view all

नोटबंदी के दौरान ‘ठग्स ऑफ बंगाल’ ने लूटा राजस्थान

कई पीड़ितों ने बताया कि फर्जीवाड़े की शिकायत करने पर मनोरंजन राय ने उन्हे और ज्यादा रिटर्न का झांसा देकर फिर से रकम इन्वेस्ट करा दी

Mahendra Saini

नोटबंदी यानी 500 और 1000 के नोट बंद करने की घटना को पूरा एक साल हो चुका है. इस नोटबंदी के पीछे की मंशा वास्तव में कितनी सफल रही. नतीजे किसके पक्ष में रहे. या फिर ये संगठित लूट थी, जैसा कि पूर्व प्रधानंमंत्री मनमोहन सिंह ने बताया, या लुटेरों को धूल चटाने की वर्तमान पीएम की कवायद, इन सभी सवालों के जवाब पक्ष और विपक्ष के पास अलग-अलग हैं.

नोटबंदी के नफे-नुकसान के दावों और प्रतिदावों के बीच राजस्थान SOG ने बंगाल से जुड़े कॉरपोरेट ठगों के एक ऐसे गैंग का पर्दाफाश किया है, जिसने नोटबंदी के दौरान राजस्थान में जमकर चांदी कूटी है. पूरी ठगी करीब 1600 करोड़ की बताई जा रही है. इसमें राजस्थान से ठगी का हिस्सा 56 से 116 करोड़ के बीच माना जा रहा है.


पिनकॉन ग्रुप से जुड़ी ठगों की ये कहानी राजस्थान में यूं तो 2010 में ही जन्म ले चुकी थी लेकिन 8 नवंबर, 2016 और उसके तुरंत बाद के नोटबंदी के दिन इन ठगों के लिए स्वर्ग से भी सुंदर हो गए.

पिनकॉन ग्रुप और ठगों की कहानी

ठगी की ये वारदात पिनकॉन ग्रुप ने अंजाम दी है. पिनकॉन ग्रुप मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल से संबंधित है. इस ग्रुप में हाउसिंग से लेकर फाइनेंस और फूड प्रोडक्ट से लेकर क्रेडिट को-ऑपरेटिव कंपनियां तक रजिस्टर्ड हैं.

पुलिस के मुताबिक इस ग्रुप की पिनकॉन स्प्रिट लिमिटेड नाम की शराब कंपनी का मार्केट कैपिटल करीब 1200 करोड़ रुपए है. ये कंपनी और ग्रुप की ही पिनकॉन लाइफ स्टाइल कंपनी बाकायदा BSE में लिस्टेड भी हैं. हालांकि फर्जीवाड़े की खबर आते ही निवेशकों का मन डोल गया और इन कंपनियों के शेयर एक ही दिन में 10 फीसदी से ज्यादा गिर गए.

पुलिस के मुताबिक इस पूरी धोखाधड़ी का किंगपिन मनोरंजन रॉय है. यही पिनकॉन का सर्वेसर्वा भी है. इसके दूसरे साथियों में बिनय सिंह, राजकुमार राय, रघु जय शेट्टी और हरीसिंह प्रमुख हैं. इन लोगों को कोलकाता, बैंगलोर, आगरा, वाराणसी जैसे कई शहरों से गिरफ्तार किया गया है. पूरे देश में इन लोगों ने पिनकॉन के कई नामों से 105 शाखाएं खोलकर करीब 1600 करोड़ की ठगी को अंजाम दिया है.

मनोरंजन राय ने इस महाठगी से पहले कई धंधों में हाथ आजमाया हुआ है. पढ़ाई के बाद कंप्यूटर की दुकान खोली, फिर हार्डवेयर और तेल की. इसी दौरान लॉटरी में शराब की दुकान उसे अलॉट हो गई. शराब की दुकान से अच्छी कमाई हुई और वो बैंक में काम करने वाले विनय सिंह, रघु शेट्टी और हरी सिंह के संपर्क में आया.

इन लोगों की बैंक में छवि अच्छी नहीं थी लेकिन ये बैंक के काम करने के तौर तरीकों से अच्छी तरह वाकिफ थे. बाद में इन सभी लोगों ने कंपनियां बनाकर लोगों से निवेश कराने का फर्जीवाड़ा शुरू कर दिया. हैरानी की बात ये है कि पिनकॉन ग्रुप की मुख्य शराब कंपनी बंगाल सरकार को 3 करोड़ रोजाना का टैक्स अदा करती है.

