आप चाहे जिस जगह हों, आपकी जिंदगी का सबसे अहम प्राणी है मच्छर. इसलिए मच्छर के बारे कुछ तथ्य आपको जानने ही चाहिए. तथ्य को गप्प से अलग कर लिया जाय तो जिंदगी की हिफाजत में मदद मिलती है.
सारे मच्छर एक जैसे होते हैं
तथ्य – अलग-अलग प्रजाति के मच्छर आपस में एक-दूसरे से उतने ही अलग होते हैं जितना कोई शेर घरेलू बिल्ली से. उनका बर्ताव एक-दूसरे से अलग होता है. क्या खाना है और कहां रहना है जैसी बातों में उनकी पसंद एक-दूसरे से बहुत जुदा होती है. मच्छरों की कुछ प्रजातियां शहराती होती हैं और गंवई इलाकों में उनके लिए रहना बहुत मुश्किल साबित होता है. मच्छरों की कुछ प्रजातियां सिर्फ खास इलाकों में ही रहती और पनपती हैं. आप जिस परिवेश में रहते हैं वह किस मच्छर के ज्यादा माफिक है इस बात का गहरा रिश्ता आपको धर दबोचने वाले रोगों से हैं.
सभी मच्छरों से रोग होते हैं
तथ्य – दुनिया में मच्छरों की 3000 से ज्यादा प्रजातियां हैं इनमें कुछ सौ प्रजातियां ही चिकित्सा-विज्ञान के लिहाज से महत्वपूर्ण हैं. मच्छरों की ज्यादातर प्रजातियां मनुष्यों को काटती भी नहीं—इनकी कुछ प्रजातियों को उभयचर प्राणी(एम्फीबियन्स), चिड़िया, घोड़े और सरीसृप(रेंगनेवाले) प्राणी ज्यादा पसंद आते हैं. मच्छरों की विशेष प्रजाति किसी खास रोगाणु की वाहक होती हैं.
ये भी पढ़ें: अ'स्वस्थ तंत्र पार्ट 1 : इंसेफेलाइटिस नहीं, अव्यवस्था से मर रहे हैं नौनिहाल
मिसाल के लिए वेस्ट नील वायरस तथा सेंट लुइस वायरस जेनेरा क्यूलेक्स प्रजाति के मच्छर के काटने से फैलता है. चिकनगुनिया, डेंगू तथा पीतज्वर(यलो फीवर) का रोग एडिज प्रजाति के मच्छरों के कारण होता है. जीका वायरस का वाहक एडिज एजिप्टी या एडिज एल्बोपिक्टस प्रजाति का मच्छर है जबकि मलेरिया का रोग एनोफिलिज जीनस प्रजाति के मच्छरों के कारण होता है.
सूखे का मतलब है मच्छर कम होंगे
तथ्य – मच्छर पानी में अंडे देते और पनपते हैं लेकिन सूखे की स्थिति उनके लिए बड़ी लुभावनी होती है और इस कारण ऐसी हालत में मच्छरों के रोग भी ज्यादा हो सकते हैं. सूखे की हालत में पानी बेशक कम हो जाता है लेकिन वह गंदा भी ज्यादा होता है. पानी के स्रोत कम पड़ जाने के कारण चिड़िया और मच्छर एक ही साथ इन स्रोतों के इर्द-गिर्द आ जुटते हैं ताकि पानी का उपयोग कर सकें और एक तथ्य यह भी है कि बहुत से पक्षी मच्छरों से पैदा होने वाले रोगों के वाहक होते हैं और ये रोग मनुष्यों को लगते हैं.
नर मच्छर और मादा मच्छर दोनों ही मनुष्यों को काटते हैं
तथ्य – सिर्फ मादा मच्छर ही काटती है क्योंकि अंडे जनने के लिए उसे हमारे खून के प्रोटीन की जरूरत होती है. नर मच्छर अपना आहार किसी और स्रोत से जुटाते हैं जैसे कि फूल के रस से.
