सरकार ने 2020 तक सबको घर दिलाने की योजना बनाई है. इसके लिए खासतौर पर प्रधानमंत्री आवास योजना बनाई गई है. लेकिन कई बार सरकारी कोशिशों का फायदा इसके असली हकदार को नहीं मिल पाता है. ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि सरकार बजट में कुछ ऐसे प्रावधान करे जिससे उसकी स्कीमों का फायदा सही व्यक्ति तक पहुंच सके.
कई प्राइवेट बिल्डरों ने भी प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत अफोर्डेबल हाउसिंग प्रोजेक्ट्स शुरू किए हैं. इस योजना के तहत बिकने वाली प्रॉपर्टीज की कीमत का 90 फीसदी तक लोन मिल सकेगा.
ऐसे में आम आदमी अपनी गाढ़ी कमाई से घर बुक करता है. लेकिन दूसरी तरफ बिल्डर इस प्रोजेक्ट्स में मिले पैसे का इस्तेमाल अपने दूसरे महंगे प्रोजेक्ट्स में लगा देते हैं. जबकि अफोर्डेबल हाउसिंग परियोजना सालों तक लटकी रहती है.
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अब हुआ यह कि सरकार ने अपनी तरफ से आम आदमी के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना का ऐलान किया, लेकिन उसके सही हकदार को यह फायदा नहीं मिल पाया. इस स्कीम का फायदा डिवेलपर्स उठा रहे हैं.
बड़े शहरों में हो रेंटल हाउसिंग
घर के खरीदारों का यह मानना है कि बजट से बड़े शहरों में रेंटल हाउसिंग को बढ़ावा देना चाहिए. करीब दो-तिहाई (62 फीसदी) लोगों का मानना है कि इससे घरों की कमी के संकट से निपटा जा सकता है.
इसमें यह भी सुझाव है कि शहरों में बंद पड़े घरों और बार-बार घरों की खरीदारी पर भारी जुर्माने का भी प्रावधान किया जाए.
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ये आंकड़े पूरे देशभर में ट्रैक 2 रियलिटी के सर्वे में सामने आए हैं. ट्रैक 2 रियलिटी रियल एस्टेट के क्षेत्र में थिंक-टैंक ग्रुप है. ट्रैक 2 रियलिटी ने यह सर्वे नोटबंदी के 50 दिनों के खत्म होने के बाद किया. यह सर्वे दिल्ली-एनसीआर, मुंबई, पुणे, अहमदाबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, कोलकाता, हैदराबाद, चंडीगढ़ और लखनऊ में किया गया.
इस सर्वे को खासकर कमाऊ और रेंट पर रहने वाले लोगों के बीच किया गया. इस सर्वे में 58 फीसदी पुरुष और 42 फीसदी महिलाएं शामिल थीं.
इस सर्वे में 92 फीसदी लोगों का मानना है कि घर की खरीद पर टैक्स की व्यवस्था को और आसान बनाया जाए. साथ ही घर के बनने में होने वाली देरी की वजह से उन्हें टैक्स की छूटों से वंचित नहीं किया जाए.
54 फीसदी लोगों का मानना है कि पिछले बजट में 50 लाख तक के घर की खरीद पर 50,000 रुपए तक टैक्स में छूट की सीमा को बढ़ाना चाहिए. कई मेट्रो सिटीज के लिए यह छूट काफी नहीं है क्योंकि वहां घरों की कीमतें 1 करोड़ तक पहुंच गई हैं.
असली खरीदारों को बजट में राहत की उम्मीद
करीब 72 फीसदी लोगों का यह मानना है कि नोटबंदी से घर की खरीद में उन्हें सीधे कोई लाभ नहीं होगा.
सर्वे में यह भी सामने आया कि 68 फीसदी लोगों को लगता है नोटबंदी के कारण सरकार की लोकप्रियता में आई कमी, पांच राज्यों में होने वाले चुनावों और भारतीय इकॉनोमी को हुए नुकसान की खबरों की वजह से सरकार घर के खरीदारों के लिए कई राहतों की घोषणा कर सकती है.
घर के असली खरीदार जीएसटी पर भी फाइनेंस मिनिस्टर से सफाई चाहते हैं. 58 फीसदी लोगों का कहना है कि उन्हें यह नहीं मालूम कि जीएसटी के लागू होने के बाद उनके पर टैक्स का कितना बोझ पड़ेगा.