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सोनू निगम ने ट्विटर छोड़कर अच्छा किया, उन्हें अपना दिमाग साफ करने की जरूरत है

सोनू निगम को समझना होगा कि कई शानदार गीत गाने वाले गायक का ट्विटर ट्रोलिंग का हिस्सा बनना खुद की प्रतिभा से मजाक है

Sandipan Sharma

सोनू निगम ने ट्विटर छोड़कर अच्छा ही किया. उनके हालिया बयानों और मैसेज को देखें तो लगता है कि उन्हें अपने दिमाग को साफ करने की जरूरत है. उन्हें ट्विटर के बजाय फिल्मी गाना गाने पर ध्यान देना चाहिए.

सोनू निगम को गुलजार की लिखी वो लाइनें याद दिलाने की जरूरत है, जिसे लता मंगेशकर ने गाया था. 'मेरी आवाज ही पहचान है, गर याद रहे.' सोनू निगम ने ट्विटर को अलविदा कहने से पहले 24 ट्वीट करके ये बताया कि उन्हें अपने दिमाग को साफ करने की और ट्विटर को छोड़ने की जरूरत क्यों है.


सच्ची बात तो ये है कि सोनू निगम एक वक्त में अच्छे गायक थे. उनकी आवाज मोहम्मद रफी की रेशमी आवाज की याद दिलाती थी. उनके कई गानों के एल्बम गुलशन कुमार ने लॉन्च किए थे. उनकी आवाज में एक खास किस्म का दर्द और लय थी, जो कभी खयालों में खोए उम्रदराज शख्स की तो कभी शोखी से लबरेज युवाओं का जोश बयां करती थी.

एक वक्त था जब संघर्ष फिल्म का गाना, 'बस मुझे रात दिन बस मुझे चाहती हो' सुनकर आप उनकी रूहानी आवाज के मुरीद बन जाते थे. या फिर कभी परदेस फिल्म का उनका गाया, 'ये दिल' को सुनकर उमंग से भर उठते थे. उनकी आवाज में गजब की रेंज थी. एक ही वक्त में वो रूहानी भी थी...शोख भी थी.. रूमानी और छेड़खानी भरी भी लगती थी.

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इतनी जबरदस्त रेंज की वजह से ऐसा लगता था कि सोनू निगम भी महान गायक का दर्जा हासिल करेंगे.

मगर एक दिन वो अचानक ही संगीत की दुनिया के स्टेज से लापता हो गए.

कुछ दिनों पहले उन्होंने परिणीति चोपड़ा के साथ युगल गीत, 'मेरी प्यारी बिंदू' के जरिए वापसी की. अगर आप संगीत के शैदाई हैं, आपने सोनू निगम के बेहद शानदार गाने सुने हैं तो आपको सिर्फ 'माना के हम यार नहीं' सुनने की जरूरत है.

आपको समझ में आ जाएगा कि किस तरह सोनू निगम की काबिलियत का पतन हुआ है. परिणीति के साथ के अल्बम में सच कहें तो सोनू निगम बेहद फीके सुनाई देते हैं. परिणीति की आवाज उनसे बेहतर लगती है. सोनू अपनी ही आवाज गंवा बैठे हैं.

सोनू निगम लंबे अर्से से फिल्मी गायिकी से दूर हैं उन्हें अच्छे गाने नहीं मिल रहे हैं

गायब क्यों हुए सोनू निगम?

ये बात अब तक राज है कि आखिर सोनू निगम बॉलीवुड से कहां लापता हो गए थे. उन्हें काम क्यों कम मिल रहा था. लोग उनको पसंद क्यों नहीं कर रहे थे. शायद उनसे बेहतर गायकों ने उनकी जगह ले ली थी. ये वही गायक थे जिन्हें तमाम रियालिटी शो में सोनू निगम ही जज कर रहे थे. या फिर शायद सोनू ने अपनी आवाज की पवित्रता ही गंवा दी थी.

जब महान गायक परफॉर्म करते हैं तो वो किसी भी गीत में अपनी आवाज से आत्मा को जगा देते हैं. वो किसी गीत में खुशी, दर्द, जज्बातों को भरते हैं. उन गायकों की आवाज की वजह से ही गीत में रूहानी ताकत पैदा होती है. वरना संगीत...मशीनों का शोर भर रह जाएगा. सोनू निगम कभी ऐसा करने के उस्ताद थे. आज उनकी आवाज बोरियत का दूसरा नाम है.