ये भी पढे़ं: अ'स्वस्थ तंत्र पार्ट 2 : 65 वर्षीय चुनी हुई सरकार बनाम 65 वर्षीय इंसेफेलाइटिस
मच्छरों को 'मीठे खून' वाले लोग पसंद हैं
तथ्य – ना, ऐसी बात नहीं है कि ब्लड शुगर (मधुमेह के रोगी) वाले लोग मच्छरों को ज्यादा पसंद आते हैं. शोधकर्ताओं को पता चला है कि मच्छरों को कार्बन डायऑक्साइड, लैक्टिक एसिड और जीवाणुओं(बैक्टिरिया) के कुछ खास स्ट्रेन पसंद होते हैं. ये कुछ लोगों में ज्यादा सांद्रता (कंसंट्रेशन) में मौजूद होते हैं. कुछ लोगों में कार्बन डायऑक्साइड ज्यादा होता है. कुछ लोगों को पसीना ज्यादा आता है. अगर आप खूब कसरत करते हैं तो मच्छर आपकी तरफ आकर्षित होंगे क्योंकि कसरत के कारण कार्बन डायऑक्साइड, पसीना और लैक्टिक एसिड का बेहतरीन कांम्बिनेशन(मेल) मच्छर को एक ही जगह मिल जाएगा. पसीने में लैक्टिक एसिड होता है. इसका मतलब हुआ कि दौड़ लगाने के बाद अगर आप खुले में बैठते हैं तो मच्छर आपको ज्यादा काटेंगे. मच्छर के काटने में खुश्बू की भी भूमिका होती है.
मच्छर ओ बल्ड-ग्रुप वालों को पसंद करते हैं
तथ्य – नहीं, ब्लड-ग्रुप का कोई असर नहीं पड़ता. मच्छर के अंडे जनने के लिए शुगर की नहीं प्रोटीन की जरूरत होती है, इसी वजह से वे लोगों को काटते हैं. मनुष्य की आनुवांशिकी(जेनेटिक्स) के कुछ पहलू जैसे कि त्वचा के जीवाणु (बैक्टिरिया) मच्छरों को भले आकर्षित करते हों लेकिन ब्लड-ग्रुप मच्छरों को आकर्षित करने वाली चीजों में शामिल नहीं है.
गोरे लोगों को मच्छर ज्यादा काटते हैं
तथ्य – हर रंग के लोगों को मच्छर समान रूप से काटते हैं. दरअसल, गोरी त्वचा वाले लोगों के शरीर पर मच्छर के काटे का निशान ज्यादा उभरकर दिखाई देता है.
ये भी पढ़ें: अ'स्वस्थ' तंत्र पार्ट 3 : इंसेफेलाइटिस के आंकड़ों पर झूठ तो नहीं बोल रहीं सरकारें?
आपका डील-डौल जैसा भी हो, मच्छर आपको समान रूप से काटेंगे
तथ्य – मच्छरों को दुबले-पतले और छोटे कद के लोगों की तुलना में मोटे-तगड़े, लंबे लोग पसंद होते हैं. वयस्कों को मच्छर बच्चों की तुलना में ज्यादा काटेंगे. ऐसे ही महिलाओं की तुलना में मर्दों को मच्छर ज्यादा काटते हैं. इसकी वजह शायद ये है कि बड़ी कद-काठी के लोग ज्यादा मात्रा में कार्बन डायऑक्साइड और देह का तापमान निकालते हैं. साथ ही, मच्छर को अपना भोजन हासिल करने के लिए चौरस जगह भी मिल जाती है.
गर्भवती महिलाओं को मच्छर ज्यादा काटते हैं
तथ्य – सही है, गर्भवती महिला के शरीर से ज्यादा तापमान और कार्बन डायऑक्साइड निकलता है. लहसुन, विटामिन बी सप्लीमेंटस्(पूरक औषधि) और केला मच्छर को दूर भगाते हैं:
शराब पीने वालों की तरफ मच्छर कहीं ज्यादा आकर्षित होते हैं
तथ्य – बुर्कीना फासो में हुए एक अध्ययन के मुताबिक अगर आप बीयर पीते हैं तो मच्छर आपकी तरफ ज्यादा आकर्षित होंगे.
अगर आप घर या दफ्तर के अंदर हैं और वहां एयरकंडीशनिंग है तो फिर आप मच्छरों से बचे रह सकते हैं
तथ्य – मच्छरों से बचना चाहते हैं तो दिन में एक विशेष समय, खासकर शाम के वक्त बाहर निकलने से परहेज कीजिए. दरवाजे-खिड़की बंद करके घर में रहने से मच्छर कम काटेंगे. लेकिन मच्छर घर में भी परेशानी खड़ी कर सकते हैं. कुछ मच्छर, जैसे कि एडिज एजिप्टी घर और बगीचे के कोने-अंतरे में छुपे होते हैं. कुछ मच्छर बॉयलर रूम और पेड़-पौधे वाले गमलों में अंडे जनते हैं. इसलिए, मच्छरों की ज्यादा आशंका वाली जगह पर बेहतर यही है कि मच्छरदानी लगाकर सोया जाए.
