view all

एजेंसियों की नाक की लड़ाई में दिल्लीवालों का दम कब तक घुटेगा?

हर तरफ राजनीति और नाक की लड़ाई में दिल्ली की जनता पिस रही है. ऊपरी तौर पर प्रदूषण के रोकथाम के लिए बातें तो सभी कर रहे हैं, लेकिन हकीकत में कोई भी इस मुद्दे पर संजीदगी दिखाने को तैयार नहीं है.

Ravishankar Singh

दिल्ली में चल रहे भारत-श्रीलंका के मौजूदा टेस्ट क्रिकेट मैच में प्रदूषण को लेकर श्रीलंकाई खिलाड़ी का मास्क पहनना बेशक कुछ भारतीयों को नागवार गुजरा हो, लेकिन कहीं न कहीं इस मैच ने दिल्ली में प्रदूषण को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की किरकिरी कराई है.

दिल्ली में एक बार फिर से प्रदूषण का स्तर खतरनाक रूप धारण कर लिया है. इसका प्रमाण एक बार फिर से दिल्ली के कोटला मैदान में मंगलवार को देखने को मिला. श्रीलंकाई खिलाड़ी दिल्ली क्रिकेट टेस्ट मैच के दूसरी पारी में भी मास्क लगा कर फिल्डिंग करते नजर आए.


गौरतलब है कि रविवार को भी दिल्ली के फिरोजशाह कोटला ग्राउंड पर पहली पारी में श्रीलंकाई खिलाड़ी वायु प्रदूषण के कारण परेशान नजर आ रहे थे. इसी परेशानी की वजह से मैच को तीन बार रोकना भी पड़ा था. श्रीलंकाई खिलाड़ी पहली पारी में भी मास्क पहन कर फिल्डिंग की थी.

अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर प्रदूषण के कारण हो रही किरकिरी के बाद भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड(बीसीसीआई) ने भी भविष्य में दिल्ली में मैचों के आयोजन को लेकर विचार करने की बात कही है. वहीं एक बार फिर से प्रदूषण को लेकर एनजीटी ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाई है.

एनजीटी ने दिल्ली सरकार को प्रदूषण की रोकथाम के लिए कोई कार्ययोजना नहीं पेश करने पर कड़ी फटकार लगाई है. सोमवार को एनजीटी प्रमुख स्वतंत्र कुमार के सामने दिल्ली सरकार ने दलील दी है कि मुख्य सचिव और पर्यावरण सचिव का तबादला हो जाने के कारण कार्ययोजना तैयार होने में देरी हो रही है.

दिल्ली सरकार की दलील पर एनजीटी ने कड़ा ऐतराज जताते हुए कहा, ‘आप हर दिन हर व्यक्ति को बदलते रहते हैं, इसमें हम क्या कर सकते हैं? अगर अधिकारी आपके साथ रहना नहीं चाहते तो ये हमारी समस्या नहीं है? आप बैठक पर बैठक करते रहते हैं, लेकिन एक भी ऐसा कदम बताइए जो पिछले चार दिनों में आपने प्रदूषण को लेकर उठाया हो?’

एनजीटी दिल्ली में खेले जा रहे भारत-श्रीलंका क्रिकेट मैच में खिलाड़ियों को सांस लेने में दिक्कत और मैच के कई बार रोकने पर भी दिल्ली सरकार से पूछा कि पिछले कुछ दिनों में हर अखबार में यह खबर छप रही थी कि दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर फिर से बढ़ेगा. इसके बावजूद आपने कोई कदम नहीं उठाया. यदि हवा की गुणवत्ता इतनी खराब थी तो मैच क्यों करवाया?

ये भी पढ़ें: तो क्या स्मॉग के चलते दिल्ली से छिन सकती है क्रिकेट मैच की मेजबानी?

