अमेरिका ने सोमवार को तेल अबीब से अपना दूतावास स्थानांतरित कर यरुशलम में खोल दिया जिसके चलते फिलीस्तीनियों और इजराइली सैनिकों के बीच हुई भीषण झड़पों में गाजा में कम से कम 37 फलस्तीनी गोली लगने से मारे गए. यह 2014 के बाद से सबसे भीषण हिंसा है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यरुशलम को इजराइल की राजधानी के रूप में मान्यता देने के विवादास्पद कदम के तहत वहां अपना दूतावास खोलने की दिसंबर में घोषणा की थी.
इस संवेदनशील मुद्दे पर दशकों तक अमेरिका की तटस्थता से हटकर ट्रंप ने यह घोषणा की थी.
यरुशलम में दूतावास खुलने पर ट्रंप ने सुबह के अपने ट्वीट में इसे ‘इजराइल के लिए एक महान दिन’ बताया. उन्होंने सुबह के इस ट्वीट में हिंसा का कोई जिक्र नहीं किया, लेकिन कहा, ‘इजराइल के लिए एक महान दिन.’
अमेरिका का एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल दूतावास खुलने के समारोह में शामिल हो रहा है जिसमें अमेरिकी उप विदेश मंत्री जॉन सुलिवन, वित्त मंत्री स्टीवन मुन चिन, वरिष्ठ सलाहकार और ट्रंप के दामाद जेअर्ड कुशनेर, वरिष्ठ सलाहकार और ट्रंप की बेटी इवांका ट्रंप और अंतरराष्ट्रीय वार्ता मामलों के विशेष प्रतिनिधि जैसन ग्रीनब्लैट शामिल हैं.
इस अवसर पर इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू भी मौजूद हैं. दूतावास संबंधी यह कदम विवादास्पद है क्योंकि फिलीस्तीनी यरुशलम को अपनी भविष्य की राजधानी मानते हैं. अरब जगत में अनेक लोगों के लिए यह इस्लाम से संबंधित सबसे पवित्र स्थलों में से एक है. शहर में यहूदियों और ईसाइयों के भी धार्मिक स्थल हैं.
मुद्दा इतना विवादास्पद है कि अंतरराष्ट्रीय वार्ताकारों ने शांति समझौतों के अंतिम चरणों में यरुशलम से जुड़े प्रश्न को छोड़ दिया.
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