सिर्फ सोनू निगम को ही पता है कि आखिर उनके साथ क्या हुआ. एक वक्त में वो तरक्कीपसंद खयालों के नुमाइंदे थे. वो ऐसे शख्स से थे जो महिलाओं के हक के लिए आवाज उठाते थे. वो उनके सम्मान की लड़ाई लड़ते थे. आज वो अपने जैसे बेकार बैठे एक और गायक के साथ खड़े नजर आते हैं.

उस गायक को तो शायद काउंसलर की जरूरत है जिससे वो अपनी सनक से छुटकारा पा सकें. उन्हें मदद की जरूरत है जिससे कि वो नफरत, खीझ और पहचान के संकट की चुनौती से निपट सकें.

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गायक अभिजीत ट्विटर पर दहाड़ते हैं. फिर ऑनलाइन गाली-गलौज करने के लिए गिरफ्तार होने के लिए रोते हैं. फिर उनके बेटों को उनकी जमानत देने की शर्मिंदगी से गुजरना पड़ता है.

लेकिन सोनू निगम के लिए अभी भी उम्मीद है. फिलहाल वो ऑनलाइन उन्माद के शिकार नजर आते हैं. वो दक्षिणपंथी विचारधारा से प्रभावित लगते हैं. उनके जेहन मे महिलाओं के लिए नफरत भरी नजर आती है. फिर भी उनके ट्वीट देखकर ऐसा लगता है कि सोनू निगम अभी भी अपने अंदर झांक कर खुद को सही रास्ते पर वापस ला सकते हैं.

पहले वो उन महिलाओं के समर्थन में खड़े होते थे जो ऑनलाइन ट्रोल्स की गालियों की शिकार हुआ करती थीं. वो कई बार बलात्कार और छेड़खानी के खिलाफ आवाज उठाते थे.

जब उन्होंने जेएनयू की नेता शेहला राशिद को वेश्या कहने पर अभिजीत का बचाव किया तो सदमा लगा था. लेकिन ऐसा लगता है कि सोनू निगम का ये खयाल उनकी असल सोच नहीं. वो शायद अपने किए पर अफसोस करते हैं. वो अपने इन अस्थाई खयालों से छुटकारा पा लेंगे ऐसा अभी भी लगता है.

कई लोग ये भी मानते हैं कि बेरोजगारी के दिनों में खबरों में बने रहने की कोशिश कर रहे हैं

बेरोजगार हुए निगम

एक कलाकार जिसके पास निभाने को किरदार नहीं हैं या एक गायक जिसके पास गाने को गाने नहीं दोनों ही दया के पात्र हैं. उनकी तकलीफ समझना आसान है. क्योंकि कभी चौतरफा भीड़ से घिरे रहने वाले हमेशा लाइमलाइट में रहने वाले और तालियां बटोरने वाले ये कलाकार आज नितांत अकेले हैं.

ऐसे में वो ऐसी बातें करके खुद को ही मूर्ख बना रहे हैं. वो खुद का मजाक बनाए जाने को तारीफ समझने लगते हैं. वो समझने लगते हैं कि तन्हा रहने से बेहतर है कि विवाद में रहा जाए. वो मशहूर गायक होने के बजाय ऑनलाइन ट्रॉलिंग जमात का हिस्सा बनना बेहतर समझने लगते हैं.

सोनू निगम को समझना होगा कि कई शानदार गीत गाने वाले गायक का ट्विटर ट्रोलिंग का हिस्सा बनना खुद की प्रतिभा से मजाक है..नाइंसाफी है.

उन्होंने शोर मचाने वाले ट्विटर के करीब 65 लाख फॉलोवर्स को अलविदा कहकर बिल्कुल सही कदम उठाया है. अगर वो अपने दिमाग के जाले साफ कर सके.

अगर सोनू निगम अपनी रूहानी और तराने वाली आवाज के साथ वापसी कर सके तो उनके मुरीदों की जमात इन फॉलोवर्स से कहीं ज्यादा होगी.