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आखिर कब तक रुलाती रहेंगी दिल्ली पुलिस की लापरवाहियां?

अब सवाल यह उठता है कि क्या विभागीय कार्रवाई से दिल्ली पुलिस पाक-साफ हो जाएगी? मृतक अभिषेक के परिवार को दिल्ली पुलिस क्या जवाब देगी?

Ravishankar Singh

पिछले दिनों दिल्ली पुलिस के द्वारा लगाई गई बैरिकेडिंग ने एक घर के चिराग को हमेशा के लिए बुझा दिया. उत्तरी दिल्ली के सुभाष प्लेस इलाके में हुई इस घटना ने दिल्ली पुलिस की लापरवाही को भी उजागर कर दिया है. बीते बुधवार की रात दिल्ली यूनिवर्सिटी के एक छात्र अभिषेक की मौत बैरिकेड में बंधे तार में फंसने के कारण हो गई.

इस घटना के सामने आने के बाद दिल्ली पुलिस ने इलाके के एसएचओ को लाइन हाजिर कर दिया है. साथ ही 6 पुलिसकर्मियों को निलंबित भी कर दिया है, लेकिन अभिषेक की मौत ने सालों से चली आ रही दिल्ली पुलिस की ढुलमुल रवैये को भी उजागर कर दिया है.


बैरिकेडिंग पर पुलिस का होना अनिवार्य

पिछले दो दिनों से अभिषेक की मौत की खबर की सोशल साइट्स पर इसलिए चर्चा हो रही है क्योंकि इस घटना से ठीक पहले उसी जगह पर दो और लोग बैरिकेडिंग में बंधे तार से फंसकर घायल हो चुके हैं. ये काफी चौंकाने वाली बात है क्योंकि कानून यह कहता है कि जहां बैरिकेड है, वहां पुलिस का होना अनिवार्य है.

जब कानून के रखवाले ही लापरवाही करने लगें तो आपको फिर किस पर भरोसा होगा? कानून का पालन किस तरह से किया जाए, यह सिखाने वाले ही अगर लापरवाही करें तो आम जनता क्या करेगी? किसी की मौत पुलिस की लापरवाही से हो जाए तो फिर आपका विश्वास कबतक कानून पर बना रहेगा?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जिस स्थान पर बैरिकेड को खंभे से बांधा गया था, वहां कई बार पहले भी हादसा होता रहा है. कुछ महीने पहले ही सूरज नाम का एक युवक हादसे का शिकार होते-होते बच गया था.

पहली भी हुई थी दो घटना

इसी जगह पर हाल ही में एक और लड़के नवीन का बैरिकेड में बंधे तार से गला कटते-कटते बचा था. मौत को काफी करीब से देखने वाला नवीन पिछले साल नवंबर में बाइक से घर लौट रहा था, तभी उसी जगह पर बैरिकेड लोहे की तार से खंभे से बंधा था. नवीन की बाइक की रफ्तार कम थी इसके बावजूद उसका गला कट गया. मौके पर मौजूद लोगों की मदद से नवीन को समय रहते अस्पताल पहुंचाया गया जहां उसकी जान काफी जद्दोजहद के बाद बचाया गया था.

नवीन और सुरज के साथ हुई घटना और बुधवार रात अभिषेक के साथ हुई घटना ने दिल्ली पुलिस की कार्यशैली पर गहरा सवाल खड़ा किया है. जिस जगह पर बैरिकेडिंग होती है वहां पर दो कांस्टेबल का तैनात होना अनिवार्य होता है. रात 10 बजे से लेकर सुबह पांच बजे तक हर हालत में पुलिसकर्मी मौजूद रहेंगे. पुलिसकर्मी अगर वहां से जाएंगे तो बैरेकेडिंग हटाकर ही जाएंगे.

