व्लादिमिर पुतिन ने आखिरकार सिद्ध कर दिया कि वे यूरेशिया ही नहीं, बल्कि दुनिया में दमखम रखने वाले नेताओं में एक हैं. सीरिया पर हमलों के बरक्स रूस और उसके सर्वोच्च नेता पुतिन के खिलाफ न जाने कई देशों ने एड़ी-चोटी लगाया लेकिन हुआ वहीं जो खुद पुतिन ने चाहा. रूसी चुनाव उन्होंने ठसक से चुनाव जीता और छठवीं बार रूस की बागडोर अपने हाथों में थाम ली. इसी के साथ उन्होंने देश-दुनिया को संदेश दिया कि रूस में सियासत से लेकर कूटनीति तक में दो दशक राज करना उन्हीं के बूते की बात है.
पुतिन की रणनीतिक चतुराई पर बारीकी से नजर डालें तो पाएंगे कि केजीबी अधिकारी से वैश्विक नेता बनने तक का सफर उन्होंने बखूबी निभाया है तो इसके पीछे एक कड़ी यह भी है कि उन्होंने सुनियोजित तरीके से विपक्ष को कमजोर किया. इस हद तक कमजोर किया कि उनकी सच बातें भी लोगों में भ्रम पैदा कर दें.
विपक्ष को इस कदर लाचार बनाया कि वे चुनाव लड़ने के काबिल न रह सके लेकिन मजे की बात देखिए कि देश-दुनिया में इसकी चर्चा तक नहीं हुई. क्योंकि जिस देश का मुखिया अमेरिका से सोते-जागते दो-चार हाथ फेर रहा हो, फिर उसके खिलाफ आवाज बुलंद करने की किसमें मजाल!
यहां जान लेना जरूरी है कि पुतिन को रूसी चुनाव में 70 फीसद से ज्यादा वोट मिले हैं. वोट के इस प्रतिशत पर किसी को शक-शुबहा कतई नहीं हो सकता, पर दबी जुबान ये सवाल तो उठ ही रहे हैं कि जब इतनी लोकप्रियता थी तो विपक्षियों का मर्दन क्यों हुआ? खैर, सियासत में यह सब जायज है.
पुतिन का मजबूत सफर
पुतिन फिलहाल 65 साल के हैं. 2024 तक उनके छटे कार्यकाल का हिसाब बिठाएं तो उस वक्त वे 71 साल के हो जाएंगे. यह आपने आप में एक इतिहास होगा क्योंकि उनसे पहले सोवियत के कम्युनिस्ट नेता लियोनिड ब्रेझनेव ने इतने लंबे साल राज किया. ब्रेझनेव 1964 से 1982 तक (18 साल) रूस की सत्ता संभाली थी. याद करिए सोवियत संघ के टूटने के बाद एक दशक तक रूस में कैसी कानूनविहीन सत्ता थी. पुतिन ने इस खामी को कैश किया और रूस में अपेक्षाकृत मुक्त समाज रहने के बावजूद उन्होंने उस पर दोबारा क्रेमलिन (रूसी सत्ता का केंद्र) की पकड़ मजबूत की.
अगर इसके बाद कोई उथल-पुथल न होती तो रूस में सबकुछ बमबम था. पर ऐसा हुआ नहीं और क्रीमिया का मामला आ टपका. कहा जाता है कि पुतिन ही ऐसे नेता थे जिन्होंने इस मुद्दे को अपने लिए चुनौती माना और इसे सुलझाया.
यूक्रेन के क्रीमिया क्षेत्र का रूस में विलय कराकर और सीरिया में दखलंदाजी दे कर पश्चिमी देशों के साथ एक तरह से नई दुश्मनी की शुरुआत की. पुतिन के लिए सबसे सुनहरा मौका तब आया जब 1999 के नए साल से एक दिन पहले येल्तसिन ने सनसनीखेज तरीके से इस्तीफा दिया और पुतिन रूस के राष्ट्रपति बन गए.
रूस को तो पुतिन ने ही उबारा
पुतिन के विरोधी उन्हें ऐसा नेता भले मानें कि उन्होंने देश को लोकतंत्र से और दूर किया और जिसने रूस में दोबारा गौरव की भावना भरने के लिए राष्ट्रवाद का सहारा लिया. लेकिन यह भी सच है कि विकास दर को तरसते किसी इतने बड़े देश को सम्मानित नाम दिलाने में पुतिन का ही योगदान रहा.
साल 2007 में अगर रूस ने 7.5 फीसद विकास दर हासिल की तो इसके पीछे पुतिन ही थे. यह भी जान लेना जरूरी है कि पुतिन के समर्थक उन्हें एक उद्धारक मानते हैं जिसने कमजोर पड़ते देश में दोबारा गर्व और पारंपरिक मूल्य बहाल किए.
प्रेमपाश में फंसा वैश्विक नेता
खबरों के ट्रेंड बताते हैं कि पुतिन ने अपने निजी जीवन को हमेशा मीडिया की नजरों से दूर रखने की कोशिश की. लगभग 30 साल तक वैवाहिक रिश्ते में रहने के बाद 2013 में उन्होंने पत्नी ल्यूडमिला को तलाक दे दिया लेकिन उनके नए प्रेम संबंधों की खबरें लगातार चर्चा में रहीं. इनमें एक पूर्व ओलंपिक जिम्नास्ट से रिश्ता शामिल हैं. हालांकि इनकी पुष्टि नहीं हुई.
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