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आम आदमी पार्टी जांच से क्यों घबरा रही है?

सरकारी खर्च में निर्धारित नियमों की अनदेखी की जाती है तो यह शंका उठना स्वाभाविक है.

Suresh Bafna

अजीब स्थिति है कि जिस आम आदमी पार्टी का जन्म भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन से हुआ है, आज वही पार्टी भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों में जांच का विरोध कर रही है. सीबीआई ने दिल्ली के उपमुख्‍मंत्री मनीष सिसोदिया और स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन की बेटी सौम्या जैन के खिलाफ अलग-अलग मामलों में आरम्भिक जांच शुरु करने का निर्णय लिया है. यदि आरम्भिक जांच में इन दोनों के खिलाफ कोई अपराधिक तथ्य पाया गया तो नियमित केस दर्ज किया जाएगा.

मनीष सिसोदिया पर आरोप है कि उन्होंने ‘टाक टू एके’ कार्यक्रम का ठेका एक निजी कंपनी परफेक्ट रिलेशन को मनमाने ढंग से दिया, जिसकी वजह से सरकार पर डेढ़ करोड़ रुपए की देनदारी हो गई. सभी जानते हैं कि देशभर में आप पार्टी और अरविंद केजरीवाल की इमेज बनाने के लिए ‘टाक टू एके’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. इस कार्यक्रम का दिल्ली की जनता के कल्याण से कोई खास संबंध नहीं था.


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देश में हर स्तर पर सरकारी पैसा खर्च करने के नियम बने हुए हैं. जिनका पालन करना हर नौकरशाह व नेताअों की प्राथमिक जिम्मेदारी है. यदि सरकारी खर्च में निर्धारित नियमों की अनदेखी की जाती है तो यह शंका उठना स्वाभाविक है. ऐसा लगता है कि अपने करीबियों या अन्य लोगों को लाभ पहुंचाने की कोशिश की गई है.

यह बात दिल्ली सरकार की फाइलों में दर्ज है कि प्रमुख सचिव(वित्त) धर्मेन्द्र कुमार ने निजी कंपनी को ठेका दिए जाने पर अपनी आपत्ति दर्ज की थी. मनीष सिसोदिया ने इस आपत्ति को दरकिनार करके मनमाने ढंग से परफेक्ट रिलेशन को ठेका दे दिया. इन तथ्यों का सामना करने की बजाय अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अभद्र भाषा में चुनौती दे रहे हैं.

दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन ने मनमाने ढंग से अपनी बेटी सौम्या जैन को स्वास्थ्य विभाग में सलाहकार के पद पर नियुक्त करवा लिया. दिल्ली के पूर्व लेफ्टिनेंट गवर्नर नजीब जंग द्वारा सीबीआई के लिखे पत्र में कहा गया है कि सौम्या जैन की नियुक्ति 18 अप्रैल 2016 को की गई लेकिन ‍नियुक्त करने की औपचारिक अनुमति 10 मई, 2016 को दी गई. अरविंद केजरीवाल की सरकार में भाई-भतीजावाद का यह जिन्दा उदाहरण है.

वित्तीय संसाधनों का दुरुपयोग

आप पार्टी और अरविंद केजरीवाल की समस्या यह है कि वे ईमानदारी का झंडा उठाकर व दिल्ली सरकार के वित्तीय संसाधनों का दुरुपयोग करके देश के नेता बनने की कोशिश कर रहे हैं. जिन बातों के लिए वे अन्य दलों के नेताअों को दोषी ठहराने की कोशिश करते थे. अब वे खुद भी वही अपराध करते दिखाई दे रहे हैं. राष्ट्रीय नेता बनने के नशे में केजरीवाल सरकार ने निर्धारित नियमों का खुलकर उल्लंघन किया है.

दिल्ली में आम लोगों की समस्याअों का समाधान निकालने की बजाय केजरीवाल ने देश भर के अखबारों व टीवी मीडिया में अपनी पब्लिसिटी कराने में अधिक दिलचस्पी ली. इस बात की जांच होनी चाहिए कि दिल्ली सरकार द्वारा देशभर के अखबारों में विज्ञापनबाजी करके जो करोड़ों रूपए खर्च किए गए. उससे दिल्ली की जनता को क्या लाभ मिला है?

भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन से उपजी आप पार्टी व इसके नेता केजरीवाल से यह उम्मीद की जा रही थी कि वे अन्य राजनीतिक दलों से अलग आचरण करेंगे और यदि उन पर आरोप लगे तो उसकी तुरंत जांच कराने के लिए तैयार होंगे. आप सरकार के कई मंत्रियों व विधायकों पर कई गंभीर अपराधिक आरोप लगे हैं. आप सरकार के कई मंत्रियों को पद छोड़ने के लिए बाध्य होना पड़ा है.

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लगता है अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी के कई नेता अभी भी इस बात को समझ नहीं पाए हैं कि भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन चलाने और सरकार चलाने में बड़ा फर्क होता है. ईमानदारी का मुखौटा पहनकर आप सरकार के स्तर पर कानून व नियमों का उल्लंघन नहीं कर सकते हैं. यदि आपने उल्लंघन किया है तो उसका नतीजा भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए.