नॉर्थ कोरिया को शक है कि उसके सुप्रीम लीडर किम जोंग को अमेरिका खुफिया ऑपरेशन के जरिए खत्म करवाना चाहता है. नॉर्थ कोरिया ने इसी खतरे के चलते अमेरिका को आगाह किया है कि अगर एक इंच भी उसने नॉर्थ कोरिया के खिलाफ कदम बढ़ाया तो वो परमाणु हमला करने में देर नहीं करेगा.
यूएन में नॉर्थ कोरिया के डिप्टी एंबैसेडर किम इन रेयोंग ने धमकी दी है कि कोरियाई प्रायद्वीप में बढ़ते तनाव के मद्देनज़र कभी भी परमाणु युद्ध छिड़ सकता है. नॉर्थ कोरिया ने ताजा धमकी देते हुए कहा है, ‘पूरा अमेरिका हमारी जद में है. अगर अमेरिका ने हमारे देश में एक इंच आने की भी जुर्रत की तो इसके गंभीर नतीजे भुगतने होंगे’.
किम ने संयुक्त राष्ट्र महासभा की निरस्त्रीकरण समिति के सामने कहा कि ‘1970 के बाद ऐसा हुआ है जब दुनिया में उत्तर कोरिया ही इकलौता ऐसा देश है जिसे अमेरिका खुलेआम परमाणु हमले की धमकी दे रहा है. ऐसे में अपनी आत्मरक्षा के लिए उत्तर कोरिया को परमाणु हथियार रखने का पूरा अधिकार है’.
गंभीर नतीजों का मतलब साफ है कि हमले की सूरत में नॉर्थ कोरिया अपने एटॉमिक और हाइड्रोजन बमों के साथ इंटरनेशनल बैलिस्टिक मिसाइलों के ज़रिए अमेरिका, दक्षिण कोरिया और जापान पर जबर्दस्त पलटवार करेगा.
अब नॉर्थ कोरिया खुलकर परमाणु हमले की धमकी दे रहा है. अपने परमाणु हथियारों को वो अपना सुरक्षा-कवच बता रहा है. 3 सितंबर को नॉर्थ कोरिया ने अबतक के सबसे ताकतवर हाइड्रोजन बम का टेस्ट किया था. ये बम कई शहरों को जलाकर राख करने की ताकत रखता है. इसके बाद नॉर्थ कोरिया ने प्रायद्वीप में तनाव बढ़ाने के मकसद से जापान के ऊपर से 15 सितंबर को इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल उड़ाई थी. अमेरिका ने जवाबी कार्रवाई करते हुए कोरियाई प्रायद्वीप के ऊपर अपने तीन लड़ाकू विमानों की गश्त कराई थी. जिसके बाद नॉर्थ कोरिया ने अमेरिका के गुआम बेस को मिसाइलों से तबाह करने की धमकी दोबारा दे डाली.
धमकी को नजरंदाज करना होगी बड़ी भूल
नॉर्थ कोरिया के सुप्रीम लीडर की एटमी धमकियों की वजह से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उसे 'रॉकेट मैन' का नाम दिया. साथ ही संयुक्त राष्ट्र में कहा था कि 'रॉकेट मैन' अपनी ज़िद की वजह से पूरे देश को 'सुसाइड मिशन' पर ले जा रहा है.
अब अमेरिका भी कह चुका है कि नॉर्थ कोरिया से बात करने का समय खत्म हो चुका है. हालांकि इस बयान के बाद ही नॉर्थ कोरिया ने कहा था कि अगर अमेरिका और नॉर्थ कोरिया के बीच युद्ध छिड़ता है तो पूरी दुनिया ये जान ले कि इस युद्ध को शुरू करने वाला देश अमेरिका ही होगा.
इसके बाद अमेरिका ने साफ किया था कि उसका अभी भी इरादा नॉर्थ कोरिया के खिलाफ युद्ध छेड़ने का नहीं है. लेकिन जब कोई और रास्ता नहीं रह जाएगा तो युद्ध ही एकमात्र विकल्प होगा. नॉर्थ कोरिया अब उसी आखिरी विकल्प पर परमाणु हमले की ताजा धमकी दे रहा है. हालांकि नॉर्थ कोरिया बीते महीनों में कई बार एटमी हमले की धमकी दे चुका है लेकिन जैसे-जैसे कोरियाई प्रायद्वीप पर तनाव बढ़ता जा रहा है उसे देखते हुए इन धमकियों को नज़रअंदाज करना बड़ी भूल साबित हो सकता है.
