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शशि थरूर: भारतीय राजनेता के स्टीरियोटाइप को तोड़ने वाला किरदार

एक ऐसे देश में जहां नेता ये मानकर चलते हैं कि वे राजा हैं, वहां थरूर जनता और देश के लोगों को अपने बराबर खड़े होने का न सिर्फ हक देते हैं बल्कि उनके लिए स्पेस भी तैयार करते हैं

Swati Arjun

हममें से कितने लोग इस बात के आदि हैं कि हमारा कोई नेता जिसकी पहचान राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर न सिर्फ एक अच्छे वक्ता, अकादमिक और देश का प्रतिनिधित्व करने वाले ब्राइट माइंड की है, वो सोशल और पारंपरिक मंच दोनों ही जगहों पर लीक से हटकर न सिर्फ बातें करें बल्कि नजरिया भी पेश करे. शायद बहुत कम...

शशि थरूर शायद इस मामले में एक अपवाद हैं. आसान और फिल्मी लहजे में कहें तो वे किसी ताजा हवा के झोंके के समान है. ध्यान रखें उनकी ये तारीफ सिर्फ उनकी बातचीत, अपने प्रशंसकों, समर्थकों और फॉलोअर्स के साथ होने वाले संवाद, उनके सरोकार, उनकी मॉडर्न सोच और उनकी जिंदादिली के कारण हो रही है. इस मसले पर बात करने की दरकार भी आज इसलिए हो रही है क्योंकि हम अक्सर अपने नेताओं को किसी भी सामान्य इंसान को आए-दिन उनसे अलग राय रखने पर उसे डांटते, डपटते, धमकाते, नीचा या हैसियत दिखाते हुए देखने के आदि हो गए हैं.


मसलन, दीपिका की बात अच्छी नहीं लगी तो उसकी नाक काट दो, लालू जी को किसी पत्रकार की बात अच्छी नहीं लगी तो उसे वहीं धमका दो, स्मृति ईरानी को किसी पत्रकार का उच्चारण पसंद नहीं आता है तो वे उसकी सरे-महफिल खिल्ली उड़ाने से भी नहीं रुकतीं, किसी राष्ट्रीय चैनल की एंकर को किसी पार्टी प्रवक्ता की बात अच्छी नहीं लगी तो उसे उसकी औकात दिखा देती हैं- फेसबुक या ट्विटर पर अनफ्रेंड कर दो, ब्लॉक कर दो, रिपोर्ट कर दो, बुली करो, ट्रायल करो...वगैरह..वगैरह.

ट्वीट में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं था

ऐसे में अगर शशि थरूर जब सिर्फ 24 घंटे पहले मिस वर्ल्ड बनी भारतीय युवती मानुषी छिल्लर से सार्वजनिक प्लेटफॉर्म पर माफी मांगते हैं तो नि:स्संदेह ही ये बड़ी बात है. हालांकि, अपनी जिस भूल के लिए शशि थरूर ने माफी मांगी वो शायद सिर्फ शब्दों का फेर था. उसकी शिकायत न खुद मानुषी ने की थी न किसी और ने, बल्कि सोशल मीडिया ने शशि थरूर के 'चिल्लर' वाली टिप्पणी को हरियाणा और बेटी विरोधी मान लिया था.

अंग्रेजी भाषा के तनिक भी ठीक-ठाक जानकारों से पूछा जाए तो वे भी अगर थरूर के प्रति कोई पूर्वाग्रह न पालते हो तो कहेंगे- कि उनके ट्वीट की भाषा में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं था. आपत्तिजनक अगर कुछ था तो उसमें सरकार के डिमोनेटाइजेशन के फैसले पर तंज करना था, जो एनडीए सरकार के समर्थकों को बुरा लगा. चूंकि- मानुषी हरियाणा से हैं तो थरूर की टिप्पणी को बेटी विरोधी भी मान लिया गया.'

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खैर, तमाम खेमे से विरोध के सुर उठने पर जिसमें टाइम्स मीडिया समूह के एमडी विनीत जैन और मानुषी के परिजनों की आपत्ति भी शामिल थी, शशि थरूर ने बिना देर किए और बिना किसी शर्म के उसी सार्वजनिक मंच पर मानुषी से माफी मांग ली. जिसका मानुषी ने भी उतनी गरिमा से जवाब दिया. इस दौरान थरूर ने लोगों से थोड़ा चिल होने की भी गुजारिश की. चिल होना यानि थोड़ा बेपरवाह होना. थोड़ा उदार होना.

