व्हाइट हाउस ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के बीच होने वाली बैठक दोनों देशों के बीच की साझेदारी को एक नया आयाम देगी.
26 जून को वाशिंगटन में दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्रों के नेता आतंकवाद और एच1-बी वीजा नियमों में बदलावों से जुड़ी भारत की चिंता समेत अन्य मुद्दों पर चर्चा के लिए बैठक करेंगे.
आतंकवाद और आर्थिक साझेदारी में विस्तार होंगे प्रमुख मुद्दे
व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव सीन स्पाइसर ने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि दोनों नेता भारत और अमेरिका की साझेदारी के विस्तार के सिलसिले में साझा दृष्टिकोण पेश कर सकते हैं. उन्होंने आतंकवाद से लड़ाई, आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि एवं सुधार और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में रक्षा सहयोग को बातचीत के मुख्य मुद्दे बताया.
स्पाइसर ने कहा, 'राष्ट्रपति ट्रंप और प्रधानमंत्री मोदी अमेरिका और भारत के बीच बेहतर सहयोग के लिए एक कॉमन विजन तैयार करने पर काम करेंगे जो दोनों देशों के 1.6 अरब नागरिकों के लिए फायदेमंद हो.' जब जनवरी में मोदी ने ट्रंप को राष्टपति बनने पर बधाई देने के लिए फोन किया था, तब ट्रंप ने मोदी को वाशिंगटन आने का निमंत्रण दिया था.
भारत ने कहा- मजबूत होगी रणनीतिक भागीदारी
भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा, 'प्रधानमंत्री 26 जून को राष्ट्रपति ट्रंप के साथ आधिकारिक वार्ता करेंगे. उनकी चर्चा आपसी हित के मुद्दों पर बेहतर साझेदारी और भारत-अमेरिका के बीच बहुआयामी रणनीतिक भागीदारी को मजबूत बनाने के लिए नई दिशा प्रदान करेगी.
पिछले सप्ताह एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा था कि मोदी ट्रंप के समक्ष कई मुद्दे उठाएंगे जिनमें पाकिस्तान-प्रायोजित आतंकवाद और अन्य अंतराष्ट्रीय मुद्दों समेत क्षेत्रीय रक्षा स्थिति शामिल हैं.
व्यापार बढ़ाने और व्यापारिक सहयोग को बेहतर बनाने के अलावा दोनों नेताओं के रक्षा संबंधों पर भी चर्चा करने की उम्मीद है.
'भारत है अमेरिका का बड़ा रक्षा सहयोगी'
अमेरिकी रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस ने पहले कह चुके हैं कि उनका देश भारत को बड़ा रक्षा सहयोगी मानता है.
मैटिस ने कहा था कि अमेरिका नई चुनौतियों के साथ-साथ समुद्री सुरक्षा से लेकर दक्षिण-पूर्व एशिया में आतंकवाद की बढ़ती चुनौतियों से निपटने के लिए नए तरीके तलाश रहा है.
मोदी की यात्रा पेरिस जलवायु समझौते से अमेरिका के हटने की ट्रंप की घोषणा के बाद हो रही है. ट्रंप ने कहा था, 'समझौते में भारत की भागीदारी विकसित देशों से अरबों-अरब डॉलर की सहायता मिलने पर निर्भर है.' ट्रंप के दावों को खारिज करते हुए भारत ने कहा था कि उसने पेरिस समझौते पर दस्तखत किसी दबाव में या धन के लालच में नहीं किया था बल्कि पर्यावरण की रक्षा को लेकर अपनी प्रतिबद्धता की वजह से किया था.
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