ये भी पढ़ें: ‘अ’स्वस्थ तंत्र पार्ट 4: शिशुओं की चीख बनाम कागजी तंत्र
दलदली या पानी वाली जगहों के आस-पास रहना खतरनाक हो सकता है, मच्छरों से छुटकारे के लिए ऐसी जगहों को सूखा बनाना पड़ेगा
तथ्य – मच्छरों को गीली, गर्म और झाड़ीदार जगहें खूब पसंद हैं लेकिन इन्हें हटा दिया जाए तब भी मच्छरों की आबादी और मच्छरों के कारण पैदा होने वाले रोगों पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
कई मच्छर मनुष्यों की रहने वाली जगहों पर बड़ा सकून महसूस करते हैं. एडिज एजिप्टी प्रजाति का मच्छर मनुष्यों के साथ ही रहता है क्योंकि इससे उसके लिए खून हासिल करना आसान हो जाता है. एडिज एजिप्टी प्रजाति की मादा मच्छर खाली कनस्तरों या कह लें ऐसी चीजों में अंडे जनती है जो भीतर से खाली होते हैं साथ ही धरती से ऊपर रखने के लिए उनकी तली में एक आधार(गोड़ा या पाया) लगा होता है, मिसाल के लिए, फूलों वाले गमले, गुलदान, टायर, बाल्टी, प्लांटर्स, खिलौने, बर्डबाथ, फेंक दिए गए शीशी-बोतल, ढक्कन आदि.
इसी वजह से अपने घर, बगीचे या आस-पड़ोस की जगहों पर नजर रखनी पड़ती है कि वहां ये चीजें ना पड़ी हों. ऐसी चीजों नजर जाए तो उन्हें पलटिए, खाली कीजिए और सुखा लीजिए. बर्डबाथ और फाउंटेन को हफ्ते में कम से कम एक दफे खाली करके उसमें नए सिरे से पानी भरना चाहिए. इससे मच्छरों को पनपने का मौका नहीं मिलेगा.
सूखी और ठंढ़ी जलवायु वाली जगहों से मच्छर दूर रहते हैं
तथ्य – अब यह बात सच नहीं रही. शोध से पता चलता है कि मिट्टी में नमी का स्तर बढ़ने के साथ मच्छरों की तादाद में बढ़ोतरी होती है—कोई जगह सूखी भी हो तो वहां बारिश होने, बर्फ पिघलने या बर्फबारी होने पर इतनी नमी पैदा हो जाती है कि मच्छर आसानी से अपनी आबादी बढ़ाएं.
मच्छरों को खाने के लिए चमगादड़ों का होना जरूरी है
तथ्य – यह बात तो ठीक है कि चमगादड़ कीड़े-मकोड़े खाने में उस्ताद होते हैं लेकिन मच्छर इतने छोटे होते हैं कि चमगादड़ उन्हें खाने के लिए नहीं ललचाते. बेशक चमगादड़ मच्छरों को अपना आहार बनाते हैं लेकिन वे मच्छरों को बड़ी संख्या में नहीं खाते क्योंकि मच्छरों को पकड़ने में उन्हें ज्यादा ऊर्जा खर्च करनी पड़ती है जबकि मच्छरों को खाने से उतनी ऊर्जा नहीं मिलती.
मच्छर सिट्रोनेला कैंडल और लिस्टरीन से नफरत करते हैं
तथ्य – यह दादी मां का नुस्खा है कि एक बर्तन में पानी भर दो, उसमें कुछ बूंदें लिक्विड सोप की डाल दो, लिस्टरिन का स्प्रे करो या फिर नींबू में लौंग गूंथकर रखो तो मच्छर भाग जाएंगे. ये नुस्खे काम नहीं आते. सिट्रोनेला कैंडिल अपने एकदम आस-पास की जगह के अलावा बाकी जगहों के मच्छर नहीं भगा पाता. कैंडल से मच्छर तभी भाग सकते हैं जब उससे धुआं निकलता हो क्योंकि कीट-पतंग धुआं पसंद नहीं करते.
ये भी पढ़ें: ‘अ’स्वस्थ तंत्र पार्ट 5: राजनीतिक मकड़जाल में फंसा पूरबियों का स्वास्थ्य
सो, सिट्रोनेला कैंडल जो काम करता है वही काम कोई और कैंडल भी कर सकता है. सिट्रोनेला से निकलने वाली बू मच्छर भगाने के लिहाज से कमजोर होती है—इसके पौधे की पत्तियां ज्यादा कुचले जाने के बाद ही कारगर हो पाती हैं. सिट्रोनेला के तेल का बेशक कुछ असर होता है. इसी तरह लैवेंडर या पिपरमिंट के तेल का भी मच्छरों पर असर होता है लेकिन यह असर बहुत कारगर नहीं होता.
