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बजट 2017: बीमा का दायरा बढ़ाने के लिए लेने होंगे कड़े फैसले

सरकार बीमा की कम संख्या की समस्या को हल करने के लिए सही बीमा पॉलिसी को आॅफर करने में मदद करे

Yashish Dahiya

सरकार ने ढांचागत विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य  से पिछले साल विकास पर फोकस करने वाला बजट पेश किया था. इसमें काॅरपोरेट क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के लिए कई घोषणाएं की गई थीं.

खासतौर पर, जीवन बीमा क्षेत्र की पैठ को बढ़ाने और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के बढ़ावा देने के लिए कई पहल की गई थी.


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हमारी सरकार से इस बजट में उम्मीद है कि वह बीमा की कम संख्या की समस्या को हल करने और कम आय वाले परिवारों की उम्मीदों के मुताबिक सही बीमा पॉलिसी को आॅफर करने में  मदद करे.

सरकार द्वारा नोटबंदी के क्रांतिकारी कदम के बाद, आने वाले आम बजट से उम्मीदें कहीं अधिक हैं.

हमें डिजिटल भुगतान और आॅनलाइन लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए नीतियों में भारी बदलाव किए जाने की भी उम्मीद है.

खासतौर पर, बीमा क्षेत्र के लिए ये उम्मीदें हैं.

डिलिंग के सभी चैनलों को लाभ मिले

हाल में, सरकार ने पब्लिक सेक्टर की बीमा कंपनियों से जीवन और साधारण दोनों तरह की पाॅलिसी आॅनलाइन खरीदने पर प्रोत्साहन दिया है.

साधारण बीमा के लिए 10 फीसदी और जीवन बीमा के लिए 8 फीसदी तक छूट है.

डिजिटल भुगतान को और ज्यादा बढ़ावा देने और संदेश को जन-जन तक पहुंचाने के लिए, सरकार को यह लाभ डिलिंग के अन्य चैनलों जैसे एजेंट, ब्रोकर और एग्रीगेटर आदि को भी प्रदान करना चाहिए.

इस चैनल का बीमा कराने वाले लोगों के काफी बड़े हिस्से को प्रभावित करने में काफी हद तक योगदान होता है.

टैक्स रिफॉर्म

हेल्थ इंश्योरेंस नागरिकों की वित्तीय सुरक्षा और सामाजिक सुरक्षा बढ़ाने में अहम भूमिका निभाता है.

वर्तमान में, धारा 80डी के तहत हेल्थ इंश्योरेंस के लिए खुद, पत्नी/पति और आश्रित बच्चों के लिए 25000 रुपए के बीमा पर टैक्स छूट की अनुमति है.

वहीं, माता-पिता (आश्रित हों या ना हों ) के लिए 30000 रुपए तक के बीमा पर छूट की अनुमति है.

हमारा मानना है कि सरकार इस छूट की सीमा को माता-पिता के लिए बढ़ाकर 40000 रुपए करे. आजकल, वरिष्ठ नागरिकों के लिए किसी भी उपयुक्त कवर की लागत 40000-50000 रुपए है.

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अभी फैमिली फ्लोटर प्लान में सिर्फ पति-पत्नी और आश्रित बच्चों के लिए ही है. इसमें माता-पिता को भी शामिल करना चाहिए ताकि पॉलिसी लेने पर टैक्स में अधिक छूट मिल सके.

उम्मीदें और भी 

साथ ही हम सरकार से यह भी अपेक्षा करते हैं कि वह जीएसटी के अंतर्गत बीमा को कम रेट वाले कैटेगरी में रखे.

भारत में बीमा की पैठ बहुत ही कम है. यदि बीमा को अधिक कर की श्रेणी में रखा जाता है, मान लीजिए 18 फीसदी, तो इसका सीधा असर अंतिम ग्राहक पर पड़ेगा.

इससे बीमा पॉलिसिज और ज्यादा महंगे हो जाएंगे. इससे बीमा क्षेत्र की पहुंच बुरी तरह प्रभावित होगी. जीएसटी सरकार का एक रणनीतिक और ताकतवर कदम है. जिसका अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.

मैच्युरिटी की आयु सीमा बढ़ाना

वर्तमान में, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना के तहत  मैच्युरिटी की उम्र 55 साल है. जबकि डब्ल्यूएचओ की विश्व सांख्यिकी रिपोर्ट 2016 के अनुसार भारत में औसत आयु 68.3 साल है.

हम सरकार से मैच्युरिटी आयु की सीमा बढ़ाकर 65 साल करने की उम्मीद करते हैं. इन प्रस्तावों का प्राथमिक उद्देश्य किफायती लागत पर सबको सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना है.

साथ ही अपने प्रियजनों के भविष्य को सुरक्षित करना और जरूरत के वक्त फाइनेंसियल स्टेबिलिटी प्रदान करना है.

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ये योजनाएं निचले वर्ग के लिए सर्वाधिक उपयुक्त हैं और वे सामान्य तौर पर 60 की आयु के बाद भी काम करते रहते हैं.

यदि परिवार के लिए कमाई करके लाने वाले मुख्य सदस्य की मृत्यु हो जाती है और परिवार के पास कोई पैसे नहीं है, तो सामाजिक सुरक्षा का उद्देश्य पूरा नहीं होता है. उन्हें जीवन बीमा कवर खरीदने की पूरी प्रक्रिया से गुजरते हुए बहुत बुरा महसूस होता है.

समाज का निचले वर्ग सरकार द्वारा घोषित विभिन्न योजनाओं के कारण बैंकों तक इनकी पहुंच बढ़ी है. मौजूदा संसाधनों को थोड़ा और गति देने से सामाजिक सुरक्षा के लिहाज से इकोनॉमी और बेहतर होगी.