अमेरिका ने भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल विवाद शांतिपूर्ण रूप से सुलझाने के लिए पहल शुरू कर दी है. यह दावा पाकिस्तान के अखबार डॉन की ओर से किया गया है. डॉन की रिपोर्ट का कहना है कि अमेरिका ने बिना 'दोनों पक्षों से किसी निमंत्रण' के यह पहल शुरू की है. अगर यह खबर ठीक हैं तो यह भारत के लिए झटका है क्योंकि वह हमेशा से इसे द्विपक्षीय मामला मानता रहा है.
अमेरिका की दखलअंदाजी से भारत और अमेरिका के रिश्तों पर असर पड़ सकता है. भारतीय अखबार फाइनेंशियल एक्सप्रेस ने सवाल उठाया है कि क्या अब तक नज़र आ रही मोदी-ओबामा की दोस्ती सिर्फ कैमरे के लिए थी?
डॉन के मुताबिक, अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने पाकिस्तान के वित्त मंत्री इशाक दार को कॉल कर विवाद का शांतिपूर्ण हल निकालने की बात कही. रिपोर्ट के मुताबिक. केरी ने यह कॉल वर्ल्ड बैंक में भारत के खिलाफ पाकिस्तान की शिकायत की जानकारी मिलने के बाद की.
30 दिसंबर को पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि इस मुद्दे पर पाकिस्तान के सिद्धांतों और कानूनी स्थिति पर अमेरिकी सहयोग का स्वागत है.
सिंधु जल समझौता 1960 में हुआ था जिसपर तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तानी राष्ट्रपति अयूब खान ने दस्तखत किए थे. यह समझौता छह नदियों- ब्यास, रावी, सतलज, सिंधु, चेनाब और झेलम- के पानी के बंटवारे को लेकर है.
यह समझौता वर्ल्ड बैंक ने कराया था. इन छह में से चार नदियां भारत से शुरू होती हैं, जबकि सिंधु और सतलज चीन से शुरू होती है. समझौते के मुताबिक, 3 पूर्वी नदियां ब्यास, रावी और सतलज का पानी भारत को मिला जबकि बाकी तीन नदियों का पानी पाकिस्तान को दिया गया.
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