view all

बोर्डिंग में डॉग्स को रखने से पहले खुद देखें- क्या वहां इंतजाम पूरे हैं?

दो सालों में मुझे ऐसी ढेरों शिकायतें मिली हैं कि उन्हें वापस लौटे अपने डॉग्स बीमार, खाल पर पिस्सू की भरमार लिए, केनेल के कफ और पेंट में लिथड़े मिले

Maneka Gandhi

एक लड़की के पास दो डॉग्स थे. उसे किसी काम से अचानक गांव जाना पड़ गया. उसने डॉग्स बोर्डिंग हाउस चलाने वाली एक लड़की के पास अपने दोनों डॉग छोड़ दिए और 150 रुपए रोजाना की दर से 1200 रुपए भी अदा कर दिए. दो दिन बाद उसे ई-मेल से खबर दी गई कि उसके डॉग्स भाग गए हैं और इसके लिए बोर्डिंग हाउस किसी तरह जिम्मेदार नहीं हैं, क्योंकि डॉग 'बदमाश' थे.

यह बोर्डिंग हाउस दरअसल फरीदाबाद में एक खाली पड़ी केमिकल फैक्ट्री थी, जिसे इसके मालिक की बेटी चला रही थी. वह डॉग्स को बस कुछ कमरों में ताला लगाकर रख देती थी. डॉग्स की देखरेख के लिए उसने एक सहायक रखा हुआ था. यह कोई फॉर्म नहीं, कोई डॉक्टर नहीं, खाना नहीं, मैट्रेस नहीं, नहलाना नहीं, डॉग को आराम पहुंचाने का कोई इंतजाम नहीं. लड़की की सफाई थी कि वो तो बस लोगों की 'सेवा' कर रही है.


एक और शख्स ने ट्रिप पर बाहर जाने के दौरान अपना डॉग नोएडा में बोर्डिंग हाउस में छोड़ा था. डॉग रात में उलटियां करने लगा. पशु चिकित्सक ने इसका इलाज करने से मना कर दिया, उसके पास डॉग की कोई मेडिकल हिस्ट्री नहीं थी. नाइट स्टाफ के पास मालिक का नंबर नहीं था, इसलिए उसे अगले दिन ही खबर की जा सकी. तब तक पशु चिकित्सक छुट्टी पर जा चुका था. मालिक फौरन फ्लाइट से लौटा, लेकिन तब तक डॉग की मौत हो चुकी थी.

ये भी पढ़ें: पशु-पक्षियों के बर्ताव के बारे में आप जो जानते हैं, वो कितना सही है?

एक अन्य मामले में दो हफ्ते के लिए कोलकाता में एक केनेल (डॉग रखने की जगह) में रखे गए शुद्ध नस्ल के एक डॉग को बच्चे पैदा करने के लिए किराए पर दे दिया गया और जब मालिक वापस लौटा तो वह हाइपर स्ट्रेस्ड था और बहुत कमजोर हो चुका था.

केनेल में रखे गए डॉग अक्सर जाली से टकरा कर या बाहर भागने की कोशिश में कूद-फांद में जख्मी हाल में उखड़े हुए कंधे और जख्मों के साथ वापस लौटते हैं. डॉग्स जब मालिक के घर लौटते हैं तो उनका पूरा व्यक्तित्व बदल चुका होता है.

पिछले दो सालों में अपने डॉग्स को बोर्डिंग में छोड़ने वाले लोगों की मुझे ऐसी ढेरों शिकायतें मिली हैं. उन्हें वापस लौटे अपने डॉग्स बीमार, खाल पर पिस्सू की भरमार, केनेल के कफ और पेंट में लिथड़े मिले. कुछ दूसरे डॉग्स के साथ हुई लड़ाई में जख्मी हो गए या मालिक को खबर मिली कि डॉग भाग गया या मर गया. अगर डॉग बहुत अच्छी नस्ल का है तो आमतौर पर 'भाग गया' का मतलब होता है कि बोर्डिंग हाउस ने किसी ब्रीडर को बेच डाला.

प्रतीकात्मक तस्वीर (रायटर इमेज)

यह एक बिना नियम-कायदे वाले घर के पिछवाड़े से चलाया जाना वाला उद्योग है, जिसमें ना तो कोई हेल्थकेयर है ना ही प्रबंध का कोई प्रशिक्षण. अब जबकि ब्रीडर और ट्रेडर्स के मामले में नियम बनाए चुके हैं, बोर्डिंग केनेल ऑपरेटर अब भी शिकंजे से बाहर हैं- हालांकि ये ज्यादा दिन नहीं चलने वाला.

