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भारत की बढ़ती हवाई ताकत से चीन और पाक क्यों है परेशान?

कहा जा सकता है कि आने वाले समय में भारत के दुश्मनों को मुकाबला करने के लिए बार-बार सोचने को मजबूर होना पड़ेगा

Ravishankar Singh

भारत ने सुखोई फाइटर जेट-30 के जरिए सुपर सोनिक ब्रह्मोस मिसाइल का हवा में सफल परीक्षण किया है. हवा में ब्रह्मोस सुपर सोनिक मिसाइल के सफल परीक्षण के बाद भारत की ताकत दुनिया में काफी बढ़ गई है. ब्रह्मोस जैसी मिसाइल चीन और पाकिस्तान जैसे देशों को तो छोड़ दीजिए दुनिया के दूसरे देशों के पास भी नहीं है.

गौरतलब है कि ब्रह्मोस मिसाइल का निर्माण रूस और भारत के संयुक्त प्रयास से किया गया है. इसका नाम भारत की एक नदी ब्रह्मपुत्र और रूस की एक नदी मास्कोवा के नाम पर रखा गया है.


ब्रह्मोस मिसाइल का परीक्षण भारत पहले ही थल और जल क्षेत्र में कर चुका है. हवा में पहली बार इस मिसाइल का परीक्षण किया गया है. हवा में परीक्षण के बाद सुखोई-30 के जरिए ब्रह्मोस मिसाइल को कहीं से भी फायर किया जा सकता है.

आईएनएस राजपूत से ब्रह्मोस मिसाइल के परीक्षण की तस्वीर ( विकीपीडिया से साभार)

भारत के जाने-माने रक्षा विषेज्ञ रिटायर्ड मेजर जनरल एस पी सिन्हा फ़र्स्टपोस्ट हिंदी से बात करते हुए कहते हैं, 'देखिए इस उपलब्धि से भारत डिफेंस सेक्टर में और मजबूत होकर उभरा है. ये युद्ध के क्षेत्र में खासकर चीन और पाकिस्तान के परिप्रेक्ष्य में गेम चेंजर साबित होगा. इस समय ब्रह्मोस सुपर सोनिक मिसाइल विश्व का सबसे तेज सुपर सोनिक क्रूज मिसाइल है. विश्व में रूस को छोड़ दें तो इससे तेज सुपर सोनिक क्रूज मिसाइल किसी के पास नहीं है चाहे वह कोई भी देश क्यों न हो.'

दुनिया में यह पहली बार हुआ है जब सबसे भारी मिसाइल को सुखोई- 30 जैसे एयरक्राफ्ट पर लोड किया गया हो. ब्रह्मोस मिसाइल 2.5 टन वजन का है. विश्व में ऐसा कोई एयरक्राफ्ट नहीं है जिसमें इतने वजन का मिसाइल लोड किया गया हो. यह अपने में अनोखी उपलब्धि है.

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एस पी सिन्हा आगे कहते हैं, 'देखिए ब्रह्मोस सुपर सोनिक क्रूज मिसाइल भारत में अब तीनों वर्जन में उपलब्ध हो गया है. नेवी और आर्मी में इसकी मारक क्षमता 400 किलोमीटर तक की है, लेकिन जो एयरक्राफ्ट के लिए हाल ही में टेस्ट हुआ है उसकी रेंज है 290 किलोमीटर है.

ब्रह्मोस किस तरह साबित करेगा हमारी क्षमता?

अब सवाल यह उठता है कि लड़ाई के समय ब्रह्मोस सुपर सोनिक मिसाइल किस तरह से हमारी क्षमता को स्थापित करेगा? हम आपको बता दें कि यह जो ब्रह्मोस मिसाइल है वह 8.4 मीटर की मिसाइल है. सुखोई-30 विमान एक ही समय में तीन मिसाइल लोड कर दुश्मन के ठिकाने को निशाना बना सकता है.'

गौरतलब है कि इस समय विश्व का कोई भी एयरक्राफ्ट ऐसा नहीं है जो एक समय में तीन मिसाइल लोड करता हो. सुखोई ही एक मात्र ऐसा एयरक्राफ्ट है जो एक साथ तीन ब्रह्मोस मिसाइल लोड कर सकता है. ब्रह्मोस सुपर सोनिक क्रूज मिसाइल आवाज से भी 2.8 मैक यानी लगभग 3 गुना तेज गति से चलता है.