लेकिन, होता है क्या? रात में पुलिसकर्मी दो बैरिकेड को एक साथ जोड़कर चेन या बिजली के खंभे या दूसरे किसी चीज से बांधकर चले जाते हैं. रात में दूर से आ रहे चालक खासकर बाइक सवार को दूर से चेन या तार नजर नहीं आता है. बाइकर्स को लगता है बैरिकेडिंग के बगल से निकलने का रास्ता है. इसी गलतफहमी में लोग हादसे का शिकार हो जाते हैं.

नहीं होता गाइ़डलाइंस का पालन

नियम यह भी है कि बैरिकेडिंग वाले जगह पर मौजूद पुलिसकर्मी अपना नंबर इलाके आरडब्ल्यूए या किसी दूसरे शख्स को यानी दुकानदार जैसे लोगों के देंगे, ताकि अगर किसी भी तरह की कोई परेशानी या कोई आपातकालीन स्थिति पैदा हो तो तुरंत ही रास्ता खुलवाया जा सके. खास कर जिन रास्तों पर अंधेरा रहता है वहां बैरिकेडिंग के ऊपर लाइटिंग की व्यवस्था करना भी अनिवार्य होता है. लेकिन, इन सभी गाइडलाइंसों को दिल्ली पुलिस ही नहीं लगभग सभी राज्यों की पुलिस दरकिनार करती हैं.

पिछले दिनों हुई अभिषेक की मौत पर उसके पिता ने दिल्ली पुलिस पर काफी गंभीर आरोप लगाए हैं. अभिषेक के पिता के मुताबिक, ‘20 मिनट तक मेरा बेटा घायल तड़पता रहा, जबकि घटनास्थल से कुछ ही दूरी पर पीसीआर वैन खड़ी थी. पीसीआर वैन में मौजूद पुलिसकर्मियों ने किसी तरह की कोई मदद नहीं की. पीसीआर वैन में मौजूद पुलिसकर्मी के खिलाफ भी कार्रवाई की जाए.’

अभिषेक की मौत से उसके परिवारवालों का रो-रो कर बुरा हाल है. इस परिवार में पिछले आठ महीने में तीन लोगों की मौत हो चुकी है. अभिषेक के जानने वालों के मुताबिक वह दिल्ली पुलिस में एसआई बनना चाहता था, लेकिन उसे क्या पता था कि उसकी मौत का कारण दिल्ली पुलिस ही बनेगी.

दिल्ली पुलिस की इस लापरवाही पर गैर इरादतन हत्या की धारा में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है. साथ ही एसएचओ अरविंद शर्मा को लाइन हाजिर कर दिया गया है. वहीं, एसआई संदीप डबास, एएसआई रविंदर, हेड कांस्टेबल जितेंद्र कांस्टेबल बलकरी, मुकेश और गौरव को निलंबित कर दिया गया है.

राजधानी के लुटियन जोन एरिया के बैरिकेडिंग पर पुलिसकर्मी तैनात तो जरूर दिखते हैं, लेकिन दिल्ली के दूसरे हिस्सों और जहां पर अभिषेक की मौत हुई है वैसे एरिया में पुलिसकर्मी कम ही नजर आते हैं. नियम कहता है कि जहां भी बैरिकेडिंग होगी पुलिसकर्मी जरूर तैनात होंगे. खासकर रात में तो बैरिकेडिंग वाली जगह पर पुलिसकर्मी की तैनाती तो हर हाल में करनी होती है.

अब सवाल यह उठता है कि क्या विभागीय कार्रवाई से दिल्ली पुलिस पाक-साफ हो जाएगी? मृतक अभिषेक का परिवार, जिसमें उसके 63 साल के पिता ने पिछले आठ महीने में बेटा-बेटी के अलावा अपने एक जवान भाई को भी खोया है, उस परिवार को दिल्ली पुलिस क्या जवाब देगी? मृतक अभिषेक के पिता का बुढ़ापे का कौन सहारा बनेगा? ये कुछ सवाल हैं जिसका जवाब दिल्ली पुलिस को देना होगा.