आपका पालतू जानवर अपनी देखभाल के लिए आप पर ही निर्भर रहता है, आप उनके पास नहीं हों तो भी. अगर उन्हें बोर्डिंग केनेल में रखने जा रहे हैं तो पक्का कर लें कि उनका हाल ऊपर बताए गए मामलों जैसा ना हो. बोर्डिंग केनेल का स्ट्रेस सच्चाई है. कल्पना कीजिए की एक नई उम्र के बच्चे को किसी अजनबी जगह पर ले जाया जाता है और उसे उन लोगों के साथ रख दिया जाता है, जिन्हें वह जानता भी नहीं.

पूरी संभावना है कि वह बेचैन और अवसादग्रस्त हो जाएगा. यही बात डॉग्स के साथ भी होती है. एक केनेल बोर्डिंग का माहौल खासकर घबराए हुए आशंकित डॉग के लिए बहुत मुश्किल होता है. केनेल का स्ट्रेस डॉग में कई तरीकों से प्रकट होता हैः बहुत ज्यादा भौंकना, चीखना, भूख नहीं लगना. खानपान में बदलाव के कारण भी उलटी और डायरिया हो सकता है, लगातार होंठ चाटना, बार-बार आगे-पीछे होना, अवसाद में होना. असल में आपको एक ऐसी जगह की जरूरत है, जहां आपके पालतू जानवर को ऐसी देखभाल मिले, जैसे कि वो उसका अपना घर हो.

ये भी पढ़ें: मच्छरों के बारे में जितना जानेंगे, बचाव में उतनी मदद मिलेगी

यह एक चेक लिस्ट है, जिसका इस्तेमाल तब करें, जब आप अपने पालतू जानवर को बोर्डिंग हाउस में रखने जा रहे हैं-

1. आपके जानवर को बेसिक कमांड्स आती हों और आसपास के लोगों व जानवरों से घुला मिला हो.

2. अपने जानवर को केनेल में रहने का अभ्यस्त बनाने के लिए पहले एक सप्ताहांत में वहां रख कर देखिए. इससे आपको अपने जानवर को बाद में वहां लंबे समय के लिए रखने से पहले आकलन करने का मौका मिलेगा.

3. सुनिश्चित करें कि आपके जानवर का वैक्सीनेशन हुआ हो, डॉग्स के लिए जरूरी वैक्सीन हैं- रैबीज, डिस्टेंपर, परवोवाइरस, एडेनोवाइरस और केनाइन केनेल कफ (बॉरडाटेल्ला). पिस्सू और जुएं मारने के उपाय भी जरूर किए गए हों.

4. कैट्स के लिए जरूरी वैक्सीन में रैबीज, फेलाइन पैनल्यूकोपेनिया, कैलीसिवाइरस और राइनोट्रैचाइटिस शामिल हैं. कैट्स को जिन दूसरी कैट्स के साथ घुलने-मिलने का मौका दिया जा रहा है, उनका फेलाइन ल्यूकेमिया और एड्स स्टेटस नेगेटिव हो.

प्रतीकात्मक तस्वीर (रायटर इमेज)

5. अपने जानवर की दवाएं और स्पेशल फूड (अगर कोई है) साथ रखें, आपके पशु चिकित्सक का फोन नंबर और आपसे संपर्क की सूचना और स्थानीय बैकअप भी हो. ऐसी भी कोई चीज रखें जिससे आपकी गंध जुड़ी हो.

6. अगर आपके जानवर को कोई खास दवा दी जाती है या वह अलग तरह का व्यवहार करता है तो बोर्डिंग के स्टाफ को उसके बारे में जरूर बताएं, मसलन मिर्गी या तूफान से डर लगना.

बोर्डिंग हाउस:

1. अपने पशुचिकित्सक से ही किसी का नाम सुझाने को कहें. चूंकि वो रोजाना जानवरों से प्यार करने वालों से बात करते हैं, वो उनको जानते हैं. डॉग पालने वालों से बात करें और ऑनलाइन लिस्ट चेक करें. इंटरनेट पर दूसरों के अनुभव के बारे में पता लगाएं, हो सकता है कि उनका इस बोर्डिंग हाउस के बारे में कुछ कहना हो. कुछ केनेल्स का चुनाव कर लेने के बाद पता लगाएं कि क्या वो आपके जानवर को तय अवधि के लिए रख सकते हैं और उसकी खास जरूरतों का ख्याल रख सकते हैं. अगर आप शुरुआती तौर पर संतुष्ट हैं, तो वहां का दौरा करें.

