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आप रोमियो को क्या जानो दरोगा जी, आप तो राम और कान्हा को भी न छोड़ें!

वेरोना नगर का रोमियो और आंबेडकर पार्क वाला प्रेमी, दोनों राम और कान्हा की तरह खुशकिस्मत नहीं हैं

Tarun Kumar

राजा जनक की पुष्पवाटिका में पुष्प तोड़ने आए राम अप्रतिम रूपवती सीता को देखकर सुध-बुध खो देते हैं, वहीं कन्हैया वृंदावन के मधुबन में राधा सहित सोलह हजार गोपियों के साथ दिलफरेब शरारतों के साथ रासलीला में तल्लीन हैं.

उधर, मध्यकालीन इटली के वेरोना नगर में एक नाट्य मंचन के दौरान रोमियो और जूलियट की आंखें क्या मिलती हैं, दोनों एक-दूसरे को देखते सुध-बुध खो बैठते हैं.


जबकि, लखनऊ के आलीशान आंबेडकर पार्क में अपनी प्रेमिका के प्रति प्यार का इजहार करता एक प्रेमी चार मुस्टंडे पुलिसवालों को अपनी ओर फटकते देख सारे रूमानी डायलाॅग भूल जाता है और मुसीबत से बचने के लिए तेज कदमों से फुर्र हो जाता है!

बेचारा भागे भी क्यों नहीं, क्योंकि यह पुलिस कोई साधारण पुलिस नहीं बल्कि एंटी-रोमियो स्क्वॉयड है भाई! ऐसा स्क्वॉयड जिसे सड़कछाप शोहदों और छेड़छाड़ करने वालों से लड़कियों-महिलाओं की आबरू बचाने के लिए शेक्सपियर की एक अमर प्रेमकथा के नायक रोमियो के नाम पर गठित कर दिया गया है.

मानो रोमियो एकतरफा इश्क करने वाला कोई छिछोरा जालिम प्रेमी था, जो जूलियट को गाहे-बगाहे गलियों में छेड़कर कानून के लिए चुनौती पैदा करता था!

खुशकिस्मत थे राम और कान्हा

उपरोक्त चारों दृश्यों में प्रेम की संवेदना है पर वेरोना नगर का रोमियो और आंबेडकर पार्क वाला प्रेमी दोनों राम और कान्हा की तरह खुशकिस्मत नहीं हैं.

या फिर राम और कान्हा इसलिए खुशकिस्मत हैं क्योंकि वे एंटी-रोमियो रूल्स वाले जमाने से हजारों साल पहले अवतरित हुए. वरना यही प्रभु राम आज पुष्पवाटिका के दृश्य अयोध्या के हरे-भरे ऋषभदेव राजघाट उद्यान में दोहराएं तो एंटी रोमियो स्काॅयड के मुस्तैद जवानों के मुश्किल सवालों से उन्हें रूबरू होना पड़ेगा?

राम का उद्देश्य है गुरू के लिए फूल लाना पर सीता का सौंदर्य उन्हें एक आम प्रेमी की तरह अनुराग से भर देता है. सीता को आते देख वे ठिठककर उनके रूप बखान में लग जाते हैं जैसा कि अमूमन हर प्रेमी करता है. समान रूप से मुग्ध लक्ष्मण से भगवान राम सीता के रूप का बखान करते कहते हैं:

कंकन किंकिनी नूपुर धुनि सुनि

कहत लखन सन रामु हृदय गुनि

मानहुं मदन दुदंभी दीन्ही

मनसा बिस्व बिजय कहं कीन्ही

अर्थात् कंकण (हाथ के कड़े), करधनी और पायजेब के बजने की ध्वनि सुनकर श्रीरामचंद्र हृदय में विचार कर लक्ष्मण से कहते हैं कि यह ध्वनि ऐसे आ रही है मानो कामदेव ने विश्व को जीतने का संकल्प करके डंके पर चोट मारी है.

क्या कोई समर्पित प्रेमी एंटी रोमियो दल के खौफ से बेफिक्र राम की शैली में किसी पार्क में खड़े होकर किसी लड़की के प्रति अनुराग का इजहार कर सकता है? राम का सीता के प्रति अनुराग चरम पर है. इस मिलन प्रसंग पर तुलसीदास जी का एक दोहा है:

करत बतकही अनुज सन

मन सिय रूप लोभान

मुख सरोज मकरंद छबि

करइ मधुप इव पान

अर्थात् यूं तो श्रीराम छोटे भाई से बातें कर रहे हैं, पर मन सीताजी के रूप में लुभाया हुआ उनके मुखरूपी कमल के छवि रूप मकरंद रस को भौरें की तरह पी रहा है! क्या अब भी राम के एंटी रोमियो दल से बचने की गुंजाइश बचती है?

