राजधानी तिरुअनंपुरम में अप्रैल के पहले हफ्ते में हुई कई हत्याओं की जांच के बाद केरल पुलिस ने आरोपी की बचाव की दलील को खारिज कर दिया है. आरोपी ने अपने बचाव में कहा था कि, 'मनुष्य की आत्मा को शरीर से
अलग करने' के मकसद से उसने इस घृणित अपराध को अंजाम दिया.
पुलिस ने ऐसे ही अजीबोगरीब प्रैक्टिस को बढ़ावा देने में जुटे गुप्त रूप से सक्रिय समूहों को भी कड़ी चेतावनी दी है.
जांचकर्ताओं ने 30 साल के आरोपी कैडेल जीनसन राजा के बयान को गंभीरता से लिया क्योंकि शुरुआती जांच के दौरान उसके हावभाव से शक पैदा हो रहा था. उसने अपने माता-पिता, बहन और चाची की एक ही कुल्हाड़ी
से हत्या करने की बात स्वीकार की थी.
हालांकि, राजा ने बाद में एक मनोवैज्ञानिक की मदद से अपना बयान बदल लिया. अपराध की जो नयी वजह उसने बतायी वह उसके पिता की अनैतिक गतिविधियों के कारण पैदा हुई नफरत थी.
जांच से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वे आरोपी के ताजा दावे को पूरी तरह सही नहीं मानते. उन्होंने फर्स्टपोस्ट से कहा कि सभी पहलुओं पर विचार के बाद ही अपराध के मकसद को लेकर वे किसी नतीजे तक पहुंचेंगे क्योंकि राजा एक मुश्किल अभियुक्त है.
अपनी पहचान छिपाते हुए अधिकारी ने कहा किआरोपी अभियुक्त ने पुलिस से बचने की कोई कोशिश नहीं की. हालांकि, वह अपराध को अंजाम देने के बाद चेन्नई गया. यह अच्छी तरह से जानते हुए भी कि पुलिस उसके पीछे लगी है फिर एक-दो दिन बाद वह शहर लौट आया.
जब हमने उसे गिरफ्तार किया तो उसने आसानी से अपराध स्वीकार कर लिया. साथ ही इस बात के लिए वो गर्व करता दिखा कि उसने अपने परिवार के
सदस्यों को 'आजाद' कर दिया है.
जादू-टोना की लत
पुलिस ने खुलासा किया है कि राजा को जादू-टोना जैसी चीजों की लत थी. कथित रूप से उसने जांचकर्ताओं को बताया कि परिवार से छिपा कर वह दशकों से इस विषय पर अनुसंधान करता रहा है.
उसने ज्यादातर खुद को एक कमरे में सीमित रखा और उसके पड़ोसियों में किसी को भी उसके बारे में ऐसी कोई भनक नहीं लगी. पुलिस मानती है कि अभियुक्त शैतान की पूजा-पाठ का हिस्सा बने ग्रह-नक्षत्र के दिखावे तक भी पहुंचा होगा जो राज्य में तेजी से पैर पसार रहा है.
राजा ने उसे गिरफ्तार करने वाले पुलिस अधिकारियों को यह भी बताया था कि
वह शैतान की पूजा में भी शामिल था. खुफिया अधिकारी दावा करते हैं कि शैतान के पुजारी राज्य में अपना जाल फैलाने की कोशिशों में जुटे हैं.
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उन्होंने जनता को उनके झांसे में नहीं आने के लिए चेताया है. पर्यटन में बूम आने के बाद से इस किस्म के संप्रदाय ने केरल में अपनी जड़ें फैलायी हैं.
एशिया में कैथोलिक न्यूज स्रोत यूका न्यूज की एक रिपोर्ट के मुताबिक शैतान पंथ ईसाईयत के मुख्य सिद्धांतों को नहीं मानता है. रिपोर्ट के अनुसार शैतान की पूजा करने वाले उन सभी चीजों को अपवित्र बताते हैं जिन्हें चर्च पवित्र बताता है.
शैतान पूजकों का मुख्य अनुष्ठान है ब्लैक मास. हालांकि, ब्लैक मास ईसाइयों के होली मास की तरह है जिसने हिन्दू और इस्लाम समेत दूसरे धर्मों में दैवीय बतायी जाने वाली चीजों को भी अपवित्र चीजों में बदल दिया है.
शैतान का आह्वान
कोच्चि में एक पुजारी के मुताबिक शैतानी रस्म रिवाजों में शामिल हैं धर्मगुरुओं का सेक्स व्यवहार, नरबलि और अन्य जीवों की बलि, मानवीय खोपड़ी में शराब पीना, बाइबिल का गायन और मूर्ति पूजा के प्रतीकों का उपयोग.