2. हमेशा पूरे केनेल परिसर को देखने की मांग करें. अगर वह मना करें तो छोड़ दीजिए क्योंकि पूरी संभावना है कि वो खराब इंतजामों को आप से छिपाना चाहते हैं.

ये भी पढ़ें: भोजन में बहुत कुछ ऐसा है, जिसे वेज-नॉनवेज में नहीं बांटा जा सकता

3. अच्छे केनेल में रौशनी व हवा के अच्छे इंतजाम के साथ तापमान नियंत्रण की सुविधा होनी चाहिए. लिविंग और प्लेइंग एरिया साफ सुथरा हो और वहां बदबू ना हो, और ना ही वहां मल-मूत्र हो. धरातल तरल पदार्थ सोखने वाला नहीं होना चाहिए.

4. उस जगह का पेपरवर्क कैसा है? क्या वो आप से आपके डॉग की डिटेल पूछते हैं- उसकी डाइट, वर्जिश, सोने, दवाओं के बारे में पूछते हैं. क्या वो डॉग के लोगों से घुलने-मिलने के बारे में या उससे जुड़ी कोई और जरूरी जानकारी मांगते हैं. अगर बोर्डिंग हाउस वैक्सीनेशन पर जोर नहीं देता तो उसे फौरन अलविदा कह दीजिए.

4. जब आप केनेल देखने जाएं तो जानवर की देखरेख करने वाले स्टाफ के बर्ताव और स्टाफ व अन्य डॉग्स के बीच रिश्तों पर ध्यान दें. डॉग अगर दुम हिला रहा है तो ये उसके खुश होने की निशानी है. स्टाफ को अपनी निगरानी में रखे गए हर डॉग व कैट के बारे में पता होना चाहिए. उनका व्यावसायिक अनुभव कितना है और क्या उन्होंने फर्स्ट एड और आक्रामक डॉग को कंट्रोल करने का प्रशिक्षण लिया है?

5. क्या हर डॉग के पास इनडोर-आउटडोर में घूमने-फिरने के लिए उचित आकार की जगह है और उसकी वर्जिश का क्या इंतजाम है? क्या वर्जिश के लिए बाड़ से घिरा उचित एरिया है और रोजाना की वर्जिश के लिए क्या उचित एरिया है? इस बारे में कानून हैः अगर एक डॉग दूसरे डॉग से बिना संवेदी संपर्क वाली जगह पर रखा जाता है तो उसे रोजाना कम से कम एक बार इंसान से सकारात्मक शारीरिक संपर्क का मौका दिया जाएगा. वर्जिश की सुविधा इनमें से किसी एक तरीके से दी जा सकती है-

(i) खुला एरिया या दौड़ने के लिए एरिया हो.

(ii) बाड़ से घिरे क्षेत्र में गले में पट्टा लगाकर किसी शख्स के साथ उचित वर्जिश

(iii) दिन में कम से कम दो बार 30 मिनट की वर्जिश कराई जाए.

(iv) नियमित अंतराल के बाद बड़े डॉग को रोजाना कम से कम तीन घंटे और चार महीने से कम उम्र के पप्पी को कम से कम पांच घंटे इंसानों के साथ घुलने-मिलने का मौका मिलना चाहिए; यह देखिए कि कम्युनिटी एरिया कितना बड़ा है? आउटडोर एरिया चेक कीजिए कि वहां बाड़ या दीवार में कोई खुली जगह तो नहीं जहां से आपका डॉग, खासकर अगर ये छोटा डॉग है तो, भाग सकता है.

6. क्या बिस्तर दिया जा रहा है? यह कितने अंतराल पर धोया जाता है. बेडिंग साफ, नर्म होना चाहिए. उस पर दाग-धब्बे या पपड़ी भी नहीं होने चाहिए, जो कि मल या मूत्र के दाग बने हो सकते हैं.

प्रतीकात्मक तस्वीर (रायटर इमेज)

7. क्या कैट्स को डॉग से अलग रखा जाता है?

