view all

बजट 2017: पेट्रोल पर टैक्स घटा सकती है सरकार

अंतरराष्ट्रीय बाजार में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में भारी गिरावट के बावजूद पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बहुत अंतर नहीं आया है.

FP Staff

सरकार बजट में पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों पर लगाम लगाने के लिए घरेलू कच्चे तेल पर लगने वाले सेस में भारी कटौती कर सकती है.

सरकार के इस फैसले से सरकारी क्षेत्र की तेल कंपनी ओएनजीसी और अनिल अग्रवाल की कंपनी केयर्न इंडिया को लाभ मिलेगा. इससे वैश्विक बाजार में तेल की बढ़ती कीमतों से पेट्रोल-डीजल की दामों को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी.


मनी कंट्रोल ने एक सूत्र के हवाले से बताया कि घरेलू तेल उत्पादकों की मांग पर वित्त मंत्री अरुण जेटली घरेलू कच्चे तेल पर लगने वाले सेस में कमी कर सकते हैं.

2016-17 के आम बजट में वैश्विक बाजार में तेल की कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव के प्रभाव को कम करने के लिए जेटली ने 4500 रुपए प्रति टन लगने वाले सेस को खत्म करके 20 फीसदी एड वलोरेम चार्ज में बदल दिया.

यह भी पढ़ें: बजट 2017: महंगाई दर के साथ बढ़ाए जा सकते हैं रेल किराए

हालांकि तेल उत्पादक कंपनियों का कहना था कि उन्हें अभी 4500 रुपए प्रति टन से अधिक सेस देना पड़ रहा है.

इसकी मुख्य वजह यह है कि पिछले कुछ महीने में विश्व बाजार में कच्चे तेल की कीमत 45 डॉलर प्रति बैरल से बढ़ कर 54 डॉलर प्रति बैरल हो गया है. तेल उत्पादक कंपनियां भारत में उत्पादित कच्चे तेल की बिक्री पर लगने वाले सेस में 8 फीसदी की कमी चाहती हैं.

द आयल इंडस्ट्री (डेवलपमेंट) ऐक्ट, 1974 के तहत घरेलू तेल उत्पादन पर एक्साइज ड्यूटी के तहत सेस लिया जाता है. इस सेस को तेल उत्पादक कंपनियां रिफाइनरियों से नहीं वसूल सकती है. इस वजह से यह सेस उत्पादन पर लगने वाली लागत के ही अंतर्गत आता है.

सेस की वजह से पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कमी नहीं 

2012 में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल के आसपास थी और फिलहाल यह कीमत 54 डॉलर प्रति बैरल के आसपास है. इस दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में भारी गिरावट के बावजूद पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बहुत अंतर नहीं आया है.

यह भी पढ़ें: बजट 2017: 30,000 रुपए के कैश लेनदेन पर भी देना होगा पैन कार्ड

पेट्रोल-डीजल की कीमतों का असर सामानों माल ढुलाई पर भी पड़ता है. इस वजह से दैनिक जरूरत के सामानों जैसे फल, सब्जियों और अनाजों की कीमतें भी काफी बढ़ जाती है. इन सब का असर आखिर में आम आदमी के जेब पर पड़ता है.

सिर्फ तेल उत्पादक कंपनियों को ही नहीं बल्कि नोटबंदी से बेहाल मध्यम और गरीब लोगों को बजट से राहत की उम्मीद है. अगर सरकार घरेलू तेल उत्पादन पर सेस में कमी करती है तो इसका सीधा प्रभाव तेल की कीमतों पर पड़ेगा. इससे पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कमी आएगी और इससे महंगाई को कम करने में भी मदद मिलेगी.

बजट की अन्य खबरों को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.