गौरतलब है कि दिल्ली-एनसीआर में एयर क्वालिटी इंडेक्स एक बार फिर से खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है. दिवाली से कुछ दिन पहले ही दिल्ली-एनसीआर की जहरीली हवा का स्तर तेजी से बढ़ना शुरू हो गया था. इतने दिनों बाद भी आलम यह है कि लोगों को सांस लेने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

एनजीटी के बाद केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड(सीपीसीबी) भी दिल्ली सरकार के रवैये से नाराज है. सीपीसीबी के सदस्य सचिव ए सुधाकर मीडिया से बात करते हुए कहते हैं, ‘देखिए सभी प्रयास करके देख लिए गए हैं, लेकिन दिल्ली सरकार और डीपीसीसी का रवैया काफी चिंताजनक है. हमसे पूछा जाता है कि प्रदूषण का लेवल इतना क्यों है? कैसे कम होगी? बहुत हो गया अब जिम्मेदारी तय होनी चाहिए. अब कानूनी कार्रवाई भी सुनिश्चित करनी ही पड़ेगी. हमलोग जल्द ही पर्यावरण मंत्रालय और कानून के जानकारों से सलाह ले कर कानूनी कार्रवाई करने वाले हैं.’

सीपीसीबी का कहना है कि दिल्ली सरकार को बार-बार चेतावनी देने के बाद भी प्रदूषण से निपटने के लिए किसी भी तरह के कोई प्रयास नहीं किए गए.

इधर पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण(ईपीसीए) भी दिल्ली सरकार के खिलाफ अवमानना का केस दायर करने वाली है. ऐसे में सवाल यह है कि दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में बढ़ोतरी के लिए दिल्ली सरकार ही जिम्मेदार है? क्या भारत सरकार का पर्यावरण मंत्रालय हो या फिर सीपीसीबी या फिर ईपीसीए या फिर एनजीटी की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती?

दरअसल एनजीटी ने दिल्ली-एनसीआर से सटे चार राज्यों को 28 नवंबर तक प्रदूषण पर एक्शन प्लान तैयार कर जमा करने को कहा था. आलम यह है कि इन राज्यों में से किसी ने भी अब तक एक्शन प्लान जमा नहीं कराया है. एनजीटी ने एक बार फिर से दिल्ली सरकार से 48 घंटे के अंदर एक्शन प्लान तैयार कर जमा करने का आदेश दिया है.

पर्यावरण के जानकारों का मानना है कि इस वक्त दिल्ली में जो वायु के स्तर में गिरावट आई है उसके लिए सिर्फ और सिर्फ दिल्ली की परिस्थितियां जिम्मेदार है. इस समय हरियाणा या पंजाब में पराली नहीं जलाए जा रहे हैं. दिसंबर से लेकर जनवरी महीने तक दिल्ली में कोहरे का प्रभाव घटता-बढ़ता रहेगा. सरकार जल्द ही अगर कोई कदम नहीं उठाएगी तो इससे भी भयानक मंजर सामने आने वाले हैं.

ये भी पढ़ें: दिल्ली में प्रदूषण: एनजीटी ने 'आप' सरकार को फटकार लगाई

गौरतलब है कि दिल्ली सरकार ने बढ़ते प्रदूषण को लेकर पिछले महीने के 13 तारीख से ऑड-ईवन स्कीम लागू करने वाली थी, जिसे एनजीटी ने रद्द कर दिया था. एनजीटी ने सुनवाई के दौरान राज्य सरकार को सख्त शर्तों के साथ ऑड-ईवन लागू करने की मंजूरी दी थी.

एनजीटी पिछले महीने दिल्ली सरकार को विकल्प दिया था कि वह चाहे तो 13 नवंबर से स्कीम लागू कर सकती है, लेकिन उसे एनजीटी की सभी शर्तों को स्वीकार करना होगा.

एनजीटी की शर्त थी कि वीवीआई, महिलाओं और खासकर टू-व्हीलर्स गाड़ियों को भी किसी भी शर्त मे राहत नहीं दी जाएगी. दिल्ली सरकार ने इन लोगों को राहत दी थी. बाद में दिल्ली सरकार ने इस फैसले पर कहा था कि ऐसी शर्तों के साथ यह स्कीम लागू नहीं किया जा सकता है.

एनजीटी की इन शर्तों के बाद दिल्ली सरकार के ट्रांसपोर्ट मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा था कि हमारा यह फैसला जनता के हितों को ध्यान में रख कर लिया गया था. अब इन शर्तों के साथ दिल्ली में ऑड-ईवन लागू करना संभव नहीं होगा.

कुल मिलाकर हर तरफ राजनीति और नाक की लड़ाई में दिल्ली की जनता पिस रही है. ऊपरी तौर पर प्रदूषण के रोकथाम के लिए बातें तो सभी कर रहे हैं, लेकिन हकीकत में कोई भी इस मुद्दे पर संजीदगी दिखाने को तैयार नहीं है.