पिनकॉन ने ऐसे बनाया पैसा

SOG के अतिरिक्त महानिदेशक उमेश मिश्रा के मुताबिक पिनकॉन ग्रुप ने सबसे पहले 2010 में अजमेर में रीजनल ऑफिस खोलकर लोगों को निवेश के लिए आकर्षित किया. ये ग्रुप लोगों को 14% तक का अविश्वसनीय ब्याज ऑफर कर रहा था. राजस्थान में ये लोग कुल 11 शाखाओं के जरिए लोगों से पैसा जमा कर रहे थे.

हैरानी की बात ये है कि सारा रुपया नकद में लिया जा रहा था और उसे किसी बैंक खाते में जमा नहीं कराया जाता था. सरकारी स्तर पर दिए जा रहे लेसकैश के नारे के उलट इनका नारा था ओनली कैश.

यह भी पढ़ें: भोपाल: रेप पीड़ित को 'आरोपी' और रेप को 'सहमति' की मेडिकल रिपोर्ट से उठे सवाल

पिनकॉन के काम करने के तरीके पर एक पुलिस अधिकारी ने मजाक में कहा कि निवेशकों के लिए न खाता, न बही, पिनकॉन जो कहदे वही सही. कई निवेशकों का भी कहना था कि जमा रुपयों के बदले पक्की रसीद मांगने पर तरह-तरह के बहानों से उन्हे टरका दिया जाता था.

घपलेबाजी और महाठगी तो इसी से साबित हो जाती है कि इस कंपनी का राजस्थान में सिर्फ एक बैंक खाता था. ये खाता, नोटबंदी में आरोपों से घिरे रहे एक्सिस बैंक में था. और भी हैरानी की बात ये कि ये एकमात्र खाता भी 2014 में ही बंद कर दिया गया था. पिनकॉन ग्रुप रोजाना के कैश का क्या करता है, कहां जमा करता है और निवेश की सुरक्षा है भी या नहीं, ये जानने की कोशिश न कभी निवेशकों ने की और न ही नियामकों ने.

खुलासे ऐसे कि आंखें खुली रह जाएं!

पिनकॉन ग्रुप के चेयरमैन और दूसरे लोगों की गिरफ्तारी के बाद कई सनसनीखेज खुलासे हुए हैं. ऐसे खुलासे जो डिजिटाइज्ड इकोनॉमी का दावा करने वाली सरकार और बाजार नियामक यानी रिजर्व बैंक और सेबी जैसी संस्थाओं के भी होश उड़ाने के लिए काफी है, मसलन-

-पिनकॉन ग्रुप राजस्थान से इकट्ठा किया करोड़ों करोड़ रूपया फर्जी तरीकों से एक दूसरी कंपनियों में वर्चुअल आधार पर ट्रांसफर करता रहा. बिना अनुमति नई कंपियां गठित कर ली गई, उनकी शाखाएं खोल ली गई, डमी एडवाइजर और डायरेक्टर नियुक्त कर दिए गए. इसके बावजूद किसी नियामक ने पिनकॉन से कभी सवाल नहीं किए.

-पिनकॉन ग्रुप की LRN फाइनेंस लिमिटेड और ASK फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) हैं. नियमानुसार ऐसी कंपनियों में निवेशकों के हित की जिम्मेदारी सेबी से रजिस्टर्ड ट्रस्टियों की होती है. लेकिन यहां भी गोलमाल किया गया.

-इस ग्रुप की ग्रिनेज फूड प्रोडक्ट लिमिटेड की कोलकाता में लिक्विडेशन की कार्यवाही शुरू होने के बावजूद राजस्थान से इसमें रकम निवेशित करवाई जाती रही. जबकि लिक्विडेशन के बाद ऐसा करना गैरकानूनी है.

नोटबंदी बनी सोने पे सुहागा

ठगी और जालसाजी की नित नई स्कीमें पिनकॉन ग्रुप ईज़ाद कर रहा था और इसी दौरान हुई नोटबंदी की घोषणा. 500 और एक हजार के नोटों का बंद होना जैसे इनके लिए सोने पर सुहागा हो गया.

8 नवंबर, 2016 के बाद पुराने बड़े नोट बंद हो चुके थे. लेकिन इन ठगों को शायद अहसास था कि इनके जैसे कई बेईमानों के पास हद से ज्यादा मात्रा में बड़े नोटों की खेप मौजूद है और अब उन्हे ठिकाने लगाने का रास्ता वो लोग तलाश रहे हैं.

यह भी पढ़ें: दमघोंटू दिल्ली: आखिर खुलकर सांस लेने का हक़ क्यों नहीं मांगता यह शहर?

