अगर लाइफ में कुछ करना है और अपने सपने तक पहुंचना है, तो सोसाइटी क्या सोचेगी...इस बात को अपने दिल और दिमाग से निकाल देना बेहद जरूरी है. जिनके लिए सबसे पहले उनके सपने होते हैं, अक्सर वही लोग दुनिया के लिए मिसाल भी बनते हैं. आज हम ऐसी ही एक मिसाल नेहा पंचमिया जेंगल की कहानी आपके सामने लेकर आ रहे हैं.
नेहा हमेशा से एक एनिमल लवर रही हैं. मुंबई की रहने वाली नेहा करीब 10 साल पहले पुणे शिफ्ट हुईं थीं. उन्होंने यूनाइटेड किंगडम से मेडिकल साइंस इन ह्यूमन न्यूट्रीशन में मास्टर्स डिग्री हासिल की है.
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नेहा हमेशा से बेसहारा जानवरों के लिए कुछ करना चाहती थी. इसी के चलते उन्होंने एक हेल्थकेयर कंपनी की जॉब छोड़ अपनी लाइफ की ड्रीम को पूरा करने का फैसला किया और पुणे में खुद की संस्था ResQ की शुरूआत की.
कैसे हुई शुरूआत
यूके से अपनी मास्टर्स इन मेडिकल साइंस पूरी करने के बाद नेहा पुणे शिफ्ट हो गईं थी. पुणे आने के बाद जो चीज उन्हें सबसे ज्यादा खटकी वो ये थी कि यहां जख्मी, बीमार और जरूरतमंद जानवरों की मदद के लिए एक भी रेस्क्यू ऑर्गनाइजेशन नहीं थी. जानवरों के ट्रीटमेंट और बेसिक फर्स्ट एड सीखने के लिए नेहा ने जानवरों के एक डॉक्टर के अंडर ट्रेनिंग ली.
नेहा का कहना है कि जब वो छोटी थीं, तब उनके परिवार ने सड़क से एक घायल पिल्ले को अडॉप्ट किया था. वो सिर्फ तीन पैरों से ही चल पाता था, उसकी इस हालत को देख नेहा को इस बात का अंदाजा हुआ कि वो किसी जानवर को दर्द में नहीं देख सकती हैं और उनके लिए काम करना चाहती हैं. यहीं से उन्होंने जानवरों की रक्षा में अपना जीवन लगाने का फैसला किया.
नेहा के एनजीओ का काम देख हैरान रह जाएंगे
ResQ की शुरूआत 2007 में हुई थी और तब से ये आर्गनाइजेशन करीब 40 हजार जानवरों को ट्रीटमेंट मुहैया करा चुकी हैं. द बेटर इंडिया पर छपी खबर के मुताबिक, नेहा का एनजीओ आज हर महीने 500 से ज्यादा जानवरों की मदद करता है.
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इन जानवरों में आवारा कुत्ते, बिल्लियां, गाय, भैंस, बंदर, घोड़े और हाथी तक शामिल है. जानवरों की पूरी देख रेख के लिए नेहा के पास चार डॉक्टर्स, 25 टीम मेंबर्स और ढेरों वॉलेन्टियर्स की अच्छी खासी टीम है.
इसके अलावा जानवरों के तुरंत इलाज के लिए उनके पास 2 ऑनसाइट एम्बुलेंस भी हैं, जिसमें डॉक्टर की सुविधा मौजूद है. जानवरों को ट्रीटमेंट देने के अलावा उनका एनजीओ रेस्क्यू ऑपरेशन में भी बढ़कर चढ़कर भाग लेता. हाल ही में ResQ ने 25 बीगल्स को कैद से छुड़ाया था.
ग्राफिक डिजाइनिंग का भी रखती हैं शौक
नेहा को जानवरों के दर्द को दूर करने के अलावा ग्राफिक डिजाइनिंग से भी काफी लगाव है. स्टाइलवैक को दिए इंटरव्यू में वो कहती हैं कि वो ग्राफिक डिजाइनिंग के लिए पैशनेट हैं.
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उन्होंने ग्राफिक डिजाइनिंग इसलिए सीखी क्योंकि ResQ को डिजाइनिंग की जरूरत थी और वो नॉन-मेडिकल चीजों पर फंड बर्बाद नहीं करना चाहती थी.
नेहा बताती हैं कि धीरे धीरे उन्हें डिजाइनिंग की जॉब्स भी मिलने लगी और कुछ सालों बाद आज वो एक क्रिएटिव एजेंसी थ्री डिजिट्स का हिस्सा हैं.