केंद्र ने सोमवार को कहा कि वे किसी पर हिंदी थोप नहीं रहे हैं बल्कि अन्य क्षेत्रीय भाषाओं की तरह इसे बढ़ावा दे रहा है.
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू ने संवाददाताओं से कहा, ‘हम हिंदी नहीं थोप रहे हैं बल्कि दूसरी भाषाओं की तरह हिंदी को बढ़ावा दे रहे हैं.’
रिजिजू राजभाषा विभाग के प्रभारी मंत्री हैं.
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उनका ये बयान कुछ लोगों के आरोपों के परिप्रेक्ष्य में आया हैं. ऐसे आरोप आ रहे थे कि मोदी सरकार गैर हिंदी भाषी राज्यों पर हिंदी थोपने का प्रयास कर रही है.
द्रमुक नेता एम के स्टालिन ने केंद्र पर आरोप लगाया है. उन्होंने आरोप लगाया कि वे हिंदी नहीं बोलने वाले लोगों को दूसरे दर्जे का नागरिक बनाने का प्रयास कर रही है. साथ ही देश को ‘हिंडिया’ की तरफ धकेल रही है.
क्या था भाषा विवाद?
समिति की सिफारिश को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा स्वीकार करने के बाद विवाद पैदा हुआ.
समिति ने सिफारिश की है कि राष्ट्रपति और मंत्रियों सहित सभी हस्तियां खासकर जो हिंदी पढ़ और बोल सकते हैं वे अपने भाषण और बयान केवल हिंदी में दें.
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राष्ट्रपति ने कई सिफारिशे स्वीकार की हैं. जिनमें विमानों में पहले हिंदी और फिर अंग्रेजी में अनाउंसमेंट करना भी शामिल है