पिनकॉन ग्रुप ने जल्दी ही एक रणनीति बनाकर लोगों के काले धन से मुनाफा कमाने का जुगाड़ कर लिया. पिनकॉन ने निवेशकों के सर्किल में बाकायदा प्रचार करके सफेद बनाने के लिए काले धन को आकर्षित किया. हालांकि ये साफ तौर पर गैर कानूनी था लेकिन कानून की जैसे पिनकॉन को कोई परवाह ही नहीं थी. बताया जा रहा है कि बड़े नोटों पर 20 से 40 फीसदी तक कमीशन कमाया गया.

कई लोगों को तो बाद में नए नोट देने की कहकर पूरा रुपया हजम कर लिया गया. इनको मालूम था कि काले धन वाले कानूनी रूप से इनका कुछ बिगाड़ नहीं पाएंगे. आखिर ऐसा किया जाता तो नोटों का मालिक खुद फंस जाता. पुलिस ने बताया कि इस तरह आया करोड़ों-करोड़ रुपया 8 नवंबर, 2016 के बिजनेस में दिखा दिया गया. अब ये जांच के बाद ही पता चल पाएगा कि इस तरह का कुल कितना रुपया था.

नोटबंदी के बाद पिछले एक साल में पिनकॉन ग्रुप की बहार आ गई. कंपनी संचालकों ने पिछले एक साल में ही आम लोगों की खून पसीने की कमाई से अपने लिए 50 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति खरीदी है. जयपुर, आगरा और कोलकाता की संपत्तियों का खुलासा हो चुका है. पुलिस को आशंका है कि कई और शहरों में भी संपत्ति खरीदी गई हो सकती है.

पूर्व कर्मचारी ने ठोंकी ताबूत में कील

पिनकॉन ग्रुप और मनोरंजन राय की धोखाधड़ी का खुलासा राजस्थान पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप यानी SOG ने किया है. करीब 2 महीने पहले SOG ने विशेष जांच टीम बनाकर अपना काम शुरू किया. इस दौरान कंपनी के ही कर्मचारी रहे संदीप घोष की FIR से पुलिस को काफी सहायता मिली. घोष ने अपने परिचितों के करीब 76 लाख रुपए कंपनी में निवेश कराए थे लेकिन मैच्योरिटी के बावजूद उन्हे रिटर्न नहीं दिया जा रहा था.

कंपनी निवेशकों को इनवेस्टमेंट पॉलिसी देती थी. पॉलिसी के मैच्योर होने पर 14% मुनाफे के साथ मूल रकम के भुगतान का वादा किया जाता था. यही वजह है कि निवेशकों में आम आदमी तो क्या एक रिटायर्ड जज और बीएसएफ के एक डीआईजी अफसर तक भी शामिल बताए जा रहे हैं.

खुलासे के बाद अब SOG के पास पहुंच रहे कई पीड़ितों ने बताया कि फर्जीवाड़े की शिकायत करने पर मनोरंजन राय ने उन्हे और ज्यादा रिटर्न का झांसा देकर फिर से रकम इन्वेस्ट करा दी. निवेशकों के साथ ही कई एजेंट भी पुलिस के पास पहुंच रहे हैं क्योंकि आम लोग अब उनसे अपनी रकम वापस मांग रहे हैं. न देने पर धमकियां भी दी जा रही हैं.

खुलासा ये भी हुआ है कि पिनकॉन ग्रुप के शुरुआती निवेशकों को ही कंपनी ने ज्यादा मुनाफे का लालच देकर एडवाइजर बना दिया. इन एडवाइजरों का काम ज्यादा से ज्यादा लोगों से किसी भी तरह रकम निवेश करवाना होता था.

पहले पहल जिन्होने निवेश किया, उनको अच्छा रिटर्न दिया भी गया. इससे दूसरे लोगों में कंपनी की साख बनी और आमद बढ़ती चली गई. लेकिन बाद में रकम लौटाना लगभग बंद ही कर दिया गया.

सवाल ये पैदा होता है कि आम आदमी कैसे ठगों के झांसे में आ जाता है. आखिर क्यों हम उन लोगों पर आसानी से भरोसा कर लेते हैं जो बैंक से कई गुना ज्यादा रिटर्न का लालच देते हैं. जबकि रिजर्व बैंक और सरकार भी मीडिया के जरिए ऐसे लोगों से बचने की अपील बार-बार करती रहती है. निवेशक को ये समझना होगा कि आम दर से ऊंचा रिटर्न कभी ईमानदार तरीके से नहीं दिया जा सकता.