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डेंगू-चिकनगुनिया के मामले बढ़े, जानिए कैसे बचेगी दिल्ली!

दिल्ली में मलेरिया के 225, चिकनगुनिया के 183 और डेंगू के 150 मामले सामने आए हैं

mohini Bhadoria

दिल्ली का नाम सुनते ही अक्सर लोग घूमने की बातें करते हैं. ऐतिहासिक स्थलों और स्मारकों को चमकाने में सरकार ने काफी पैसा खर्च किया है. लेकिन सैलानियों को जो दिल्ली नजर आती है वह असली दिल्ली नहीं है. असली दिल्ली की हालत बस दिल्लीवाले जानते हैं.

डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया, स्वाइन फ्लू और वायरल फीवर जैसी बीमारियों की चपेट में 2017 में अब तक 400 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. पूर्वी दिल्ली के कल्याणपुरी और त्रिलोकपुरी इलाके की हालत ऐसी है जहां आप बिना मुंह पर कपड़ा रखे नहीं जा सकते.


वहां की गलियां पूरी तरह कीचड़ से लथपथ हैं. वहां रह रहे लोगों का कहना है कि सरकारें वादें तो करती है सिर्फ तभी जब वह वोट मांगने आती हैं. इसके बाद तो ये लोग झांकने तक भी नहीं आते.

डेंगू चिकनगुनिया के मामलों में बढ़ोत्तरी

एमसीडी की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली में मलेरिया के मामले 225 तक पहुंच चुके हैं. इसके अलावा चिकनगुनिया के मामले भी बढ़कर 183 हो चुके हैं. डेंगू के भी 41 नए मामले सामने आने के बाद कुल मामले बढ़कर 150 हो चुके हैं.

लोगों का कहना है घरों के आगे से नाले का कचरा निकाल तो दिया जाता है लेकिन वह अगले महीनों तक घर के बाहर ही पड़ा रहता है. उसकी सफाई करने एमसीडी के कर्मचारी कई महीने बाद आते हैं, तब तक लोग उस बीमारी का शिकार हो चुके होते हैं. वैसे भी, बारिश के सीजन में डेंगू-चिकनगुनिया जैसी बीमारियां शुरू होने का डर रहता है. लेकिन लोगों के हिसाब से न मच्छरों की दवा छिड़की जा रही है और न ही गलियों के गड्ढे ठीक हो रहे हैं.

अगर हम बारिश में इलाकों की हालत देखें तो पटपड़गंज, गीता कॉलोनी, लक्ष्मीनगर, वेलकम कॉलोनी, त्रिलोकपुरी, ब्रह्मपुरी और गौतमपुरी में स्थिति काफी खराब है. यहां जरा सी बारिश होने पर ही पानी भर जाता है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, डेंगू भारत के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में महामारी है. साल 2015 में देशभर में डेंगू के कुल 99,913 मामले सामने आए थे और 220 लोगों की मौत हो गई थी.

लेकिन सरकार का कहना है कि उनकी तैयारियां डेंगू, चिकनगुनिया वाले मरीजों के लिए पूरी है.

कैसे होता है डेंगू

डेंगू का बुखार एडीस मच्छर के काटने से होता है. इसके बाद पूरे शरीर में दर्द होना शुरू हो जाता है. जुलाई से लेकर अक्टूबर के महीने में लगातार बारिश होने के कारण मच्छर पनपते हैं. वैसे ये मच्छर साफ पानी में ही पनपते हैं. इन मच्छरों का प्रकोप ज्यादातर दिन के वक्त ही होता है. एडीज मच्छर 3 फीट से ज्यादा ऊंचाई पर नहीं उड़ पाते हैं.

डॉक्टरों के मुताबिक एडीस मच्छर के डंक मारने के बाद बीमारी के लक्षण 3, 4 दिन बाद दिखने लगते हैं. इससे अधिक समय भी लग सकता है. डॉक्टर बताते हैं कि जब कोई एडीज मच्छर काटता है तो वह इंसान का खून चूसता है और खून में डेंगू का वायरस छोड़ देता है फिर अगर वही मच्छर दूसरे व्यक्ति को काट लेता है तो वो भी डेंगू की चपेट में आ जाता है.

