तरह के बयान भारत में दिए जा रहे हैं. यहां की पुलिस किसी की परवाह नहीं करती. अगर भारत में किसी सीनियर राजनेता ने कहा कि श्रीदेवी कभी शराब नहीं पीती थीं, तो उनके खून से एल्कोहल के अंश कैसे मिले. अगर एक टीवी एंकर कहता है कि किसी खास आदमी ने कई फोन किए, तो पुलिस इसकी भी जांच करेगी. अगर किसी टीवी के न्यूज पैनल पर एक डॉक्टर आकर घोषणा करता है कि बाथटब में या डूबते हुए हार्ट अटैक नहीं हो सकता, तो पुलिस इसकी पुष्टि के लिए भी लोगों से बात करेगी. पुलिस इस वक्त श्रीदेवी के आखिरी समय के एक-एक लम्हे को फिर से देख रही होगी.

मीडिया में जो लोग हर मामले पर अपनी राय रखने के शौकीन हैं, वे इस मामले को जटिल बनाने में कोई कमी नहीं छोड़ रहे. क्या हम ये उम्मीद कर रहे हैं कि चूंकि वो मशहूर हस्ती थीं, इसलिए उनके शरीर को फटाफट प्लेन पर रखकर वापस भेज दिया जाएगा? शायद तमाम भारतीयों ने यही उम्मीद की होगी.

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दुबई की बेहद प्रोफेशनल पुलिस जल्द से जल्द इस पूरे मामले से निकलना चाहती होगी. वे परेशानी नहीं चाहते. लेकिन वे इस तरह काम नहीं करते. जब तक सभी बिंदुओं की जांच वो नहीं कर लेते, तब तक वो नहीं रुकेंगे. इसलिए बेहतर होगा कि हम अपना मुंह बंद रखें और उन्हें अपना काम करने दें. जरूरत से ज्यादा बयान और चर्चाएं इस मामले को और उलझाएंगी.

भारतीय राजदूत नवदीप सूरी और कौंसल जनरल विपुल कह रहे हैं कि कुछ दिन लग सकते हैं. आप पुलिस के साथ हड़बड़ी नहीं कर सकते. वे अपना काम तब तक नहीं खत्म करेंगे, जब तक पूरी तरह संतुष्ट न हो जाएं. इसमें कुछ सप्ताह भी लग सकते हैं.