एस पी सिन्हा आगे कहते हैं, 'देखिए जब लड़ाई होती है तो पहले पांच-छह दिनों की लड़ाई काफी अहम मानी जाती है. जिस देश ने अपनी ताकत हवा में जमा ली, वही देश लड़ाई जीतता है. लड़ाई में गाड़ियां हों चाहे टैंक हों ये तभी मुव करती हैं जब उनको डिफरेंट एंगल से एयर सपोर्ट मिलता है. जिस देश को एयर सपोर्ट नहीं है, उनकी मुवमेंट बर्बाद हो जाती है. इसका उदाहरण भारत-पाकिस्तान की 1965 की लड़ाई है.

1965 में जब पाकिस्तान के टैंक भारत की तरफ मूव कर रहे थे तो भारत की तरफ से कुछ दिनों की देरी अवश्य हुई थी लेकिन भारत ने एयर सपोर्ट के जरिए पाकिस्तान के कई टैंकों को बर्बाद कर दिया था.'

हिंदुस्तान एयरोनोटिक्स ने सुखाई-30 एयरक्राफ्ट को नए सिरे से मोडिफाई कर इस तरह से विकसित किया है जिसके तहत ब्रह्मोस मिसाइल अंडर ग्रेविटी से कैरी किया जा सके. वर्टिकल ग्रेविटी से ड्रॉप करने से लेकर हर तरह के मोडिफिकेशन इस विमान में किए गए हैं.

सबसे बड़ी बात यह है कि अब हम इतने सक्षम हो गए हैं कि सुखोई-30 जैसे महत्वपूर्ण एयरक्राफ्ट को भी मोडिफाई कर के हम अपनी क्षमता में इजाफा करने लगे हैं.

ब्रह्मोस बाकी मिसाइलों से किस तरह अलग?

हाल के कुछ सालों में हथियार के क्षेत्र में भारत धीरे-धीरे आगे बढ़ता जा रहा है. देश की क्षमता का सीधा असर ऑपरेशनल क्षमता पर पड़ने लगा है.

एस पी सिन्हा से जब फ़र्स्टपोस्ट हिंदी ने सवाल पूछा कि भारत की दूसरी मिसाइलों की तुलना ब्रह्मोस से की जाए तो उनमें और ब्रह्मोस में कितना फर्क है तो उनका कहना था, ‘देखिए जितने भी इस समय देश में मिसाइल विकसित की गई हैं वह अलग-अलग तरीके के हैं और उनके काम करने की क्षमता भी अलग-अलग तरीके की होती है.

देश में मिसाइल जो भी इस्तेमाल होते हैं उसमें महत्वपूर्ण बात यह है कि मिसाइल का वजन कितना है? उसकी स्पीड क्या? किस टाइप के एयर क्राफ्ट कैरी कर सकते हैं?

ब्रह्मोस दुनिया की सबसे तेज गति से चलने वाली सुपरसोनिक मिसाइल है. (तस्वीर विकीपीडिया से साभार)

इस समय ब्रह्मोस की एक्यूरेसी विश्व में सबसे बढ़िया है. ब्रह्मोस मिसाइल के अलावा विश्व में अभी कोई भी ऐसा मिसाइल नहीं है जो इससे आगे निकल जाए. अभी कुछ दिन पहले ही बंगाल की खाड़ी में हुए सफल परीक्षण में यह साबित भी हो चुका है. मिसाइल का वेट फेक्टर, यूज, एक्यूरेसी, रेंज और नेविगेशन सिस्टम क्या है, काफी महत्वपूर्ण पहलू हैं.

एस पी सिन्हा कहते हैं, ‘देखिए हमारा पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान नासिर मिसाइल पर ही उछल रहा है. रही बात चीन की तो यह सही बात है कि वह टेक्नोलॉजी अच्छी तरह इस्तेमाल करना जानता है, लेकिन चीन की फौज की ग्राउंड पर लड़ने की क्षमता हमारे स्तर की नहीं है. हवा में भी हमारे पायलट चीन के पायलट से कहीं बेहतर हैं.

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देश के कई डिफेंस एक्सपर्ट्स का भी मानना है कि इस टेस्ट की सफलता के बाद भारत सभी सुखोई विमानों में ब्रह्मोस मिसाइल लैस कर देगा. हालांकि, इन लोगों का यह भी मानना है कि चीन की मिसाइल क्षमता को देखते हुए कहा जा सकता है कि चीन भी अगर चाह ले तो यह टेक्नोलॉजी विकसित कर सकता है. लेकिन फिर भी यह कहा जा सकता है कि आने वाले समय में भारत के दुश्मनों को मुकाबला करने के लिए बार-बार सोचने को मजबूर होना पड़ेगा.