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कितने तरह का होता है डेंगू फीवर 

डेंगू फीवर 3 तरह का होता है जिसमें से दो बुखार बेहद खराब माने जाते हैं. डॉक्टरों का मानना है कि तीन तरह के बुखार जैसे की क्लासिकल डेंगू फीवर, डेंगू हैमरेजिक फीवर (डीएचएफ), डेंगू शॉक सिंड्रोम (डीएसएस). इन तीनों में से सबसे ज्यादा खराब डीएचएफ और डीएसएस होता है क्योंकि इससे ग्रस्त मरीज को अगर जल्द ही हॉस्पिटल में एडमिट नहीं कराया गया तो उसकी मौत हो सकती है.

तेज बुखार, जोड़ों में दर्द या शरीर पर रैशेज दिखाई दे तो तुरंत डेंगू का चेकअप करा लेना चाहिए. इन लक्षणों के अलावा सिर के आगे वाले हिस्से में जोर का दर्द होता है और भूख नहीं लगती. ये लक्षण इतने आम दिखाई देते हैं कि लोग अक्सर इन्हें नजरअंदाज कर देते हैं.

डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियों का इलाज बहुत महंगा होता है इनमें अक्सर लोग लापरवाही दिखाते हैं. लेकिन सतर्कता बरतनी होगी और अपने शरीर पर पूरा ध्यान रखना होगा.

साफ-सफाई की सुध लेने वाला कोई नहीं

कल्याणपुरी इलाके की निवासी सरिता बताती हैं कि यहां सफाई की सुध लेने कोई नहीं आता है, महीने हो जाते हैं लेकिन कूड़ा इसी तरह पड़ा रहता है. इन लोगों को पानी की सुविधा भी नहीं दी जा रही. बारिश होने पर इनके घरों के आगे पानी भर जाता है, जिसकी वजह से लोग परेशान होकर खुद इस समस्या का हल निकालते है.

नाले की सफाई के लिए सफाईकर्मी आते हैं लेकिन उसके बाद भूल जाते हैं कि उसे वहां से उठाना भी है. डेंगू और चिकनगुनिया जेसी बीमारियों से बचने के लिए इन लोगों के पास कोई उपाय नहीं है. सरिता कहती हैं कि हम शिकायत करते हैं तो एमसीडी वाले 'ठीक है हो जाएगा' कहकर टाल देते हैं.

आस-पास का वातावरण रखें साफ

मच्छरों से पैदा होने वाली बीमारियों से बचने के लिए लोगों को सबसे पहले जागरूक होना पड़ेगा. आस-पास को साफ रखने के लिए जगहों को गड्ढामुक्त रखें. गड्ढों को मिट्टी से भर दें, रूकी हुई नालियों को साफ करें. अगर पानी जमा होने से रोकना मुमकिन नहीं है तो उसमें पेट्रोल या केरोसिन तेल डालें.

ऑफिस हो या घर, कूलरों को हर हफ्ते एक बार साफ करें और उसे सुखा देने के बाद ही दुबारा उसमें पानी भरें. अगर कूलर बड़ा है और साफ नहीं किया जा सकता तो उसमें पेट्रोल या केरोसिन डाले. घर में टूटे-फूटे डिब्बे, टायर, बर्तन, बोतलें वगैरह न रखें. डेंगू के मच्छर साफ पानी में पनपते हैं, इसलिए पानी की टंकी को अच्छी तरह बंद रखें.

पानी में मच्छरों को पनपने से रोकने वाले टेमिफोस ग्रैन्यूल्ज लेने के लिए सरकारी कार्यालयों के नोडल अधिकारी और निगम के क्षेत्रीय उप-स्वास्थ्य अधिकारियों से संपर्क कर सकते हैं.