भारत रत्न और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का समाधि स्थल ‘सदैव अटल’ राजघाट के पास बन कर तैयार हो गया है. आज 25 दिसंबर को अटल जी के 94वें जन्मदिवस के मौके पर देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू और पीएम मोदी सहित कई लोगों की उपस्थिति में इस स्मारक को राष्ट्र को समर्पित किया जाएगा. अटल जी के समाधि स्थल को ‘सदैव अटल’ नाम दिया गया है. अटल जी के समाधि स्थल पर लोग उनकी प्रमुख रचनाओं को भी देख और पढ़ सकेंगे.
स्मारक में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को एक कवि, मानवतावादी, राजनेता और एक महान नेता की छवि को दिखाया गया है. 9 की संख्या अटल जी के जीवन में काफी महत्व रखती है. 9 अंक नवरसों, नवरात्र और नवग्रहों का प्रतिनिधित्व करती है. 9 वर्ग की समाधि स्थल एक गोलाकार कमल के आकार का है. समाधि स्थल के चारों तरफ 9 दीवारें बनाई गई हैं. ग्रेनाइट के पत्थर पर सुनहरे अक्षरों में अटल जी की कुछ प्रमुख कविताओं की पक्तियां लिखी गई हैं.
अटल जी की समाधि के चारों तरफ कमल के फूल की आकृतियां बनाई गई हैं और बीच में दीपक की शक्ल है. वाजपेयी जी की यात्रा दीपक से कमल तक की थी और यह समाधि इसी का प्रतिबिंब नजर आ रहा है. सबसे खास बात यह है कि इस शिलालेख पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद अटली जी का परिचय लिखा है.
ऐसा कहा जा रहा है कि पीएम मोदी के मार्गदर्शन में ही अटल जी की समाधि का पूरा डिजाइन तैयार किया गया है. अटल जी की समाधि स्थल की पूरी कल्पना पीएम मोदी की है. शिलालेख में लगने वाले पत्थर से लेकर अटल जी की कविताओं का संग्रह भी मोदी की पसंद है. समाधि स्थल के चारों तरफ बनाई गई तीन मीटर ऊंची-ऊची दीवारों पर वाजपेयी जी की कविताएं लिखी गई हैं.
अटल जी समाधि स्थल की परिकल्पानएं भी पीएम मोदी के दिशा-निर्देश में ही तैयार हुआ है. ऐसा कहा जा रहा है कि अटल समाधि स्थल को लेकर एक-एक चीज पीएम मोदी ने तय की है. अटल बिहारी वाजपयी की समाधि स्थल का नाम ‘सदैव अटल’ जो रखा गया है वह भी पीएम मोदी ने ही तय किया है.
बता दें अटलजी के विचार और दृष्टिकोण देश के लोगों के लिए बहुत बड़ी प्रेरणादायक हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए ‘अटल स्मृति न्यास सोसाइटी’ गठन किया गया. न्यास में कौन-कौन लोग रहेंगे और उनका पद क्या होगा ये सारी चीजें भी पीएम मोदी के दिशा-निर्देश में ही तय हुई हैं. पीएम मोदी के दिशा-निर्देश में अटल स्मृति न्यास सोसाइटी (1860 के सोसाइटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट 11 के तहत पंजीकृत) की गई.
सोसायटी के संस्थापक सदस्यों में लोकसभा की स्पीकर सुमित्रा महाजन, बिहार के राज्यपाल लालजी टंडन, गुजरात के गवर्नर ओ.पी. कोहली, कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई रुदाभाई वाला, बीजेपी के कद्दावर नेता विजय कुमार मल्होत्रा, बीजेपी नेता रामलाल और वरिष्ठ पत्रकार और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष राम बहादुर राय को शामिल किया गया है. रामबहादुर राय अटल न्यास के सेक्रेटरी ट्रेजरार बनाए गए हैं. बीजेपी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री विजय कुमार मल्होत्रा अटल न्यास के अध्यक्ष हैं.
सीपीडब्लूडी ने अटल जी की समाधि स्थल को रिकॉर्ड समय में बनाकर तैयार किया है. शहरी और आवास मंत्रालय ने राष्ट्रीय स्मृति स्थल पर मौजूद खाली जगह को अटल जी के स्मारक के तौर उपलब्ध कराया है. अटल जी की समाधि स्थल को बनाने में 10 करोड़ 51 लाख रुपए की लागत आई है. निर्माण का सारा खर्च अटल स्मृति न्यास सोसाइटी द्वारा वहन किया गया है. अटल स्मृति न्यास ट्र्स्ट इस जमीन को आगे भी अपनी लागत पर विकसित और बनाए रखेगा. समाधि के लिए निर्धारित भूमि सरकार के पास बनी रहेगी.
ऐसा कहा जा रहा है कि अटल जी की समाधि को एक ही पत्थर से तैयार किया गया है. देश में दूसरे महापुरुषों की समाधि स्थलों में एक से ज्यादा पत्थर के टुकड़े लगे हैं, लेकिन अटल जी की समाधि में सिर्फ एक ही पत्थर लगा है, जिसके बारे में कहा जा रहा है कि हजारों साल तक उस पत्थर को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंच सकता.
अटल जी की समाधि स्थल को कमल के फूल का आकार दिया गया है. यहां लगाए गए पत्थरों में कमल की पंखुड़ियों का डिजाइन बनाया गया है. इस समाधि स्थल के निर्माण में 150 क्विंटल ग्रेनाइट लगे हैं. इसके प्रवेश द्वार पर ‘सदैव अटल’ लिखा गया है. काले रंग की ग्रेनाइट से बनी समाधि के चारों तरफ दुधिया रंग की इटैलियन टाइलें लगाई गई हैं.
इसी साल 16 अगस्त को अटल बिहारी वाजपेयी का निधन हो गया था. बीजेपी ने उनके जन्मदिन के मौके पर आज 543 लोकसभा सीटों पर कई समारोह आयोजित करने जा रही है. बीजेपी अपने पार्टी के शिखर पुरुष और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का भव्य स्मारक बनाकर साल 2019 लोकसभा चुनाव से ठीक पहले लाभ लेना चाहेगी. आने वाले दिनों में राष्ट्रीय स्मृति स्थल पर बनने वाली अटल जी समाधि 'सदैव अटल' उनसे जुड़ी स्मृतियों का एक अहम स्थल बन जाएगा.
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