लिस्टिरिन में कुछ हिस्सा यूकलिप्टॉल का होता है लेकिन यूक्लिप्टस आधारित मॉस्क्यूटो रिपेलेन्ट में यह रसायन तकरीबन 75 फीसद होता है जबकि माऊथवॉश में यूक्लिप्टॉल अमूमन 1 प्रतिशत से भी कम होता है. जाहिर है, अगर लिस्टरिन मच्छर भगाने का काम करता है तो फिर इससे बहुत कम मच्छर भागेंगे और देर तक मच्छरों को भगाये रखना तो लिस्टरिन के सहारे खैर संभव ही नहीं.
अगर आप बाहर बैठना चाहते हैं तो वहां बड़ा सा पंखा लगा लीजिए. मच्छरों को चलती हवा में उड़ने में बहुत कठिनाई होती है.
यूक्लिप्टस कारगर होता है
तथ्य – सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के प्रकाशित शोध से पता चलता है कि लेमन यूक्लिप्टस से बने उत्पाद मच्छरों को भगाने में कारगर हो सकते हैं. इन उत्पादों का सक्रिय रसायन पारा-मीथेन-डियोल होता है जो यूक्लिप्टस के पेड़ से हासिल किया जाता है. लेकिन पेड़-पौधों के सहारे बनाए ऐसे ज्यादातर उत्पादों (प्रोडक्ट्स) का उपयोग बार-बार करना होता है, तकरीबन 10 से 20 मिनट के अंतराल पर इनका उपयोग करना पड़ता है.
मच्छर ज्यादातर रात में हमला करते हैं
तथ्य – मच्छरों की कुछ प्रजातियां जैसे कि क्यूलेक्स शाम के समय हमलावर होती हैं लेकिन कुछ अन्य प्रजातियां जैसे कि एडिज एजिप्टी दिन में काटती हैं. कुछ मच्छर सुबह और शाम दोनों वक्त काटते हैं.
मच्छर किसी खास रंग की तरफ आकर्षित नहीं होते
तथ्य – यह तथ्य विवादास्पद है. कई वैज्ञानिकों का दावा है कि मच्छर रंगों की तरफ आकर्षित नहीं होते जबकि कुछ अन्य वैज्ञानिकों का कहना है कि मच्छर काले और गहरे रंग की ओर आकर्षित होते हैं. मच्छर गर्मी को पसंद करते हैं. चूंकि काला रंग ज्यादा गर्मी सोखता है इसलिए संभव है मच्छर काले रंग की तरफ आकर्षित होते हों.
ये भी पढ़ें: ‘अ’स्वस्थ तंत्र' पार्ट 6: इंसेफेलाइटिस के इलाज के लिए चीन के भरोसे है विकसित भारत!
क्या मच्छर प्रकाश की तरफ आकर्षित होते हैं ?
तथ्य – बहुत से कीट-पतंगों और मच्छरों को कृत्रिम प्रकाश(बनावटी रोशनी) की लौ बहुत लुभावनी लगती है. इसलिए, इस सवाल का शुरुआती जवाब है- हां. लेकिन ज्यादातर रोशनी से गर्मी निकलती है इसलिए कहना होगा कि मच्छर गर्मी से आकर्षित होते हैं.
मच्छर जितना ज्यादा खून चूसेगा आपके शरीर पर उतने ही बड़े चकत्ते बनेंगे: तथ्य – मच्छर के काटने से देह पर बने चकत्ते का रिश्ता उसके द्वारा चूसे गए खून की मात्रा से कतई नहीं है. चकते का आकार कितना बड़ा होगा यह बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि आपके शरीर की रक्षा-प्रणाली(इम्यून सिस्टम) चमड़ी में घुसे मच्छर के राल(सलाइव) को लेकर क्या प्रतिक्रिया करती है.
मच्छर के 47 दांत होते हैं
तथ्य – मच्छरों के दांत बिल्कुल नहीं होते. मच्छरों के एक नोंकदार सूंड़ होती होती. पाइपनुमा यह बनावट मच्छरों के मुंह से लगी होती है और इसके निचले सिरे पर 47 धारदार कोण बने होते हैं. इससे मच्छर को आपकी चमड़ी में छेद करने और खून चूसने में आसानी होती है.
