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कश्मीर हिंसा: भीड़ ने किया था CRPF की गाड़ी पर हमला, भगदड़ मचने पर जीप के नीचे आया युवक

पुराने श्रीनगर में एक महीने में सुरक्षा बलों की गाड़ी से कुचलकर किसी प्रदर्शनकारी की मौत की ये दूसरी घटना है. 5 मई को पुलिस की गाड़ी से कुचलकर आदिल अहमद यादू नाम के युवक की मौत हो गई थी

Sameer Yasir

शुक्रवार शाम 4:10 मिनट का वक्त था. पुराने श्रीनगर में स्थित जामिया मस्जिद के लाउडस्पीकर खामोश हो चुके थे. लेकिन मस्जिद के बाहर आक्रामक भीड़ जमा थी. भीड़ को इंतजार था कि कोई वर्दीधारी दिख जाए.

मस्जिद के बाहर भीड़ के बीच भारत-विरोधी नारेबाजी हुई थी. फिर भी, इलाके में पुलिस की मौजूदगी ना के बराबर थी. तभी, सीआरपीएफ की 128वीं बटालियन की एक जिप्सी भीड़ के पीछे से आती दिखी. मीडिया के फोटोग्राफर किसी झड़प की तस्वीरें खींचने को तैयार खड़े थे.


सीआरपीएफ की गाड़ी का इंतजार कर रहे थे पत्थरबाज

सीआरपीएफ की जिप्सी पुराने श्रीनगर के खानयार इलाके से आ रही थी. वो बहुत धीरे चल रही थी. जब जिप्सी के ड्राइवर ने प्रदर्शनकारियों को देखा, तो उसने गाड़ी को ब्रेक लगाया और करीब एक मिनट तक भीड़ से दूर खड़े रहकर इंतजार किया. इसके बाद गाड़ी से कुछ दूरी पर जमा प्रदर्शनकारियों ने गाड़ी को अपनी तरफ आते हुए देखा.

जब जिप्सी प्रदर्शनकारियों के करीब पहुंची, तो उसकी रफ्तार अचानक तेज हो गई. प्रदर्शनकारी भी तेजी से गाड़ी की तरफ लपके. एक प्रदर्शनकारी ने जिप्सी के सामने साइकिल फेंकी, जो जिप्सी के सामने की तरफ लगी लोहे की जाली से जा टकराई. ड्राइवर ने गाड़ी बांईं तरफ मोड़ी. तभी एक और प्रदर्शनकारी ने पीछे की तरफ डंडे से वार किया. तभी नीली टी-शर्ट और जींस पहने एक प्रदर्शनकारी, जिसने अपना मुंह ढंक रखा था, वो तेजी से जिप्सी की तरफ दौड़ा और उसके बोनट पर चढ़ गया. ठीक उसी तरह जैसे किसी फिल्मी सीन में होता है.

ड्राइवर लगातार भीड़ के बीच से गाड़ी निकालने की कोशिश कर रहा था. लेकिन भीड़ सीआरपीएफ की गाड़ी के पीछे पड़ी हुई थी. जैसे ही ड्राइवर ने गाड़ी को दाहिनी तरफ मोड़ा, भीड़ ने इस पर पथराव किया. जब गाड़ी पथराव से बचते हुए आगे बढ़ी, तो दो लोग इसके नीचे आ गए.

ये पूरा वाकिया कुछ मिनटों के अंदर हुआ

सीआरपीएफ की जिप्सी ने पहले कैसर अहमद नाम के शख्स को रौंदा. ऐसा लगता है कि जिप्सी के आगे के पहिए कैसर अहमद के सिर से गुजर गए थे. बाद में गाड़ी के पिछले पहिए भी उसके बदन के ऊपर से निकल गए. इस दौरान फोटोग्राफर लगातार तस्वीरें खींच रहे थे. इसके फौरन बाद ही सीआरपीएफ की जिप्सी के नीचे एक और शख्स मुहम्मद यूनिस भी आ गया. इस वक्त यूनिस श्रीनगर के श्री महाराजा हरि सिंह अस्पताल में जिंदगी की जंग लड़ रहा है. वहीं कैसर अहमद की शुक्रवार रात मौत हो गई.

कैसर के दोस्त इम्तियाज अहमद वागी ने फ़र्स्टपोस्ट से कहा कि, 'हम समझ ही नहीं पाए कि क्या हुआ. भीड़ के शोर में कैसर की चीख-पुकार दब गई.’

