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दिल्ली-एनसीआर में दिवाली से पहले ही घुटन तो दिवाली के बाद क्या होगा?

दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के खराब हालात के बाद भी पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं पर रोक नहीं लगी है

Ravishankar Singh

दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के कारण हालात दिन-प्रतिदिन खराब होते जा रहे हैं. बृहस्पतिवार को भी दिन में ही धुंध की चादर सुबह से दोपहर तक गहरी दिखाई देने लगी.

रोजमर्रा के काम में या सुबह वॉक पर निकलने वाले लोग काफी परेशान नजर आ रहे थे. विजिबिलिटी काफी कम नजर आ रही थी.


गौरतलब है कि दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के खराब हालात के बाद भी पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं पर रोक नहीं लगी है.

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के अध्यक्ष स्वतंत्र कुमार का कहना है, ‘पराली जलाने की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश की सरकारों को दो साल पहले ही निर्देश दिए गए थे. इस दौरान दिल्ली और एनसीआर की राज्य सरकारों को एक प्लान भी तैयार करने को कहा गया था, लेकिन अभी तक राज्य सरकारों ने कोई प्लान तैयार कर नहीं दिया है.’

वहीं भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा के संयुक्त निदेशक (शोध) डॉ केवी प्रभु का कहना है, ‘पराली न जलाए जाए इसके लिए कई विकल्प सरकार के पास मौजूद है, लेकिन इसके लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति और प्रशासन की सख्ती भी जरूरी है. अगर इन किसानों को जागरूक किया जाए तो पराली जलाने से रोका जा सकता है. जो किसान समझाने पर भी नहीं मानते हैं उनके खिलाफ सख्त कदम उठाए जाने चाहिए.’

दिवाली से पहले दिल्ली की हवा हुई जहरीली

सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एण्ड वेदर फॉरकास्टिंग एण्ड रिसर्च (सफर) और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) प्रदूषण को लेकर लगातार आंकड़े जारी कर रहे हैं.

सफर के आंकड़ों पर गौर करें तो पर्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.5 और 10 की बढ़ती मात्रा से दिल्ली की हवा दिवाली से पहले ही बेहद खराब हो रही है. वहीं सफर ने आगे आने वाले दिनों के लिए भी चेतावनी जारी करते हुए दिल्ली की हवा खराब रहने की आशंका जताई है.

पिछले दो-तीन दिनों से दिल्ली में कई जगहों पर हवा की गुणवत्ता बेहद खराब हो चुकी है. यहां पर पीएम 2.5 की मात्रा 5 से 7 गुना तक अधिक हो गई है. पिछले साल दिवाली के बाद दिल्ली-एनसीआर दमघोंटू स्मॉग की चपेट में आ गया था.

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इस समय दिल्ली के कई क्षेत्र में हवा सामान्य से 5 गुना तक अधिक प्रदूषित हो गई है. खास तौर से पीएम 2.5 का बढ़ता स्तर इस समय चिंताजनक बना हुआ है. सफर के मुताबिक आज 12 बजे तक दिल्ली के कुछ जगहों पर प्रदूषण का स्तर इस प्रकार है.

पीतमपुरा में पीएम- 2.5 का स्तर 308 और पीएम- 10 का स्तर 181

दिल्ली यूनिवर्सिटी में पीएम- 2.5 का स्तर 335 और पीएम- 10 का स्तर 173

नोएडा में पीएम- 2.5 का स्तर 218 और पीएम- 10 का स्तर 132

लोधी रोड पीएम- 2.5 का स्तर 303 और पीएम- 10 का स्तर 231

मथुरा रोड पीएम- 2.5 का स्तर 309 और पीएम- 10 का स्तर 223

गुरुग्राम में पीएम- 2.5 का स्तर 297 और पीएम-10 का स्तर 157

इंदिरा गांधी अंतरर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट पर पीएम- 2.5 का स्तर 235 और पीएम- 10 का स्तर 125

यहां हम आपको बता दें कि भारत में राष्ट्रीय मानकों के मुताबिक पीएम-2.5 का स्तर 60 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से अधिक नहीं होना चाहिए, जबकि पीएम-10 के लिए यह स्तर 100 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से अधिक नहीं होना चाहिए.

2016 में दिवाली के दूसरे दिन PM 2.5 सामान्य से 16 गुना ज्यादा दर्ज किया गया था

अगर हम पिछले साल (2016) की बात करें तो दिवाली के दिन पीएम 2.5 का स्तर सामान्य से 8 गुना ज्यादा बढ़ गया था. इसी तरह पीएम 10 का स्तर भी सामान्य से 6 गुना ज्यादा बढ़ गया था.

वहीं दिवाली के दूसरे दिन दिल्ली-एनसीआर के कई इलाकों में पीएम 2.5 का स्तर सामान्य से 16 गुना ज्यादा लगभग 999 तक पहुंच गया था.

पिछले साल दिल्ली प्रदूषण कंट्रोल कमेटी ने दिवाली के दिन के मुकाबले 2 नवंबर 2016 को पीएम-2.5 का स्तर सामान्य से 62.7 गुना ज्यादा दर्ज किया था. पिछले साळ दिवाली 30 अक्टूबर को मनाया गया था.

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पिछले साल दिवाली के बाद एक नवंबर की रात (12 बजे रात से सुबह 6 बजे यानी 2 नवंबर) को पीएम 2.5 का स्तर 548 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर यानी सामान्य से 9 गुना ज्यादा पाया गया था.

दिल्ली में 40% धुआं बाहर से आने वाले धुएं होता है

सिस्टम ऑफ एयर क्वॉलिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) के मुताबिक पिछले साल पीएम 2.5 का स्तर दिवाली के तीन बाद काफी खतरनाक स्तर तक पहुंच गया था.

सफर के मुताबिक दिल्ली-एनसीआर में पिछले 17 सालों के इतिहास में 2 नवंबर 2016 सबसे प्रदूषित दिन था. 17 सालों में पहली बार यह देखा गया था कि दिन में भी कम विजिबिलिटी थी. इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट में विजिबिलिटी 300-400 मीटर से भी कम थी. यह दिन के 11 बजे से ढाई बजे के बीच की स्थिति थी.

पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि 40 पर्सेंट प्रदूषण एनसीआर के बाहर से आने वाले धुंए की वजह से बढ़ता है. इसमें पराली जलाना, खाना पकाने के लिए डोमेस्टिक बायोमास, इंडस्ट्री और पावर प्लांट का धुंआ शामिल है.

वहीं 60 पर्सेंट पल्यूशन की वजह दिल्ली-एनसीआर में ही है. इसमें ट्रांसपोर्ट, सड़कों पर धूल, कंस्ट्रक्शन साइटों पर धूल, खुले में कूड़ा जलाना, डोमेस्टिक बायोमास, इंडस्ट्री से निकलने वाला धुंआ और डीजी सेट्स शामिल हैं.

पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण (ईपीसीए) दिल्ली-एनसीआर में कंस्ट्रक्शन साइटों पर नियमों का पालन नहीं करने वाले कंपनियों पर कार्रवाई की बात कर रही है.

इस बीच बढ़ते वायु प्रदूषण को लेकर केंद्र सरकार ने भी गंभीरता दिखानी शुरू कर दी है. ऐसी खबर आ रही है कि अगले कुछ दिनों में केंद्र सरकार दिल्ली-एनसीआर के दायरे में आने वाले राज्य की मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक करने वाली है. यह बैठक खासौतर पर पराली जलाने की घटना को लेकर होगी.

इस बैठक में दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रियों के साथ प्रदूषण को नियंत्रण पर काम कर रही सरकारी और गैरसरकारी संगठनों के पदाधिकारी भी भाग लेंगे.