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बद्रीनाथ की दुल्हनिया 'आलिया' का पुरुष विक्टिम पर हंसना हमें अच्छा नहीं लगा...

किसी के साथ रेप होना मजाक का विषय नहीं है इसमें पुरुष-महिला का कोई फर्क नहीं होता है

Harish Iyer

हाय आलिया,

आज का दिन यह बताने के लिए सबसे अच्छा दिन है कि आप देश की कुछ बेहतरीन एक्ट्रेस में से एक हो. मैं आपको कंगना वाली लीग में ही मानता हूं. स्टूडेंट ऑफ द ईयर में आपका ग्लैम-डॉल वाला परफॉर्मेंस हालांकि भुलाया जा सकता है. मैं इसे आपके बेस्ट परफॉर्मेंस में नहीं गिनता हूं.


लेकिन, मैं इसे आपकी तारीफ के तौर पर देखता हूं. आप कोई डॉल नहीं हैं. आप एक अथाह काबिलियत वाली शख्सियत हैं. जो कि मुश्किल से मुश्किल हालात से भी निपट सकती है. आप युवा हैं लेकिन आप नाजुक और अस्थिर नहीं हैं.

आपने अभी तक बमुश्किल एक दर्जन फिल्में की हैं. इतनी कम फिल्मों में ही आपने अपने अभिनय का लोहा मनवाया है. दर्शकों के लिए आप पर अपनी मां सोनी और बहन पूजा के दर्जे का परफॉर्मेंस करने का प्रेशर था.

लेकिन आप अपनी तरह की एक अलग स्टार हैं. आपको शायद अपनी पहली फिल्म के लिए ही करन जौहर ने चुना और यहीं पर परिवारवाद खत्म हो गया.

इसके बाद आपने अपनी जंग खुद लड़ी, अपने पंख खुद विकसित किए और अपना रास्ता खुद तय किया.

आज आप जहां हैं उसके लिए किसी महेश भट्ट ने आपकी मदद नहीं की. अगर कोई आप पर इस तरह के आरोप लगाता है तो वह झूठ बोलता है और उसका मकसद आपको नीचे धकेलने का हो सकता है.

मेरे लिए आपकी फिल्म हाई-वे एक मील का पत्थर रही. जब मैं इस फिल्म को देखने थिएटर गया तो मेरे मन में नेगेटिव ख्याल थे. मुझे लग रहा था कि इस फिल्म में अपराधी के साथ प्यार को महिमामंडित किया गया होगा.

हालांकि, जब मैंने हाई-वे देखी तो मैं आपके हर सीन से जुड़ाव महसूस कर सकता था. आपने फिल्म में डायलॉग जरूर बोले लेकिन आप इन्हें बोले बिना भी अभिनय कर सकती थीं. आपकी आंखें, आपकी बॉडी लैंग्वेज और यहां तक कि आपका साया तक बोल रहा था और संदेश को पहुंचा रहा था.

'मैं खुद बचपन में यौन शोषण का शिकार रहा हूं. मैं आपसे जुड़ाव महसूस कर सकता हूं आलिया. जिन मौकों पर आपने फिल्म में खुद से बात की है...जब आप अकेलेपन में चली गई थीं वह आंतरिक बातचीत थी और ज्यादातर पीड़ितों में ऐसा देखा गया है.'

हालांकि, सीन लिखने और निर्देशन करने का श्रेय इम्तियाज अली को जाता है. लेकिन जिस मासूमियत और जोश के साथ आपने इस रोल को निभाया था उसकी जितनी तारीफ की जाए कम है.

अपने बेहतरीन अभिनय से बचपन में यौन प्रताड़ना झेलने वाले सभी लोगों के लिए आपने आईने का काम किया है. थैंक्यू आलिया!

उड़ता पंजाब में जब आपके साथ रेप हुआ तो मुझे लगता है कि हर पीड़ित आपसे लिपटकर रोना चाहता होगा. आपकी डायलॉग डिलीवरी...आपका लुक और स्क्रीन पर आपकी शख्सियत सबकुछ बेहतरीन है.