एलजीबीटी समुदाय के हिमायती

इसी घटना के कुछ ही दिन पहले दिल्ली में एलजीबीटी समूह द्वारा आयोजित दिल्ली प्राइड परेड में, इस समुदाय के एक सदस्य सूर्या.एच.के ने हाथ में खुलेआम चार्ट-पेपर पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखकर थरूर से आग्रह किया था, 'आप मुझसे शादी कर लें.' यहां ये बताना जरूरी है कि संयुक्त राष्ट्र में अपने 21 साल के कार्यकाल के दौरान से ही थरूर एलजीबीटी समुदाय के हक में आवाज उठाते रहे हैं. वे लगातार ऐसे लोगों को समाज की मुख्यधारा में शामिल करने और उन्हें किसी भी आम इंसान की तरह नागरिक अधिकार के हिमायती रहे हैं.

अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने सूर्या की आग्रह वाली पोस्टर तस्वीर को अपने ट्विटर हैंडल से शेयर कर थरूर का ध्यान इस ओर आकर्षित किया ये कहते हुए कि- आपको चाहने वालों की कमी नहीं है, आप सूर्या के प्रस्ताव पर क्या कहेंगे..? इस पर थरूर ने हंसते हुए कहा- कि अगर सूर्या उनके विधानसभा क्षेत्र तिरुअनंतपुरम में रजिस्टर्ड होते तो ये उन दोनों के लिए अच्छा होता. इसके साथ देश-विदेश से थरूर के प्रशंसकों की प्रतिक्रिया आने लगी- जिसमें कोई उनसे शादी करना चाहता था तो कोई उन्हें प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहता था, कुछ ने कहा कि भारत को उनके जैसे पढ़े-लिखे और प्रोग्रेसिव पीएम की जरूरत है तो कुछ ने कहा कि- उन्हें उनपर गर्व है.

हर भारतीय नेता या पब्लिक पर्सनैलिटी की तरह थरूर के नाम भी कई विवाद जुड़े हैं, सबसे हालिया उनकी पत्नी सुनंदा पुष्कर की रहस्यमय मौत रही है. उससे पहले भी वे दो असफल शादी कर चुके हैं. उनका नाम पाकिस्तान की पत्रकार मेहर तरार के साथ भी जुड़ चुका है. ये सब उनके जीवन को हमेशा खबर या विवाद में बनाए रखने के लिए काफी है, लेकिन इस सब से थरूर की लोकप्रियता में कहीं कोई कमी आती नहीं दिखती. इतना ही नहीं उनकी पार्टी भी उनके साथ खड़ी नजर आती है.

फिर थरूर में ऐसा क्या खास है, जो उन्हें सभी भारतीय नेताओं से अलग बनाता है. इसका जवाब हम सब के पास है- वो जवाब है उनका पढ़ा-लिखा होना, उनका संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्था में 21 साल तक भारत की प्रतिनिधित्व करना, उनका एक अच्छा लेखक, उम्दा इतिहासकार और ईमानदार व्यक्ति होना.

सबसे अलग राजनेता

मसलन- आपने कब देखा है कि कोई नेता अपनी तीन-तीन शादियों को लेकर जरा भी विचलित नहीं है, अपनी पत्नी की मौत के मामले से जुड़े हर मुद्दे पर जवाब देता है, जो मानता है जवाबदेह होना न सिर्फ जरूरी है बल्कि सामान्य भी, जो खुलकर ट्रांसजेंडर कम्यूनिटी और उनके सेक्सुअल अधिकारों के बारे में बात करता है, जो ये कहता है कि दूसरी पत्नी के साथ संबंध विच्छेद इसलिए हुआ क्योंकि हम दोनों अपने काम को ज्यादा महत्व देते थे.

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थरूर सिर्फ यहीं नहीं- कई जगहों पर मिसाल कायम करते हैं- मसलन गाहे-बगाहे प्रधानमंत्री मोदी, सुषमा स्वराज और स्मृति ईरानी की तारीफ करके या फिर अपने फेसबुक पेज पर लोगों का एक सर्वे करके कि संसद सत्र में हो रही देरी से वे कितने खिन्न हैं.

एक ऐसे देश में जहां नेता ये मानकर चलते हैं कि वे राजा हैं और जनता रंक, जो सिर्फ सुनने, सुनाए जाने, आदेश देने, राज करने का काम करते हों, वहां थरूर जनता और देश के लोगों को अपने बराबर खड़े होने का न सिर्फ हक देते हैं बल्कि उनके लिए स्पेस भी तैयार करते हैं. वो अपनी शिक्षा, अपने कूटनीतिक अनुभव और अपनी पारदर्शिता को आम लोगों से जुड़ने का माध्यम बनाते हैं. शायद तभी ये हो पाता है कि, एक ट्रांसजेंडर बगैर डरे उनसे कह पाता है कि- आप मुझसे शादी कर लें…क्योंकि उसे पता है शादी का मतलब सम्मान और सुरक्षा देना होता है. ये हर किसी के बस की बात नहीं है.