उधर अमेरिका ने एकबार फिर दोहराया है कि वो मौजूदा विवाद को खत्म करने के लिए तब तक कोशिश करेगा जब तक पहला बम नहीं गिर जाता है. हालांकि इससे पहले डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि नॉर्थ कोरिया के साथ मुद्दों को सुलझाने में उनके मंत्री सिर्फ वक्त की बर्बादी कर रहे हैं.
दोनों देशों के बीच तीखी जुबानी जंग के बीच दुनिया सांस रोक कर ये देख रही है कि कहीं से भी युद्ध की चिंगारी न फूटे. नॉर्थ कोरिया के पिछले इतिहास को देखते हुए ये डर सता रहा है कि वो जोश में फिर से कोई नया परमाणु परीक्षण कर अमेरिका को उकसाने का काम न कर दे. अमेरिका को भी पहली बार कोई परमाणु संपन्न देश इस तरह से आंखे दिखा रहा है कि मानों वो आंखें निकाल लेगा. डोनाल्ड ट्रंप 'मेक अमेरिका ग्रेट अगेन' की ग्लोरी से इस कदर दब चुके हैं कि उनके पास अप चुप बैठने का रास्ता नहीं बचा है. उनके बयानों के बाद अब एक्शन का टाइम है और उनका एक भी एक्शन दुनिया को नॉर्थ कोरिया का रिएक्शन दिखाने के लिए काफी होगा.
नॉर्थ कोरिया को लगी सीक्रेट मिशन की भनक
नॉर्थ कोरिया इस हद तक गले की फांस बन चुका है जिसका इलाज युद्ध से संभव नहीं है क्योंकि वो युद्ध होने पर पूरी दुनिया को बंजर बना सकता है. खुद ट्रंप ये मानते हैं कि नॉर्थ कोरिया का सुप्रीम लीडर अब मरने-मारने पर आमादा है. ट्रंप के सामने नॉर्थ कोरिया को मारने की चुनौती नहीं है. लेकिन अमेरिका के सामने सबसे बड़ी चुनौती दक्षिण कोरिया और जापान की करोड़ों की आबादी की सुरक्षा है. नॉर्थ कोरिया की परमाणु मिसाइलें युद्ध होने पर इन दोनों देशों की करोड़ों मासूमों की जान ले सकती हैं. ऐसे में अमेरिका अपना सीक्रेट ऑपरेशन प्लान कर रहा है ताकि नॉर्थ कोरिया को हमेशा के लिए किम जोंग से मुक्ति दिलाई जा सके और दुनिया पर मंडराते परमाणु खतरे को टाला जा सके.
मुमकिन है कि अमेरिका के साथ इस सीक्रेट ऑपरेशन की भनक नॉर्थ कोरिया को लग चुकी है. इसमें कुछ ऐसे देश भी गुप्त रूप से शामिल हो सकते हैं जो किम जोंग से खुश नहीं होंगे. किम जोंग की सनक के चलते न सिर्फ नॉर्थ कोरिया बल्कि चीन और रूस के सीमाई इलाके भी परमाणु बम की वजह से रेडियोएक्टिव विकिरण की चपेट में आ सकते हैं. संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों के बाद हाल में रूस और चीन ने भी नॉर्थ कोरिया के साथ व्यापार में कटौती की है.
अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति और युद्धनीति कहती है कि समूची मानव सभ्यता को बचाने के लिये किसी एक की कुर्बानी दी जा सकती है. ऐसे में एक महायुद्ध को टालने के लिए सिर्फ किम जोंग की जान का सौदा किसी को भी खल नहीं सकता. लेकिन बड़ा सवाल ये है कि किम जोंग को मारना क्या अमेरिका के लिए इतना आसान होगा? वो भी तब जब नॉर्थ कोरिया को ये मालूम हो चुका है कि किम जोंग को मारने के लिए अमेरिका का सीक्रेट मिशन कई साल से चालू है. ऐसे में अमेरिका की एक चूक नॉर्थ कोरिया को एटम बम गिराने का बड़ा मौका दे जाएगी.
नॉर्थ कोरिया ने जिस एक इंच ज़मीन का इशारा किया है वो दरअसल अमेरिका को समझाने की कोशिश है कि नॉर्थ कोरिया में किसी भी तरह की घुसपैठ का अंजाम परमाणु हमला होगा. ऐसे में अब अमेरिका सोच ले कि उसे सीक्रेट ऑपरेशन के जरिये युद्ध लड़ना है या फिर पारंपरिक तरीके से युद्ध का एलान करना होगा.
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