आप कैरेक्टर में इतना समा गई थीं कि खबरों के मुताबिक आपके लिए अपने कैरेक्टर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया था. आपको रियल लाइफ फोबिया होने लगे थे. एक असली एक्टर ऐसा ही होता है.

और हालांकि, मैं डियर जिंदगी का बड़ा फैन नहीं हूं लेकिन मुझे लगता है कि इस फिल्म में आप एक बेहतरीन कैरेक्टर के तौर पर उभरी हैं. फिल्म में आपने एक ऐसे बच्चे को जिया है जो कि दांपत्य झगड़ों की वजह से पैदा होने वाली घरेलू अस्थिरता का शिकार रहा है. इस रोल के लिए आपका धन्यवाद आलिया.

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इन सबके बाद मैं आपकी हालिया फिल्म बद्रीनाथ की दुल्हनिया देखने गया. इस फिल्म को दुनियाभर में लाखों लोगों ने देखा और फिल्म ने जमकर पैसा कमाया.

फिल्म हंसी-मजाक वाली थी. इस फिल्म में भी आपने और आपके को-स्टार वरुण धवन ने शानदार अभिनय किया.

लेकिन, मुझे आपसे एक शिकायत है. खासतौर, पर जबसे मैंने आपको एक संवेदनशील और गंभीर लोगों के समूह में देखा है. आपने एक रेप-सरवाइवर और एक 'चाइल्ड सेक्स एब्यूज सरवाइवर' का रोल परफेक्ट तरीके से निभाया है.

मेरा मानना है कि एक अच्छा शख्स ही एक अच्छा एक्टर हो सकता है, इस वजह से मैं दुखी और निराश हूं. आप उस चीज को क्यों नहीं समझ पाईं कि किसी पुरुष के साथ हो रही छेड़छाड़ पर हंसना ठीक नहीं है.

आप क्या सोच रही थीं जब डायरेक्टर शशांक खेतान ने आपसे किसी पुरुष के साथ सेक्सुअल हमले के वक्त हंसने के लिए कहा? आपको असलियत में लगता है कि यह हंसने वाली बात है?

'हाइवे' की वीरा या 'उड़ता पंजाब' की मेरी जेन के साथ इसी तरह की यौन छेड़छाड़ होती और रणदीप हुड्डा या वरुण धवन इस पर हंसते तो आपको कैसा लगता? क्या आपको लगता है कि पुरुषों के साथ होने वाले रेप का मजाक उड़ाया जाना चाहिए?

मैं पूछ रहा हूं क्योंकि मुझे पता है कि यह एक हकीकत है. मैं एक ऐसा पुरुष हूं जिसका रेप एक पुरुष द्वारा ही किया गया. तब मेरी उम्र केवल 7 साल थी. मुझे करन जौहर से कोई उम्मीद नहीं है जिन्होंने एक ऐसी फिल्म प्रोड्यूस की जिसमें पुरुष रेप को कॉमिक रूप में दिखाया गया, जबकि वह खुद पुरुष हैं.

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इसी तरह से मुझे शशांक खेतान से भी कोई उम्मीद नहीं थी. वरुण भी मुझे सामाजिक रूप से उतने संवेदनशील नहीं दिखते. लेकिन आप? मेरा आप में भरोसा था. आपने मुझे नीचा दिखाया.

इस सीन में आपकी हंसी परेशान करती है. इससे यह भी पता चलता है कि हर दिन कितने पुरुष रेप सरवाइवर्स को चुनौतियों का सामना करना पड़ता है.

किसी के साथ रेप होना मजाक का विषय नहीं है. इसमें पुरुष-महिला का कोई फर्क नहीं  होता है. असलियत यह है कि जो लोग सेक्सुअल असॉल्ट का शिकार हुए हैं वे फिल्म में आपके इस तरह से हंसने से दुखी हुए होंगे. आपने तमाम आवाजों को दबा दिया है.

इस जख्म को भरने में वक्त लगेगा. हालांकि, मुझे उम्मीद है कि आप और संवेदनशील और बेहतर बनेंगी. आपसे लोगों को प्रेरणा मिलती है आलिया. इस तरह की असंवेदनशीलता से बचें.

आपका फैन,

हरीश अय्यर