8. क्या कैट्स के लिए आराम से घूमने को समुचित इलाका है?

9. क्या लिटर बॉक्स और खाने के बर्तन के बीच उचित दूरी रखई जाती है?

10. जानवर को कितनी बार खिलाया जाता है ? क्या खाना दिया जाता है?

11. क्या मालिक जानवर के लिए स्पेशल फूड ला सकता है?

12. पशु चिकित्सक की किस तरह की सेवा उपलब्ध है? क्या पशु चिकित्सक अनुभवी है? आपके जानवर को डायरिया हो जाता है, उसका नाखून टूट जाता है या जानवर खाना नहीं खाता तो चिकित्सक क्या कदम उठाएगा? अगर डॉग को चिकित्सा सुविधा की जरूरत पड़ती है तो उसके लिए इंतजाम है? क्या वहां पर फर्स्ट एड की दवाएं हैं और अटेंडेंट को बीमारी का पता लगाते हुए इनका इस्तेमाल करने का प्रशिक्षण दिया गया है? सभी दवाएं व अन्य सामग्री कायदे से पैक करके साफ अलमारी में रखी हुई हों. सभी दवाओं पर ठीक से निशान या लेबल लगे हों. क्या केनेल में इसका इंतजाम है कि आपके पालतू जानवर को समय पर दवा दी जा सके?

ये भी पढ़ें: संडे हो या मंडे, मत खाइए अंडे...क्योंकि ये अंडा नहीं ज़हर है!

13. क्या बाल-नाखून काटने, ट्रेनिंग देने, नहलाने की सुविधाएं उपलब्ध हैं?

14. क्या कोई पूरे समय परिसर में रहता है? क्या कोई शख्स रात में जानवरों का हाल पता करता है?

15. अगर आपके जानवर को कमजोर गुर्दे, अंधता, बहरेपन, आर्थ्राइटिस जैसी कोई बीमारी या समस्या है तो क्या स्टाफ उसकी देखरेख कर सकेगा? ऐसे जानवरों को व्यक्तिगत रूप से निगरानी और धैर्य की ज्यादा जरूरत होती है.

16. क्या किचन साफ है? क्या यहां साफ फ्रिज है? यहां क्या खाना दिया जाता है और बोर्डिंग हाउस का मालिक पर्सनल डाइट के मामले का कैसे समाधान करता है? क्या खाना खिलाने के उपकरण साफ हैं?

17. इस जगह को कैसे साफ किया जाता है? किस तरह के सफाई उपकरण इस्तेमाल किए जाते हैं? मल का क्या किया जाता है?

18. क्या हर समय पानी उपलपब्ध रहता है?

19. क्या उस जगह पर आग का पता लगाने वाले और आग बुझाने वाले उपकरण हैं?

20. किलनी की क्या स्थिति है?

21. क्या उस ठिकाने पर वास्तव में कमरे बने हैं या सिर्फ पिंजड़े किसी साझा दीवार के साथ जुड़े हैं. साझा दीवार होने से आपके डॉग और उसके पड़ोसियों के बीच भौंकने की प्रतियोगिता शुरू हो जाएगी. तनाव से भरा डॉग अगर पूरे समय डरा रहेगा तो वो होस्टल में अच्छा महसूस नहीं करेगा. आपके डॉग की नस्ल के अनुसार कमरे उचित आकार के और बड़े होने चाहिए. दरवाजे और गेट ठीक होने चाहिए जिससे आपके डॉग को सुरक्षित रखा जाए.

22. आपके डॉग की कैसे वर्जिश कराई जाएगी? कुछ केनेल डॉग को टहलाते हैं, कुछ उन्हें बड़े परिसर में अन्य डॉग्स के साथ दौड़ने के लिए छोड़ देते हैं. परिसर में छोड़ने की स्थिति में क्या कोई मौके पर उनकी निगरानी के लिए मौजूद रहता है. ध्यान रखें कि दोस्ताना डॉग्स के बीच भी लड़ाई हो सकती है. छोटे और बड़े डॉग्स की एक समूह में एक साथ वर्जिश नहीं कराई जानी चाहिए. क्या वहां डॉग्स को उनकी नस्ल, आकार, उम्र आदि के आधार पर अलग करके रखने की कोई व्यवस्था है, जिससे कि वो खुश और सुरक्षित रहें?