पुजारी बताते हैं कि अपमानित आत्मा शैतान का आह्वान करती है. ज्यादातर ये लोग चर्च से पवित्र चीजें चुराते हैं, उस पर मल-मूत्र त्यागते हुए उसे अपमानित करते हैं. हर महीने की तेरह तारीख को होने वाले 'ब्लैक मास' में जो अन्य चीजें
इस्तेमाल की जाती हैं उनमें मानवीय खोपड़ी और तिकोनी रोटी में जमा किया गया अशुद्ध खून और पेशाब होता है.
राज्य में कई कैथोलिक चर्चों से ऐसी पवित्र चीजों के गायब होने या उनके चोरी हो जाने की घटनाएं बढ़ी हैं जो बढ़ती शैतान पूजा का संकेत है. राज्य में कई चर्चों ने हाल ही में पवित्र चीजों की चोरी या चोरी के प्रयास की घटनाओं की
रिपोर्ट दर्ज करायी है.
ऐसी भी खबरें हैं कि ईसाई धर्मावलंबी शैतान पूजकों को पवित्र चीजें बेच रहे हैं. कोच्चि के कैथोलिक पादरी ने कहा कि, उनके यहां की एक लड़की पवित्र चीज बेचती हुई पायी गयी थी.
उसके माता पिता को उसकी करतूत तब पता चली जब उन्होंने उसके बैंक अकाउंट में जमा हुए कैश पर ध्यान दिया जिसके स्रोत के बारे में वह बता नहीं सकी. पादरी ने बताया कि महिला ने बाद में अपना अपराध स्वीकार किया और उसका प्रायश्चित भी किया.
पादरी ने फर्स्टपोस्ट को अपनी पहचान छिपाने की शर्त पर बताया कि शैतान पूजकों को पवित्र चीजों की बिक्री आकर्षित करती रही है क्योंकि एक चीज के बदले करीब एक लाख रुपये देने को वो तैयार रहते हैं.
पवित्र चीजों की लगातार बढ़ती चोरी और उसके गायब होने की घटनाओं ने चर्च के अधिकारियो को उसकी सुरक्षा के लिए सतर्क कर दिया है.
एर्नाकुलम जिले के वेरापोली में चेरनालूर के सेंट जेम्स चर्च के अधिकारियों ने हाथ में ब्रेड बांटना बंद करा दिया है क्योंकि यह पाया गया था कि ब्रेड को शैतान पूजकों के पास बेचा जा रहा है.
शैतान पूजन के मुख्य आकर्षणों में सेक्स और ड्रग हैं. चूकि ये दोनों शैतानी रस्मो रिवाज का हिस्सा है. कई लोग मानते हैं कि शैतान पंथ में शामिल होकर वे दोनों चीजें आसानी से पा लेंगे.
बच्चों का सेक्स उत्पीड़न
शैतान पूजकों के जरिए बच्चों का सेक्स उत्पीड़न भी किया जा रहा है. केरल पुलिस ने साल 2016 में 11 लोगों को गिरफ्तार किया था जो शैतान पंथ में शामिल थे और वर्षों से एक छात्र का यौन उत्पीड़न कर रहे थे.
शराब और ड्ग इस शैतानी रस्मोरिवाज का हिस्सा हैं इसलिए पुलिस इ्स मामले में ड्रग माफिया की भूमिका से इनकार नहीं कर रही है. ड्रग माफिया के सदस्य पंथ में शामिल होते हैं और तेजी से पैसे कमाते हैं.
शैतान पूजक अपना संदेश टैटू, टीशर्ट और उल्टा क्रॉस के जरिए फैलाते हैं. ये चिन्ह पूरे राज्य में उपलब्ध हैं. पत्रकार राजीव शिवशंकर जिन्होंने अपने उपन्यास के लिए इस विषय का अध्ययन किया है ने बताया कि राज्य की वाणिज्यिक राजधानी कोच्चि शैतान पंथ का मुख्य हब है.
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कोच्चि किले से इस पंथ की शुरूआत होती है जहां सबसे ज्यादा पर्यटकों का आकर्षण होता है. माना जाता है कि फ्रांस के पर्यटक साल 2000 में इसे यहां लेकर आए. पंथ में ज्यादातर ईसाई और हिन्दू हैं. उनमें से ज्यादातर नौजवान हैं.
राजीव ने बताया कि यह पंथ केरल में तेजी से अपने पंख फैला रहा है. उन्होंने कहा कि शैतान पूजकों ने 14 में से 7 जिलों में अपने चर्च स्थापित कर लिए हैं. ये सेवा ज्यादातर खाली पड़े घरों या अपार्टमेंट में दी जाती है.