कलिकाल में नहीं चलेगी रासलीला 

इस कलिकाल में राम के सामने अब तीन ही विकल्प बचे हैं. या तो वे कानून की गरिमा का ख्याल रखते हुए साबित कर दें कि जितना वे सीता को चाहते हैं उतनी ही सीता भी उन्हें चाहती हैं, या पुलिस को अपना विराट रूप दिखा दें या फिर इस कानूनी झंझट से बचने के लिए अंतर्ध्यान हो जाएं.

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अब जरा इस कानून की रोशनी में गोपियों के प्यारे कन्हैया की मुश्किलों का अंदाजा लगाइए. रुक्मणी समेत आठ पत्नियों के होते राधा समेत 16000 से अधिक गोपियों के साथ मधुबन जैसे खुली वाटिका में रात भर रासलीला.

जो कानून इलाके के एक-एक रोमियो की तलाश में निकल पड़ा है, वह भला कान्हा को हजारों गोपिकाओं के साथ रूमानी लीला की छूट कैसे दे सकता है?

आज कान्हा नोएडा के गौतम बुद्ध पार्क में यही लीला दुहराएं तो क्या आदित्यनाथ जी की रोमियो खोजी पुलिस खामोश बैठेगी? अगर बैठना भी चाहे, तो क्या मीडिया वाले पचास सवाल उठाने से मानेंगे? कैमरे चमकाते नहीं आ धमकेंगे?

जूलियट के इश्क में फना होकर अमर हो जाने वाले रोमियो की उत्तर प्रदेश पुलिस बड़ी शिद्दत से तलाश कर रही है. शेक्सपीयर की रचनात्मक कल्पनाशक्ति ने जिस काल्पनिक आदर्श प्रेमी रोमियो को पैदा किया था, उसे प्रदेश की पुलिस हकीकत में ढूंढ रही है.

पुलिस के डंडे से मिलेगा अब रोमियो होने का सर्टिफिकेट 

नाटक रोमियो जूलियट का एक दृश्य

शोहदों और लफंगों को रोमियो होने का सर्टिफिकेट थमाकर पुलिस उनकी कनपटी लाल करेगी..कान उमेठेगी...पीठ-नितंब पर डंडे बरसाएगी...बाल खींचकर हिलाएगी...थाने-हवालात का चक्कर लगवाएगी...मानो रोमियो कोई लफंगा-छिछोरा छेडू़ था.

यह कानून पुलिस को फर्जी रोमियो से कमाई का एग्जिट रूट देगा. जौ के साथ घुन के पीसने का खतरा अपनी जगह है. दोतरफा प्यार की दीवानगी में जी रहे प्रेमी भी इश्क के मर्म से कोसों दूर किसी सिपाही जी के हत्थे चढ़ सकते हैं.

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उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराध के बढ़ते ग्राफ कानूनी सख्ती की जमीन तैयार करती है. छेड़छाड़ और बलात्कार के मामले में प्रदेश अगुआ है. साल 2015 में देश में घटित ऐसी घटनाओं में प्रदेश का अकेले 10.9 प्रतिशत का योगदान रहा.

इस तरह की वरदातों ने अखिलेश सरकार को सालों गुंडा राज का तमगा भी पहनाए रखा. यह तोहमत योगी जी कैसे लगने दे सकते हैं? ऐसे में कानूनी सख्ती होनी भी चाहिए. पर छेड़ुओं को मजनूं, फरहाद, रांझा, महिवाल, बाज बहादुर, सलीम, दुष्यंत का सर्टिफिकेट थमाकर उनसे निपटेंगे?

शेक्सपीयर की साहित्यिक विरासत के संरक्षण में लगी शेक्सपीयर सोयायटी आॅफ इंडिया के कर्ता-धर्ता रोमियो के नाम से स्कवॉयड गठित किए जाने से मायूस और भौंचक्के हैं.

उन्हें भरोसा नहीं हो रहा है कि यह सब उस देश में हो रहा है जहां अंग्रेजी साहित्य का क्रेज लोगों के सिर पर चढ़कर नाचता है. ऐसे देश में रोमियो की इज्जत मिट्टी में मिल रही है जो शेक्सपियर को सबसे पहले पढ़ने वाले देशों में शामिल है.

दो पुश्तैनी दुश्मन परिवार के रोमियो और जूलियट तमाम मुसीबतें झेलकर भी जिस तरह अपने प्यार को परवान चढ़ाकर एक-दूसरे पर फना हो जाते हैं वह अमर प्रेम का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है.

मुंह में पान पराग-गुटखा ठूंसे, जुल्फी बढ़ाए, फटी-घिसी चीथड़ी जींस पहने, सीना के बाल प्रदर्शित करते सफाचट शोहदों और लफंगों को अगर रोमियो और महिवाल करार देकर कानून सबक सिखाएगा तो उन आदर्शवादी प्रेम कहानियों का क्या होगा, जो हमारी रूमानी तबियत को अनंत काल से इश्किया झप्पी देती रही हैं?

आप रोमियो को क्या जानो दरोगा जी!