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नोटबंदी से भारत की अर्थव्यवस्था को झटका लगा: राजन

यह पूछे जाने पर कि क्या जीएसटी में पांच अलग स्लैब के बजाय एक कर होना चाहिए था, राजन ने कहा कि यह बहस का विषय है

Bhasha

भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि नोटबंदी से भारतीय अर्थव्यवस्था की ग्रोथ घटी है. उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जबकि ग्लोबल इकोनॉमी बढ़ रही है भारत की जीडीपी नोटबंदी की वजह से प्रभावित हुई है.

राजन ने कहा कि ऐसी कई स्टडी हैं जिनसे पता चलता है कि नवंबर 2016 में 500 और 1000 रुपए के नोट बंद करने से भारत की इकोनॉमिक ग्रोथ पर काफी असर पड़ा है. उन्होंने कहा, ‘पक्के तौर पर मेरी राय है कि नोटबंदी ने हमारी अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है. अब मैंने ऐसे अध्ययन देखे हैं जिनसे इसकी पुष्टि होती है. हमारी वृद्धि दर सुस्त पड़ी है.’


राजन ने सोमवार को एक समाचार चैनल से साक्षात्कार में कहा, ‘वैश्विक अर्थव्यवस्था 2017 में अधिक तेज रफ्तार से बढ़ी, हमारी अर्थव्यवस्था सुस्त पड़ी.’

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उन्होंने कहा कि सिर्फ नोटबंदी ही नहीं जीएसटी को लागू करने से भी हमारी अर्थव्यवस्था पर असर पड़ा. वित्त वर्ष 2017-18 में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत रही.

राजन ने कहा, ‘नोटबंदी और जीएसटी के दोहरे प्रभाव से हमारी वृद्धि दर प्रभावित हुई. कोई मुझे जीएसटी विरोधी करार दे उससे पहले मैं कहना चाहूंगा कि दीर्घावधि में यह अच्छा विचार है. लघु अवधि में इसका असर पड़ा है.’

500-1000 के नोट बंद करने पर राय पूछी गई थी: राजन

यह पूछे जाने पर कि क्या रिजर्व बैंक गवर्नर के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान उनसे नोटबंदी को लागू करने को कहा गया था, पूर्व गवर्नर ने कहा कि उनसे ऊंचे मूल्य की करेंसी को प्रतिबंधित करने पर राय पूछी गई थी. उन्होंने कहा कि उनकी सोच में नोटबंदी ‘खराब विचार’ था.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर, 2016 को टेलीविजन पर अपने संबोधन में 500 और 1,000 के नोट को बंद करने की घोषणा की थी. उस समय सरकार ने दावा किया था कि नोटबंदी से कालेधन, जाली मुद्रा और आतंकवाद के वित्तपोषण पर लगाम कसी जा सकेगी.

राजन सितंबर, 2013 से सितंबर, 2016 तक रिजर्व बैंक के गवर्नर रहे.

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जीएसटी पर विस्तार से अपनी राय रखते हुए राजन ने कहा कि इस सुधारात्मक कर प्रणाली को अधिक बेहतर तरीके से लागू किया जाना चाहिए था.

यह पूछे जाने पर कि क्या जीएसटी में पांच अलग स्लैब के बजाय एक कर होना चाहिए था, राजन ने कहा कि यह बहस का विषय है. ‘मेरे विचार में, जो एक वैकल्पिक विचार है, आप एक बार जो काम करते हैं तो आप को समस्याओं का पता लगता है. उसके बाद उसे एक एक करके ठीक करते हैं. इसलिए यह (प्रारंभिक समस्या) होनी ही थी.’

कर्ज और धोखे में बहुत अंतर है: राजन

बैंकों के साथ घपलेबाजी करने वालों की सूची के बारे में राजन ने कहा कि एक सूची थी जिसमें बड़े बड़े घोटालेबाजों के नाम थे. प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को सौंपी गई बड़े कर्ज धोखेबाजों की सूची के बारे में राजन ने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि ये मामले अब कहां हैं. एक बात को लेकर मैं चिंतित हूं कि यदि एक को छूट मिलती है तो और दूसरे भी उसी राह पर चल सकते हैं.’

उन्होंने कहा कि कर्ज ना चुकाने और धोखेबाजी में फर्क है. यदि आप डिफॉल्टरों को जेल भेजना शुरू कर देते हैं तो कोई भी जोखिम नहीं उठाएगा.

इस साल सितंबर में राजन ने संसदीय समिति को नोट में कहा था कि बैंकिंग धोखाधड़ी से संबंधित चर्चित मामलों की सूची पीएमओ को समन्वित कार्रवाई के लिए सौंपी गई थी.

प्राक्कलन समिति के चेयरमैन मुरली मनोहर जोशी को सौंपी गई सूची में राजन ने कहा था कि सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकिंग प्रणाली में धोखाधड़ी बढ़ रही है. हालांकि, यह कुल एनपीए के मुकाबले अभी काफी कम है.

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