उन्होंने बताया कि शैतान सेवा के आयोजक लोगों को समस्याएं सुलझाने और अमीरों को उनके दुश्मनों को खत्म करने की बातों से लुभाते रहे हैं. राजीव ने कहा कि ये मुख्य रूप से कारोबारी होते हैं जिन्हें उनके व्यवसाय में नुकसान हो
गया होता है और ब्लैक मास में हिस्सा ले रहे होते हैं. इसके लिए आयोजक उनसे 30 हजार रुपये प्रति व्यक्ति लेता है.
हिंदू पंथ भी शामिल
राज्य में एक हिन्दू पंथ भी ऐसा ही रस्म-रिवाज करता रहा है जिसमें सदियों से काला जादू उन लोगों के लिए किया जाता है जिन्हें अच्छे भविष्य की तलाश होती है और जो परेशानियों से छुटकारा चाहते हैं.
यह पंथ जिसका आधार त्रिशुर में पेरीन्गोट्टूकारा गांव है अपने देवता के रूप में विष्णु के काले अवतार की पूजा करता है जो भैंस पर सवार होता है.
जीवों की बलि दी जाने वाली यह पूजा हर हफ्ते शुक्रवार को होती है. पुजारी जो मंदिर के अंदर अनुष्ठान कराता है बाहर आकर लोगों से खुद मिलता है और देवता को खास जरूरतों के लिए खास दान देने को कहता है.
सभी तरह की आस्था वाले लोग गांवों में आते हैं जहां पूजा के लिए 10 वर्ग किमी के क्षेत्र में 17 बड़े और 60 छोटे मंदिर हैं. अनुष्ठान करने वालों को जो फायदा होता है उसका दस फीसदी हिस्सा मंदिर रख लेता है.
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टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें से कई मंदिरों ने इन अनुष्ठानों से अपार संपत्ति जमा की है. धार्मिक प्रैक्टिस से अलग उनमें से कई लोग कारोबार चला रहे हैं. ऐसे एक मंदिर में साल 2003 में आयकर विभाग
ने छापा मारा था और बेहिसाब 17 लाख रुपये जब्त किए थे.
पंथ के आयोजक लोगों को अखबारों और टेलीविजन चैनलों में विज्ञापनों के जरिए यह कहते हुए लुभाते हैं कि अनुष्ठान से आस्थावान लोग जीवन में समृद्ध होते हैं और उनके जीवन की बाधाएं दूर हो जाती हैं.
विज्ञापन उद्योग जगत को उद्धृत करते हुए टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में कहा गया है कि हरेक मंदिर हर साल लाखों रुपये विज्ञापनों पर खर्च करता है.
इन मंदिरों की ओर ईसाइयों के लगातार आने से केरल के कैथोलिक चर्च ने अपने अनुयायियों के लिए चेतावनी जारी की है कि वे ऐसी सेवा से दूर रहें.
काला जादू का प्रमोशन
अंधविश्वास फैलाने वालों और काला जादू को प्रमोट करने वालों को चेतावनी देने वाली पुलिस ऐसी गतिविधियों को रोकने में फिलहाल नाकाम है क्योंकि केरल में ऐसे मामलों से निपटने के लिए कोई कानून नहीं है.
हालांकि, कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) सरकार ने महाराष्ट्र अंधविश्वास और काला जादू निरोधक कानून 2013 की तर्ज पर एक कानून बनाने की कोशिश की थी.लेकिन ड्राफ्ट बिल अब तक विधानसभा में
जगह नहीं बना पाया है.
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने फ़र्स्टपोस्ट को बताया कि वर्तमान कानून में कोई व्यवस्था नहीं है कि शैतान सेवा को आगे बढ़ाने वालों पर कार्रवाई की जाए. रहस्यमय प्रैक्टिस से जुड़े लोगों के खिलाफ जब तक नुकसान पहुंचाने की
कोई शिकायत न मिले कानून किसी को कार्रवाई की इजाजत नहीं देता है.
ऊंची साक्षरता के बावजूद राज्य में जिस तरीके से अंधविश्वास और काला जादू की घटनाएं बढ़ रही हैं इसे देखते हुए अधिकारी उन पर अंकुश लगाने के लिए एक कानून की जरूरत बताते हैं.
उनका कहना है कि ऐसी गतिविधियों को बढ़ावा देने वाले असंभव को संभव बनाने का वादा करते हुए दरअसल लोगों का शोषण कर रहे हैं.