शराबबंदी के पक्ष में अभूतपूर्व मानव श्रृंखला आयोजित करने के बाद संभवतः बिहार शराबबंदी के बाद अब नशाबंदी की ओर बढ़ सकता है. राजनीतिक प्रेक्षकों के अनुसार इस कार्यक्रम के बाद शराबबंदी के विरोधियों का विरोध धीमा पड़ेगा.
सबसे बड़ी बात यह हुई कि कलही राजनीति के इस दौर में इस मानव श्रृंंखला को भाजपा सहित सभी प्रमुख दलों का समर्थन व सहयोग हासिल रहा.
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शराबखोरी के खिलाफ राज्य में पहले से मौजूद जन आक्रोश को देखते हुए ही इस कार्यक्रम को इतना अधिक राजनीतिक समर्थन मिला. इसका राजनीतिक लाभ भी नीतीश कुमार को मिल सकता है. अब अन्य कुछ राज्य भी इस राह पर चलेंगे, यहां ऐसी उम्मीद यहां की जा रही है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गत साल अप्रैल में बिहार में शराबबंदी लागू करते हुए कहा था कि ‘हमने एक नए सामाजिक परिवर्तन की बुनियाद रखी है. अब यह जनांदोलन के रूप में पूरे देश में फैलेगा.’
आज की अभूतपूर्व मानव श्रृंखला के बाद इसकी संभावना बढ़ी है.
आज सड़कों पर खड़े कुछ सरकारी कर्मचारियों में जरूर इसके प्रति कोई खास उत्साह नहीं था, पर आम लोगों ने काफी उत्साह से इसे सफल बनाया. अनेक लोगों ने भी इसे गैर राजनीतिक कार्यक्रम माना.
निजी और सरकारी स्कूलों के छात्र-छात्राओं से लेकर बुजुर्ग लोगों तक ने उत्साह से इस अभूतपूर्व कार्यक्रम में भाग लिया.
गत बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले 9 जुलाई 2015 को पटना की एक सभा में नीतीश कुमार की उपस्थिति में शराबबंदी के पक्ष में एक महिला ने आवाज उठाई थी. मुख्यमंत्री ने तत्काल यह आश्वासन दिया था कि चुनाव के बाद यदि हम सत्ता में आएंगे तो इसे जरूर लागू करेंगे.
उन्होंने सत्ता में आने के बाद अप्रैल 2016 से लागू कर भी दिया.
सरकार के बाहर और भीतर तथा कोर्ट के भीतर और बाहर शराबबंदी का पिछले एक साल में भारी विरोध हुआ. अंततः अदालत ने सरकार के पक्ष में फेसला दिया.
आज करोड़ों लोगों ने भी शराबबंदी के फैसले पर अंततः मुहर लगा दी.