सोमवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जासूसी करने के आरोप में अमेरिका से 60 रूसी राजनयिकों को देश छोड़कर जाने का आदेश दिया था. ट्रंप ने यह फैसला उस घटना के बाद लिया जिसमें रूस के पूर्व जासूस सर्गेई स्क्रिपल और उनकी बेटी यूलिया पर सैल्सबरी में 4 मार्च को ब्रिटेन में नर्व-एजेंट द्वारा जहर दिया गया था. इस हमले के लिए ब्रिटेन ने रूस को जिम्मेदार ठहराया है. अमेरिका ने सीएटल में रूसी दूतावास को बंद करने का भी आदेश दिया है. अमेरिका में कुल 100 रूसी राजनयिक काम कर रहे हैं. अमेरिका के इस फैसले ने शीत युद्ध की यादें ताजा कर दी हैं.
अब तक18 देशों ने निकाला है रूसी राजनयिकों को
नर्व एजेंट हमले के विरोध में अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और विभिन्न यूरोपीय देशों ने कई रूसी राजनयिकों को निष्कासित करने के आदेश जारी किए हैं. खुफिया एजेंसियों से जुड़े सभी रूसी राजनयिकों और उनके परिवार को देश छोड़ने के लिए अमेरिका ने सात दिन का वक्त दिया गया है नर्व एजेंट एक प्रकार का रासायनिक हथियार है, जिसमें जहर देने पर पीड़ित के नर्वस-सिस्टम पर असर पड़ता है.
इस बीच रूस ने उसके राजनयिकों को निष्कासित करने की खातिर सहयोगियों पर दबाव डालने के लिए अमेरिका को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि निष्कासन अमेरिका द्वारा डाले जा रहे ‘भारी दबाव' का नतीजा है.
रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने उज्बेकिस्तान में कहा, ‘यह भारी दबाव, भारी ब्लैकमेलिंग का नतीजा है जो अंतरराष्ट्रीय समुदाय पर अमेरिका का मुख्य हथकंडा रहा है.’
उन्होंने कहा, ‘बदले में अच्छी प्रतिक्रिया, इसमें कोई शक नहीं. कोई भी ऐसा अशिष्ट व्यवहार नहीं रखना चाहेगा और हम भी नहीं चाहते.’
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