सीआरपीएफ के पीआरओ संजय शर्मा ने कहा कि शुक्रवार की घटना प्रदर्शनकारियों की वजह से हुई. सुरक्षाबलों ने तो बहुत संयम से काम लिया. शर्मा ने कहा कि, 'हम सिर्फ अंदाजा लगा सकते हैं कि अगर भीड़ जिप्सी का दरवाजा खोलने में कामयाब हो गई होती, तो क्या हुआ होता.’

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पुराने श्रीनगर में स्थित जामिया मस्जिद, जो कि 1.4 लाख वर्ग फुट में फैली हुई है, लंबे वक्त से श्रीनगर में भारत-विरोधी प्रदर्शनों का केंद्र रही है. सीआरपीएफ की जिप्सी से एक दो प्रदर्शनकारियों के कुचले जाने से कुछ देर पहले ही इस मस्जिद के मौलवी और हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के एक गुट के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारुक ने मस्जिद में जमा लोगों को संबोधित किया था. मीरवाइज ने कहा था कि ये मस्जिद जम्मू-कश्मीर पर राज करने वाले हर निजाम के निशाने पर रही है.

पुराने श्रीनगर में एक महीने में सुरक्षा बलों की गाड़ी से कुचलकर किसी प्रदर्शनकारी की मौत की ये दूसरी घटना है. 5 मई को पुलिस की गाड़ी से कुचलकर आदिल अहमद यादू नाम के युवक की मौत हो गई थी. घटना के वीडियो में पुलिस की गाड़ी पहले आदिल को पीछे से टक्कर मारकर फिर उसे रौंदकर तेज रफ्तार से जाती हुई दिखी थी. पुलिस की गाड़ी के ड्राइवर को हिरासत में लिया गया था. मगर अब नहीं पता कि उस केस का क्या हो रहा है.

इंटरनेट सेवाओं पर लगाया प्रतिबंध

आदिल के पिता गुलाम अहमद यादू कहते हैं कि उनका बेटा लंबे-चौड़े परिवार के गुजर-बसर के लिए रात में सिलाई का काम करता था और दिन में पढ़ाई करता था. गुलाम अहमद कहते हैं कि, 'अगर लोगों ने उस घटना का वीडियो अपने फोन से नहीं बनाया होता, तो पुलिस ये दावा करती कि ये एक सड़क हादसा था.’

यादू कहते हैं कि, 'कश्मीर में अब भारत के लिए सिर्फ लोगों को गाड़ी से कुचलना ही बाकी रह गया था. अब वो ये भी कर रहे हैं. ऐसा लगता है कि लोगों को ऐसी हत्याओं की भी आदत पड़ जाएगी, ठीक वैसे ही, जैसे उन्हें दूसरे तरीकों से हत्या की आदत हो गई है.’

मई महीने में आदिल की मौत के बाद श्रीनगर में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए थे. तब पुलिस ने इसे हादसा बताया था. एक जून को हुई घटना के बाद फिर से विरोध-प्रदर्शनों के अंदेशे को देखते हुए राज्य सरकार ने श्रीनगर में इंटरनेट सेवाओं पर शनिवार को प्रतिबंध लगा दिया था.

शुक्रवार को हजारों लोगों ने सीआरपीएफ की गाड़ी के नीचे दबे कैसर अहमद की तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर की थीं. इस पर लोगों ने खूब जज्बाती बयानबाजी की थी.

मानवाधिकार कार्यकर्ता और वकील परवेज इमरोज ने कहा कि, 'बेदर्दी की संस्कृति इस कदर फैल गई है कि जब सुरक्षाकर्मियों की गाड़ी से कुचलकर किसी प्रदर्शनकारी की मौत हो जाती है, तो लोग उसे जायज मानते हैं. शुक्रवार की घटना इस बात की मिसाल है. अब धीरे-धीरे ऐसी घटनाओं को आम बात ठहराए जाने की कोशिश होगी.’

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अगर फारुख अहमद डार को जीप से बांधने की तस्वीर कश्मीर में सुरक्षा बलों के जुल्म का सबसे बड़ा सबूत बन गई थी, तो कैसर अहमद और यूनिस की जीप के नीचे दबे होने की तस्वीर अब रमजान में युद्धविराम के दौरान सुरक्षा बलों के बर्ताव की मिसाल बनाई जाएंगी. जैसा कि जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट किया कि, 'पहले वो लोगों को जीप के सामने बांधकर गांवों में घुमाते थे, ताकि प्रदर्शनाकारियों को डरा सकें. अब वो जीप को सीधे प्रदर्शनकारियों पर चढ़ा रहे हैं. महबूबा मुफ्ती साहिबा, क्या ये आप की हुकूमत के काम करने का नया तरीका है. सीजफायर का मतलब बंदूकों पर रोक, तो क्या इसीलिए जीप का इस्तेमाल हो रहा है.'

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