भारत-चीन सबंधों में 2018 में जबरदस्त बदलाव देखने को मिला. जहां 2017 में दोनों के बीच डोकलाम में एक बड़ा सैन्य गतिरोध हुआ था, इस साल दोनों देशों के शीर्ष नेताओं के बीच पहली अनौपचारिक शिखर बैठक हुई और इससे एशिया के दो बड़े देशों के बीच तनाव कम करने में मदद मिली.
साल 2017 में भारत-चीन के द्विपक्षीय संबंधों में 60 अरब डालर वाले चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपेक) के साथ ही डोकलाम में दोनों देशों की सेनाओं के 73 दिन तक आमने सामने डटे रहने के चलते कड़वाहट आ गई थी. सीपेक ‘बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव’ (बीआरआई) का एक हिस्सा है जो चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है. इसका उद्देश्य विदेश में चीन का प्रभाव बढ़ाना है.
सीपेक और डोकलाम को लेकर गतिरोध ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को वुहान में शिखर बैठक में दोनों देशों के संबंधों में शांतिपूर्ण विकास की संभावना का पता लगाने के लिए प्रेरित किया.
दोनों नेताओं के रणनीतिक दिशानिर्देश में भारत और चीन ने 2018 में संयुक्त सैन्य अभ्यास बहाल किया. यह दोनों देशों के बीच 18 महीने पहले डोकलाम में सैन्य गतिरोध के बाद पहला ऐसा अभ्यास था.
भारत-चीन के संबंधों पर क्या कहा चीन ने?
चीन के विदेश मंत्रालय ने भारत-चीन संबंधों में इस साल आए बदलावों की समीक्षा करते हुए कहा कि वर्तमान परिवर्तनशाली अंतरराष्ट्रीय परिस्थिति में चीन-भारत संबंधों का सार्थक विकास दोनों देशों के मूलभूत हितों के अनुरूप है.
चीन के विदेश मंत्रालय ने एक सवाल के लिखित जवाब में कहा, ‘2019 में चीन भारत के साथ राजनीतिक परस्पर विश्वास बढ़ाने, आदान-प्रदान और विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने, मतभेदों को सही तरीके से सुलझाने, दोनों देशों के नेताओं के बीच बनी सहमति के अनुरूप चीन-भारत संबंधों के तेज, बेहतर और अधिक स्थिर विकास को बढ़ावा देने के लिए काम करने को तैयार है.’
बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव से चीन से लगे दक्षिण एशियाई पड़ोस में भारत का प्रभाव कम होने का खतरा बढ़ा क्योंकि चीन कर्ज कूटनीति के आरोपों के बीच छोटे देशों को आधारभूत परियोजनाओं के लिए अरबों डॉलर का कर्ज दे रहा है. इस बीच, सीपेक चीन-भारत संबंधों में सबसे बड़े व्यवधान के तौर पर उभरा है. भारत की इस आपत्ति के बावजूद कि सीपेक पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरता है, चीन सीपेक पर आगे बढ़ा.
भारत ने इसको देखते हुए पिछले साल राष्ट्रपति शी की ओर से आयोजित बीआरआई फोरम का बहिष्कार किया. चीन ने इसके साथ ही परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह का सदस्य बनने और जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा वैश्विक आतंकवादी घोषित कराने के भारत के प्रयास में बाधा उत्पन्न की जिससे दोनों देशों के संबंधों में दरार और बढ़ गई.
साल के बड़े हिस्से के दौरान चीन में भारत के राजदूत रहे गौतम बंबावाले ने कहा, ‘2018 एक ऐसा साल था जिस दौरान भारत..चीन संबंध डोकलाम से वुहान और उसके आगे बढ़े.’
बंबावाले ने पहले अनौपचारिक सम्मेलन के लिए चीन के अधिकारियों के साथ नजदीकी रूप में संवाद में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. बंबावाले 30 नवंबर को रिटायर हो गए. उन्होंने एक ईमेल जवाब में कहा, ‘ऐसा करने के लिए दोनों देशों और उनके नेतृत्व को आत्मनिरीक्षण करना पड़ा और स्वतंत्र रूप से इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि कोई अनौपचारिक शिखर बैठक दोनों नेताओं को रणनीतिक संवाद का एक मौका देगी. वुहान में उनकी बातचीत से संबंधों में सुधार का एक माहौल बना.’
साल 2018 में चार बार मिले शी जिनपिंग और पीएम मोदी
बंबावाले ने कहा, ‘इस साल सर्वश्रेष्ठ राजनीतिक संवाद देखने को मिला. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी इस साल चार बार मिले. जिस पर ध्यान नहीं दिया गया वह यह है कि रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और चीन के रक्षा मंत्री वेई फंगह ने भी इस साल तीन बार मुलाकात की. हमारे विदेश मंत्रियों ने भी कई बार मुलाकात की. चीन के सार्वजनिक सुरक्षा मंत्री की इस साल की भारत यात्रा भी एक महत्वपूर्ण घटना थी.’
बम्बावाले ने चेंगदू में भारत और चीन के बीच ‘हैंड इन हैंड’ सैन्य अभ्यास बहाली और रक्षा संवाद बहाली का उल्लेख करते हुए कहा कि द्विपक्षीय सैन्य संबंधों का विकास ‘इस साल भारत-चीन संवाद में सबसे महत्वपूर्ण रहा.’ ‘हैंड इन हैंड’ और रक्षा संवाद दोनों डोकलाम गतिरोध के चलते एक साल के अंतराल पर हुए.
दोनों देशों ने गत नवम्बर में 21वें दौर की सीमा वार्ता की जिसमें उन्होंने सीमा मुद्दे के हल के लिए संवाद प्रक्रिया आगे बढ़ाने का आह्वान किया.
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