नॉर्थ कोरिया और अमेरिका के बीच बढ़ता तनाव धमकियों के रास्ते जंग के मुहाने पर पहुंच चुका है. लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की हालिया धमकी को देखकर अब ये लग रहा है कि दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्ष मानो खुद ही निजी झगड़े में उलझ गए हैं.
नॉर्थ कोरिया के सैन्य तानाशाह की लगातार मिल रही धमकियों से बौखलाए डोनाल्ड ट्रंप का गुस्सा किसी ज्वालामुखी की तरह फटा. उन्होंने जो कहा उससे दुनिया तो छोड़िये खुद अमेरिका के भीतर भी हड़कंप मच गया. चूंकि सवाल विश्व की महाशक्ति के राष्ट्रपति से जुड़ा हुआ है.
ट्रंप ने कोरिया की परमाणु हमले की धमकियों से गुस्सा कर कहा कि अमेरिका नॉर्थ कोरिया पर इतने बम बरसाएगा कि दुनिया ने ऐसा हमला पहले नहीं देखा होगा.
द वाशिंगटन पोस्ट को अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के हवाले से मिली खबरों के मुताबिक ट्रंप ने नॉर्थ कोरिया को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उसने धमकियां देना बंद नहीं किया तो जलाकर खाक कर देंगे.
किसी देश को जला कर खाक कर देने वाली धमकी सेकंड वर्ल्ड वॉर में जापान पर हुए परमाणु हमले की त्रासदी ताजा कर सकती है. उस वक्त के युद्ध हालातों के चलते मानवता के लिये घातक अमेरिकी फैसले पर बहस आज भी जारी है. लेकिन आज के संदर्भ में अमेरिकी राष्ट्रपति की ये भारी चेतावनी नॉर्थ कोरिया समेत उन तमाम देशों की नींद उड़ा सकती है जो अमेरिका विरोधी हैं. वजह अमेरिका नहीं बल्कि खुद डोनाल्ड ट्रंप हैं.
सीधी बात करने वाले नेता हैं डोनाल्ड ट्रंप
डोनाल्ड ट्रंप के बयान वैसे भी किसी बम की तरह ही फूटते हैं. वो सीधी सपाट बात कहने में हिचकते नहीं. भले ही उनकी बात से अमेरिका की विदेश नीति प्रभावित क्यों न हो. ट्रंप जाने ही इसलिये जाते हैं कि एक बार जो कह दिया सो कह दिया.
ट्रंप पर सवाल खड़े करने की किसी में हिम्मत नहीं. ये उनका तानाशाही रवैया नहीं बल्कि उनकी सेल्फ स्टाइल है जिसने उन्हें दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के राष्ट्रपति चुनाव जीतने में मदद की. ट्रंप के फैन्स उनमें हॉलीवुड का एक्शन हीरो देख सकते हैं.
लेकिन सियासत के अपने उसूल हैं और लोकतंत्र बिना विपक्ष की आवाज के तार बिना तानपुरा है. ट्रंप के बयान से अमेरिकी सियासत में भूचाल आना लाजिमी था. डेमोक्रेट सांसदों ने एक सुर में ट्रंप के बयान की आलोचना की. डेमोक्रेटिक सांसदों का मानना है कि नॉर्थ कोरिया को धमकी देने का ये सही वक्त नहीं है.
नॉर्थ कोरिया लगातार लंबी दूरी की मिसाइलों का टेस्ट कर रहा है. उसने न्यूक्लियर वॉरहेड का एक छोटा रूप तैयार कर लिया है जिसे लंबी दूरी की मिसाइलों में फिट किया जा सकता है. ऐसे में फिलहाल कूटनीतिक तरीकों से ही नॉर्थ कोरिया पर नकेल कसनी होगी.
अमेरिका की चेतावनियों का नॉर्थ कोरिया पर असर नहीं
दरअसल डोनाल्ड ट्रंप से जब नॉर्थ कोरिया की न्यूक्लियर ताकत के बारे में और धमकियों के बारे में सवाल पूछा गया तो वो बिफर पड़े और उन्होंने सीधे ही नॉर्थ कोरिया को जला कर खाक करने की धमकी दे डाली. नॉर्थ कोरिया लगातार ही अमेरिका पर हमले की धमकी देता आ रहा है.
लेकिन ट्रंप की धमकी के बावजूद नॉर्थ कोरिया की नींद उड़ी नहीं और उसने फिर नई धमकी दे डाली है. नॉर्थ कोरिया ने कहा है कि वो गुआम द्वीप पर हमले के लिये मिसाइल तैयार कर रहा है. प्रशांत महासागर के गुआम द्वीप में अमेरिका का सैन्य अड्डा है. प्रशांत महासागर के इस द्वीप की वजह से अमेरिका की मौजूदगी रणनीतिक तौर पर बेहद अहम मानी जाती है.
नॉर्थ कोरिया की पीपुल्स आर्मी का कहना है कि वो सैन्य तानाशाह किम जोंग उन के हमले के आदेश का इंतजार कर रहे हैं. आदेश मिलते ही अमेरिका के द्वीप को सबसे पहले निशाना बनाएंगे. नॉर्थ कोरिया ने साथ ही धमकी दी कि वो युद्ध छिड़ने की हालत में अमेरिका के शहरों को भी निशाना बनाएगा.
दोनों देशों के बीच दो साल में तनाव चरम पर पहुंच चुका है. अमेरिका नॉर्थ कोरिया के परमाणु परीक्षण और मिसाइल कार्यक्रम को लेकर सख्त खिलाफ हैं. लेकिन युनाइटेड नेशन्स के तमाम प्रतिबंधों के बावजूद नॉर्थ कोरिया अपने परमाणु परीक्षण रोकने के लिये तैयार नही है.
पिछले दो साल में नॉर्थ कोरिया एक हाइड्रोजन बम और दो न्यूक्लियर टेस्ट कर चुका है. कुल मिलाकर नॉर्थ कोरिया अबतक 5 न्यूक्लियर टेस्ट कर चुका है. साथ ही इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल ICBM को दो बार टेस्ट कर चुका है.
ट्रंप की धमकी हलके में ना ले उत्तर कोरिया
नॉर्थ कोरिया का दावा है कि अमेरिका के बड़े शहर उसकी मिसाइल की रेंज में आ चुके हैं. खुद सैन्य तानाशाह किम जोंग उन ने मैनहटन को जला कर राख कर देने की धमकी दी थी.
अब डोनाल्ड ट्रंप ने भी उसी अंदाज में धमकी वापस लौटाई है जो नॉर्थ कोरिया लगातार दे रहा है. लेकिन इस बार नॉर्थ कोरिया को ट्रंप की धमकी गंभीरता से लेने की जरूरत है क्योंकि ये धमकी राष्ट्रपति ने दी है और इसके मायने सिर्फ धमकी तक सीमित नहीं हो सकते. ये चेतावनी चीन के लिये भी है कि अमेरिका जब हमला करेगा तो दुनिया के बाकी देश उस गोलीबारी को सिर्फ देख रहे होंगे.
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