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‘आध्यात्मिक’ नहीं पर ‘अंधविश्वासी’ हूं: ऋतिक रोशन

ऋतिक फिलहाल अपनी फिल्म 'काबिल' के प्रमोशन में लगे हैं.

Runa Ashish

एक पुरानी कहावत है बाप का पूत सिपाही का घोड़ा बहुत नहीं तो थोड़ा-थोड़ा. यानी बेटे बाप पर और घोड़े अपने सवार सिपाही पर पूरा नहीं तो कुछ ना कुछ पड़ ही जाता है. आप ऋतिक रोशन को देख कर इस बात को याद कर सकते हैं.  वो कबूलते हैं कि वो ‘आध्यात्मिक’ नहीं अपने पिता कि तरह ‘अंधविश्वासी’ है.

अपनी फिल्म 'काबिल' के प्रमोशन में लगे ऋतिक कहते हैं, ‘मैं हर दिन अंधविश्वासी नहीं हूं. हां, रविवार को हो जाता हूं.’


बातचीत का सिलसिला यहां तक फिल्म का नाम तय करने के किस्से पर बात करते करते पहुंचा. ऋतिक बोले ‘पापा को ‘क’ से खास लगाव है. वो लेते हैं डिक्शनरी और खोजना शुरु कर देते हैं और हर बार उन्हें वो मिल भी जाता है.’

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राकेश रोशन की पिछली फिल्में थीं ‘कहो ना प्यार है, कोई मिल गया, कृष, काबिल’.

जब उनसे पूछा कि वो खुद कितने अन्धविश्वासी हैं तो वो बोले ‘मुझे कहना अच्छा लगेगा कि मैं अंधविश्वासी नहीं हूं और लेकिन अगर आपमें से कोई कह दे कि ऐसा कर दो तो ‘काबिल’ हिट हो जाएगी तो आपका कहा कर दूंगा. करने में क्या है. लेकिन मैं हर दिन अंधविश्वासी नहीं हूं. हां सिर्फ रविवार को हो जाता हूं.’

निजी जिन्दगी ने उन्हें क्या दिया

ऋतिक की फिल्मी जिन्दगी में सब कुछ चमकीला नहीं है. उनकी जिन्दगी की परेशानियों का हल तीन घंटा खत्म होने से पहले नहीं निकलता. चाहे उनकी फ्लॉप फिल्म ‘मोहनजो दारो’ हो या कंगना के साथ उनका झगड़ा या फिर उनका तलाक. आम तौर पर इस तरह की घटनाएं आदमी को आध्यात्मिक बना देती हैं.

जब उनसे इस बाबत पूछा गया तो वो बोले ‘मैं आध्यात्मिक नहीं हूं. मुझे नहीं मालूम कि आध्यात्मिकता क्या होती है.’

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वो आगे कहते हैं आध्यात्मिकता को बहुत बढ़ा चढ़ा कर बखान किया जाता है. आध्यात्मिकता का मतलब उनके हिसाब से है ‘सच’.

ऋतिक कहते हैं ‘मैं अपनी जिंदगी को बहुत सीधा-सादे तरीके से जी रहा हूं. मैं अपने आप से पूछता हूं कि जीवन में शांति बनाए रखने का सबसे आसान तरीका क्या है? जो जवाब मिलता है मैं वो कर देता हूं. ये आसान है और अगर इसे ही आध्यात्मिकता कहते हैं तो ठीक है.’

ऋतिक फिलहाल अपनी फिल्म 'काबिल' के प्रमोशन में लगे हैं.

फिल्म शानदार तो जिम्मेदार स्टार पर पिटे तो?

आम तौर पर हिंदी फिल्मों के टॉप सितारे फिल्में फ्लॉप होने की जिम्मेदारी अपने सर नहीं लेते, लेकिन ऋतिक लेते हैं. वो कहते हैं, ‘आप ही हैं जिसने इस फिल्म को सबसे पहले पढ़ा या फिर डायरेक्टर को देख कर फिल्म करने की ठान ली. तो जिम्मेदारी भी तो आपकी ही हुई न.’

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ऋतिक कहते हैं ‘केवल फिल्म ही क्यों मेरी जिंदगी की कोई भी बात हो अगर उसमें असफलता मिली है तो सारा जिम्मा मेरा है.’

ऋतिक पहले कह चुके हैं कि उन्हें अपनी फिल्म के कैरेक्टर से बाहर आने में बहुत तकलीफ होती है. क्या ऐसा अब भी है?

‘नहीं, सारे रोल जो मैं कर रहा हूं, वे भले ही बाहरी रूप से फिल्म के साथ खत्म हो गए हों लेकिन आपके अंदर अभी भी मौजूद हैं.’