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दिल्ली में स्मॉग: क्या वाकई हम प्रदूषण को लेकर फिक्रमंद हैं!

दिल्ली बदहाल है, नेता बयानबाजी में बिजी है और सरकारें एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करने में बिजी हैं

Ravishankar Singh

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के बढ़ते स्तर को लेकर हर तरफ कोहराम मचा है. केंद्र सरकार, राज्य सरकारें, एनजीटी से लेकर सुप्रीम कोर्ट, सभी प्रदूषण की समस्या को लेकर गंभीरता तो दिखा रहे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और बयां कर रही है.

पिछले एक सप्ताह से दिल्ली-एनसीआर के लोग जहरीली हवा में सांस ले रहे हैं. एक तरफ जहां एनजीटी और दिल्ली सरकार के बीच ऑड-ईवन को लेकर टकराव चरम पर है. वहीं प्रदूषण के मसले पर नेताओं की बयानबाजी का दौर भी अब जोर पकड़ने लगा है.


बयानबाजी का दौर शुरू

कोई भी प्रदूषण की जिम्मेदारी नहीं ले रहा है. सभी एक दूसरे पर दोष मढ़ने में जुटे हुए हैं. दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के रूप में विपक्ष को केंद्र सरकार के खिलाफ एक नया मुद्दा मिल गया है. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को एक शायराना ट्वीट के जरिए दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के लिए पीएम मोदी को जिम्मेदार ठहराया है.

उन्होंने लिखा, ‘सीने में जलन, आंखों में तूफान सा क्यों है. इस शहर में हर शख्स परेशान क्यों है? क्या बताएंगे साहेब, सब जानकार भी अंजान क्यों हैं?’ राहुल गांधी के इस ट्वीट के बाद बीजेपी ने उन्हें घेर लिया है. साथ ही उनकी राजनीतिक समझ पर चुटकी भी ली है.

देखा जाए तो प्रदूषण की तरह इस पर होने वाली राजनीति भी अपने चरम पर है. राहुल गांधी ने ट्वीट करके केंद्र सरकार को आईना दिखाने का प्रयास जरूर किया है लेकिन वे यह भूल गए हैं कि जब उनकी पार्टी सत्ता में थी तब भी हालात कमोबेश ऐसे ही थे.

क्या है सरकार का पक्ष?

केंद्र सरकार के पर्यावरण मंत्री डॉ हर्षवर्धन कहते हैं कि स्वच्छ हवा लेना सबका मौलिक अधिकार है. हमारी सरकार पिछले तीन साल से इस दिशा में बेहतर काम कर रही है. हर्षवर्धन अपनी बात कहते शायद यह भूल जाते हैं कि देश में सबसे ज्यादा कचरा विदेशी डंपिग के कारण होती है. फॉरेन ट्रेड की वजह से ही सबसे ज्यादा प्रदूषण देश में फैलता है. इसकी रोकथाम के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 14 अक्टूबर 2003 को एक लैंडमार्क जजमेंट दिया था. लेकिन इस फैसले को किसी भी सरकार ने आज तक लागू नहीं किया है.

यह भी पढ़ें: प्रदूषण को लेकर सरकार की नीयत और नीति पर क्यों उठ रहे हैं सवाल?

सुप्रीम कोर्ट एक बार फिर से सक्रिय हो गई है. सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण पर अंकुश लगाने को लेकर केंद्र सरकार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब सरकारों को इस संबंध में नोटिस जारी किया है. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए. एम. खानविकलकर और जस्टिस धनंजय वाई. चंद्रचूड़ की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने कहा है कि देश में किसी भी दूसरी अदालत में प्रदूषण को लेकर चल रही कार्यवाही पर रोक नहीं लगेगी.

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और सबंधित राज्य सरकारों को जिस याचिका पर नोटिस जारी किया है. उसमें प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए सौर ऊर्जा और इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने का निर्देश दिए जाने की अपील की गई है.

याचिका में केंद्र और संबंधित राज्य सरकारों को यह निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है कि सड़क पर धूल के कण और पराली जलाने पर अंकुश के लिए उपाय किए जाएं. याचिका में ऑड-ईवन कार योजना भी कारगर तरीके से लागू करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है.

सुप्रीम कोर्ट की पहल

सुप्रीम कोर्ट ने खासकर हरियाणा-पंजाब और उत्तर प्रदेश के राज्य सरकारों से प्रदूषण कम करने को लेकर सुझाव मांगे हैं. एनजीटी और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की चेतावानी के बावजूद पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटना में कोई कमी नहीं आई है. पराली जलाने को लेकर भी रोज राजनीतिक बयानबाजी हो रहे हैं.

गौरतलब है कि दिल्ली-एनसीआर के कई स्कूलों को प्रदूषण के खतरनाक स्तर के बाद कुछ दिनों के लिए बंद कर दिया गया था. सोमवार को ही दिल्ली-एनसीआर के स्कूल दोबारा से खुले हैं. दिल्ली सरकार ने सोमवार को एनजीटी में ऑड-ईवन को लेकर एक पुनर्विचार याचिका दायर की है. इस पर मंगलवार को सुनवाई होगी.

एनजीटी ने लगाई फटकार

एनजीटी ने सोमवार को एक बार फिर से दिल्ली सरकार को फटकार लगाई. एनजीटी ने कहा, क्या केजरीवाल सरकार सिर्फ मीडिया में बयानबाजी करने के लिए है. केजरीवाल सरकार ने अगर रिव्यू पिटीशन डालने की जानकारी मीडिया को दी तो अब तक पिटीशन फाइल क्यों नहीं किया.

एनजीटी की सख्त टिप्पणी के बाद दिल्ली सरकार ने रिव्यू पिटिशन तो डाल दी है. दिल्ली सरकार ने पिटीशन में महिलाओं और दो पहिया वाहनों को भी छूट देने की अपनी बात को एक बार फिर से दोहराया है.

गौरतलब है कि शनिवार को हुए सुनवाई में एनजीटी ने दोपहिया वाहनों और महिलाओं को ऑड-ईवन में किसी भी प्रकार की छूट देने से साफ मना कर दिया था. इसके बाद दिल्ली सरकार ने ऑड-ईवन लागू करने के अपने फरमान को वापस ले लिया था.

स्मॉग से बढ़ी परेशानी 

देश की राजधानी दिल्ली में पिछले कई दिनों से स्मॉग के कारण लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का इतना खतरनाक स्तर पर पहुंचने को लेकर पर्यावरण पर काम करने वाली एजेंसियों ने भी चिंता प्रकट किया है.

पर्यावरण पर काम करने वाली सरकारी और गैरसरकारी एजेंसियों का साफ कहना है कि दिल्ली-एनसीआर की हवा सांस लेने के लायक नहीं है. बीमार तो बीमार स्वस्थ्य लोगों के लिए भी यह हवा जानलेवा है.