मच्छर आपको काटते वक्त आप पर यूरिनेट(पेशाब) कर देते हैं
तथ्य – मच्छर का पेट खून चूसकर भर जाता है तो उसके लिए अपने शरीर से किसी चीज को निकालना जरूरी हो जाता है ताकि उड़ सके. मच्छर के शरीर से निकलने वाली चीज मूत्र नहीं होती. एनोफिलिज मच्छर एक प्लाज्मा द्रव बाहर निकालता है जबकि अन्य प्रजाति के मच्छर अपने शरीर से बेकार हो चुका तरल पदार्थ बाहर निकालते हैं.
बिजली से काम करने वाली अल्ट्रासाउंड वेबमशीन और अल्ट्रासाउंड ब्लू लाइट्स मच्छर पकड़ते है
तथ्य – एकदम गलत. इनका कोई असर नहीं होता. यह बस बाजार के टोटके हैं.
सबसे कारगर मॉस्क्यूटो रिपेलेन्ट कौन सा है ?
तथ्य – बाजार में मिलने वाले ज्यादातर रिपेलेन्ट में कीट-पतंगों को भगाने वाले रसायन डीईईटी यानि डायइथाइल मेटा टोल्यूमाइड का इस्तेमाल होता है. मच्छर मनुष्य को खोजने के लिए अपने एंटेना का इस्तेमाल करते हैं और डीईईटी इस एंटेना के संवेदी तंतुओं(रिसेप्टर्स) को कुंद कर देता है.
रासायनिक(केमिकल) रिपेलेन्ट खतरनाक होते हैं
तथ्य – मुझे रिपेलेन्ट के तौर पर केमिकल के इस्तेमाल से नफरत है लेकिन यह बात साबित हो चुकी है कि केमिकल्स से मच्छर दूर भागते हैं, फिर लोशन या अन्य प्रॉडक्ट्स में केमिकल के इस्तेमाल को लेकर एक सुरक्षित सीमा भी निर्धारित है. डीईईटी का विकास अमेरिकी सेना ने 1946 में किया और 1957 में इसे मनुष्यों के इस्तेमाल के लिए रजिस्टर्ड(पंजीकृत) किया गया. अगर बताए गए निर्देशों के हिसाब से इस्तेमाल किया जाए तो डीईईटी सुरक्षित साबित होता है. इसे निगलना, सांस के तौर पर फेफड़े में लेना, घाव, कटी या उत्तेजित चमड़ी पर लगाना ठीक नहीं.
एक और विकल्प एवॉन स्किन-सो-सॉफ्ट का है. इसके नुस्खे में पिकारिडीन का इस्तेमाल होता है. गुलमिर्च की उपज देने वाले पौधे में जो प्राकृतिक रसायन पाया जाता है, बहुत कुछ उसके गुणों से पिकारिडीन मेल खाता है. यह आईआर3535 ( एमिनो एसिड बी-एलानाइन से कुदरती तौर पर निकलने वाला रसायन) से भी मेल खाता है. लेकिन इसका इस्तेमाल हर 20 मिनट के अंतराल पर करना जरूरी है.
ये भी पढे़ें: ‘अ’स्वस्थ तंत्र-7: बिलखते नौनिहालों पर भारी सरकारी उदासीनता
क्या हमें ऐसे उत्पाद(प्रॉडक्ट्स) खरीदने चाहिए जिसमें सनस्क्रीन और मॉस्क्यूटो रिपेलेन्ट का मिश्रण होता है ?
नहीं, सनस्क्रीन अपने मिजाज में नर्म होता है और यह सोचकर बनाया जाता है कि उसका इस्तेमाल अक्सर होगा जबकि डीईईटी को सीमित इस्तेमाल के लिए बनाया गया है. अगर डीईईटी और सनस्क्रीन को मिलाया जाता है तो इन दोनों चीजों के प्रभाव में कमी आएगी.
हंदवाड़ा में भी आतंकियों के साथ एक एनकाउंटर चल रहा है. बताया जा रहा है कि यहां के यारू इलाके में जवानों ने दो आतंकियों को घेर रखा है
कांग्रेस में शामिल हो कर अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत करने जा रहीं फिल्म अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर का कहना है कि वह ग्लैमर के कारण नहीं बल्कि विचारधारा के कारण कांग्रेस में आई हैं
पीएम के संबोधन पर राहुल गांधी ने उनपर कुछ इसतरह तंज कसा.
मलाइका अरोड़ा दूसरी बार शादी करने जा रही हैं
संयुक्त निदेशक स्तर के एक अधिकारी को जरूरी दस्तावेजों के साथ बुधवार लंदन रवाना होने का काम सौंपा गया है.