view all

सीलिंग विवाद: तीन महीने में चौथी बार दिल्ली बंद से कोई रास्ता निकल पाएगा?

व्यापारियों ने फर्स्टपोस्ट हिंदी से बात करते हुए कहा कि दिल्ली में चल रही सीलिंग का सिर्फ एक ही समाधान है और वो समाधान केंद्र की बीजेपी सरकार के पास है...

Ravishankar Singh

बुधवार को सीलिंग को लेकर कारोबारियों के द्वारा दिल्ली के प्रमुख बाजार बंद रखे गए. पिछले तीन महीने में व्यापारियों ने चौथी बार दिल्ली बंद बुलाया. बुधवार के दिल्ली बंद में लगभग दो लाख व्यापारियों ने अपनी दुकानें बंद रखी. साथ ही व्यापारियों ने सीलिंग को लेकर दिल्ली के रामलीला मैदान में एक बड़ी रैली भी आयोजित की. व्यापारियों के मुताबिक बुधवार को दिल्ली बंद से लगभग 11 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है.

व्यापारियों के संगठन चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (सीटीआई) की ओर से दिल्ली बंद को सफल बताया गया है. वहीं कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने फर्स्टपोस्ट हिंदी से बातचीत में कहा, ‘हमलोग सीलिंग के मुद्दे पर लगातार बंद बुला रहे हैं. सीलिंग के कारण अब तक 4 हजार कारोबारियों के परिवार वाले रोड पर आ गए हैं. साथ ही कम से कम 20 परिवार सीलिंग के कारण प्रभावित हुए हैं. अगर इस तरह आप देखें तो कम से कम 40 लाख लोग सड़क पर आ गए हैं. यह किस तरह की सीलिंग कार्रवाई है? आज बंद के दौरान व्यापारियों के परिवारवालों ने भी बढ़-चढ़ कर भाग लिया. आगे भी हमलोग इस तरह का बंद करते रहेंगे.’


गौरतलब है कि दिल्ली में पिछले तीन महीने से सीलिंग को लेकर तूफान मचा हुआ है. दिल्ली के व्यापारी वर्ग में अफरा-तफरी का माहौल है. सीलिंग के मुद्दे को लेकर एक तरफ जहां सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त मॉनिटरिंग कमेटी एक के बाद एक इलाके में सीलिंग की कार्रवाई कर रही है वहीं इसको लेकर राजनीति भी चरम पर पहुंच गई है.

'केंद्र की बीजेपी सरकार रुकवा सकती है सीलिंग'

कुछ दिन पहले दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने सीलिंग मुद्दे पर भूख हड़ताल करने की बात कही थी. सीलिंग के मुद्दे पर अरविंद केजरीवाल ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को पत्र लिखकर मुलाकात का वक्त भी मांगा था.

पिछले महीने ही सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया था कि दिल्ली के व्यापारियों को अब सीलिंग से किसी भी तरह की कोई राहत नहीं मिलने वाली है. दिल्ली के मास्टर प्लान में प्रस्तावित संशोधनों पर सुप्रीम कोर्ट के रुख के बाद पूरी दिल्ली में सीलिंग की कार्रवाई तेज कर दी गई है.

सुप्रीम कोर्ट के नए रुख के बाद दिल्ली के तमाम बाजारों के साथ आवासीय क्षेत्रों में चलने वाली व्यावसायिक गतिविधियां भी अब सीलिंग के निशाने पर आ गई हैं. सुप्रीम कोर्ट ने डीडीए के मास्टर प्लान 2021 में संशोधन करने की मांग को खारिज करते हुए आगे किसी भी प्रकार के संशोधन करने पर रोक लगा दी थी.

बुधवार को कुछ व्यापारियों ने फर्स्टपोस्ट हिंदी से बात करते हुए कहा कि दिल्ली में चल रही सीलिंग का सिर्फ एक ही समाधान है और वो समाधान केंद्र की बीजेपी सरकार के पास है. उनका कहना है कि बीजेपी की सरकार अध्यादेश लाती है तो ही दिल्ली की सीलिंग रुक सकती है, लेकिन मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि बीजेपी ऐसा क्यों नहीं कर रही है.

यह भी पढ़ें: अविश्वास प्रस्ताव: विपक्ष के इस हंगामे की असली वजह कुछ और है

लाजपत नगर के एक कारोबरी अजय ढिंगरा ने फर्स्टपोस्ट हिंदी से बात करते हुए कहा, ‘दिल्ली में सीलिंग की शुरुआत हुए तीन महीने होने को हैं. इस दौरान न तो दिल्ली सरकार और न ही केंद्र सरकार को सीलिंग का कोई हल नजर आया है. केंद्र या राज्य सरकार सीलिंग के मुद्दे पर गंभीरता दिखाने से क्यों बचना चाह रही है? दोनों सरकारें जानबूझकर और एक सोची समझी रणनीति के तहत सीलिंग के मुद्दे को उलझा कर रखना चाहती हैं? दोनों सरकरों से हमलोग सीलिंग के मुद्दे का स्थाई समाधान चाह रहे हैं.’

