भारत ने चेतावनी दी है कि मूलभूत सुधारों के अभाव में संयुक्त राष्ट्र के अप्रासंगिक हो जाने का खतरा है. और अगर यह विश्व निकाय अप्रभावी रहा तो बहुपक्षवाद खत्म हो जाएगा.
भारत लंबे समय से ब्राजील, जर्मनी और जापान के साथ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की मांग कर रहा है. संयुक्त राष्ट्र की इस संस्था में स्थायी सदस्यता के लिए यह चारों राष्ट्र एक-दूसरे की दावेदारी का समर्थन करते हैं.
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 73वें सत्र को संबोधित करते हुए कहा, ‘मैं संयुक्त राष्ट्र की विशिष्ट और सकारात्मक भूमिका को रेखांकित करते हुए अपनी बात शुरू करती हूं लेकिन मुझे यह अवश्य कहना होगा कि कदम दर कदम इस संस्था के महत्व, प्रभाव, सम्मान और मूल्यों में अवनति शुरू हो रही है.’
स्वराज ने इस बात पर जोर दिया कि संयुक्त राष्ट्र को यह अनिवार्य रूप से स्वीकार करना चाहिए कि उसे मूलभूत सुधार की जरूरत है.
उन्होंने कहा, ‘सुधार सिर्फ दिखावे के लिए नहीं होना चाहिए. हमें संस्थान के दिलो-दिमाग में बदलाव करने की जरूरत है जिससे यह समसामयिक वास्तविकता के अनुकूल हो जाए.’
कल बहुत देर हो सकती है: सुषमा स्वराज
स्वराज ने विश्व निकाय में सुधार में देरी के खिलाफ चेतावनी देते हुए कहा कि सुधार आज से ही शुरू होने चाहिए क्योंकि कल बहुत देर हो सकती है.
उन्होंने कहा, ‘अगर संयुक्त राष्ट्र अप्रभावी है तो बहुपक्षवाद का पूरा सिद्धांत ध्वस्त हो जाएगा.’
ऐसे समय जब बहुपक्षवाद को लेकर व्यापक बहस हो रही है, जिसके बारे में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतारेस ने कहा था कि वह सबसे ज्यादा निशाने पर है जब उसकी सबसे ज्यादा जरूरत है, स्वराज ने कहा कि भारत कभी भी बहुपक्षवाद के तंत्र को कमजोर नहीं होने देगा.
उन्होंने कहा, ‘भारत वसुधैव कुटुम्बकम में विश्वास रखता है और इसका सबसे अच्छा तरीका साझा बातचीत है.... संयुक्त राष्ट्र को परिवार के सिद्धांतों के आधार पर काम करना चाहिए. संयुक्त राष्ट्र ‘मैं’ से नहीं चल सकता और यह सिर्फ ‘हम’ से चल सकता है.’
स्वराज ने कहा कि भारत इस बात में विश्वास नहीं रखता कि संयुक्त राष्ट्र कई लोगों की कीमत पर महज कुछ लोगों की सुविधा का साधन बने.
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