दिल्ली के कारोबारी इन्हीं कुछ सवालों को लेकर बीते 3 महीने से अपने जनप्रतिनिधियों के चौखट पर जाकर हाजिरी दे रहे हैं, लेकिन वहां से उनको हर बार आश्वासन और निराशा के अलावा कुछ भी हाथ नहीं लग रहा है.

केंद्रीय मंत्री के बयान से भड़के दिल्ली के व्यापारी

दिल्ली में सीलिंग के लिए राजनीतिक दल एक-दूसरे पर दोष मढ़ने के अलावा कुछ और नहीं कर रहे हैं. इससे जहां दिल्ली के कारोबारी दहशत में जीने को मजबूर हैं वहीं नेता बयान देकर अपना पल्ला झाड़ने में मस्त हैं.

बुधवार को सीलिंग की मार झेल रहे व्यापारी यह जानना चाह रहे थे कि वो क्या करें जिससे दिल्ली में चल रहे सीलिंग की कार्रवाई खत्म हो जाए. सरकार या कोर्ट की तरफ से राहत नहीं मिलने के बाद अब कयास लगाया जा रहा है कि सीलिंग के खिलाफ व्यापारियों का आंदोलन और बड़ा स्वरूप ले सकता है.

कुछ दिन पहले ही केंद्रीय शहरी विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हरदीप सिंह पुरी ने सीलिंग को लेकर बड़ा बयान दिया था. उनके इस बयान के बाद दिल्ली में सीलिंग को लेकर एक बार फिर से राजनीति गर्मा गई थी.

हरदीप सिंह पुरी ने सीलिंग की कार्रवाई को दिल्ली के बेहतर भविष्य की पहल करार दिया है. पुरी ने साफ कहा कि जो लोग सीलिंग को एक गंभीर समस्या के तौर पर पेश कर रहे हैं, वो ओछी राजनीति कर रहे हैं. दिल्ली को रहने लायक शहर बनाने और पूर्व में राजनीतिक दलों के संरक्षण में हुई गलतियों को सुधारने के लिए ही सुप्रीम कोर्ट को सीलिंग जैसे कड़े कदम उठाने पड़े हैं.

यह भी पढ़ें: कर्नाटक विधानसभा चुनाव: 1.0 वर्जन से काफी दमदार हैं सिद्धारमैया 2.0

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 'सरकार को मास्टर प्लान में संशोधन और समीक्षा करने का पूरा अधिकार है. दिल्ली के मास्टर प्लान में पहले भी 248 बार संशोधन हो चुके हैं. जहां तक व्यापारियों को हो रही परेशानियों का सवाल है तो मंत्रालय ने मास्टर प्लान में संशोधन कर समस्या का समाधान निकालने की पहल की है.

केजरीवाल व्यापारियों के लिए बैठेंगे भूख हड़ताल पर

आपको बता दें कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सीलिंग की समस्या के समाधान के लिए बीते 13 मार्च को सर्वदलीय बैठक भी बुलाई थी. इसमें कांग्रेस नेता तो आए लेकिन बैठक से बीजेपी के नेता नदारद थे.

सीलिंग के मुद्दे पर अरविंद केजरीवाल और आप सरकार के मंत्री लगातार कहते आ रहे हैं कि सीलिंग के मुद्दे पर जो करेगी वह केंद्र सरकार और एलजी ही करेंगे.

अरविंद केजरीवाल का यह कहना कि 31 मार्च तक दिल्ली में अगर सीलिंग नहीं रुकती है तो वह भी व्यापारियों के साथ भूख हड़ताल पर बैठेंगे.

दिल्ली में चल रही सीलिंग पर सियासी ड्रामेबाजी के बाद यह कहा जा सकता है कि दिल्ली दरबार में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. व्यापारी परेशान हैं. कारोबारियों से हर रोज उनकी रोजी-रोटी छीनी जा रही है तो दूसरी तरफ काम करने वाले कर्मचारी भी बेरोजगार हो रहे हैं.

दिल्ली में पिछले तीन महीने में 4 हजार से अघिक दुकानों को सील किया जा चुका है. तीन महीने बीत जाने के बाद भी न ही केंद्र सरकार और न राज्य सरकार ने व्यापारियों की इस समस्या का हल खोजने में कामयाबी हासिल की है.