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श्रीलंका: नवल ने दिए संकेत, सरकार बनी तो तमिल कैदियों को रिहा कर सकते हैं राजपक्षे

साल 2009 में लिट्टे से युद्ध खत्म होने के बाद श्रीलंका सरकार ने उसकी कैद में मौजूद लिट्टे के सदस्यों को राजनीतिक कैदी मानने से इनकार कर दिया था

Updated On: Nov 04, 2018 04:10 PM IST

FP Staff

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श्रीलंका: नवल ने दिए संकेत, सरकार बनी तो तमिल कैदियों को रिहा कर सकते हैं राजपक्षे

प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के बेटे नमल ने रविवार को संकेत दिया कि सभी तमिल कैदियों को रिहा करने के लिए तमिल अल्पसंख्यक समुदाय की लंबी मांग जल्द ही पूरी हो सकती है. जिसका मुख्य लक्ष्य तमिल सांसदों को राजपक्षे का समर्थन करने के लिए प्रेरित करना है. नमल ने तमिल में ट्वीट किया, 'राष्ट्रपति (मैत्रिपाला) सिरिसेना और प्रधान मंत्री राजपक्षे जल्द ही इस मुद्दे पर निर्णय लेंगे.'

गौरतलब है कि साल 2009 में लिट्टे से युद्ध खत्म होने के बाद श्रीलंका सरकार ने उसकी कैद में मौजूद लिट्टे के सदस्यों को राजनीतिक कैदी मानने से इनकार कर दिया था. तमिलों का कहना है कि कुछ कैदियों को औपचारिक रूप से आरोप लगाए बिना आतंकवाद विरोधी कानून के तहत लंबे समय से कैद किया गया है.

ज्यादातर सांसद हैं राजपक्षे के खिलाफ

नमल की यह टिप्पणी श्रीलंका की मुख्य तमिल पार्टी, तमिल राष्ट्रीय गठबंधन (टीएनए) में सांसदों को मनाने के उद्देश्य से की गई है. ताकि संसद में वह राजपक्षे के पक्ष में बहुमत साबित कर सकें. अब तक, राजपक्षे के पास 100 सांसद हैं, जबकि प्रधानमंत्री रानिल विक्रमेसिंघे के पास 225 सदस्यीय संसद में 103 सांसद हैं. गौरतलब है कि टीएनए समेत 22 अन्य सांसदों में से ज्यादातर राजपक्षे के विरोध में हैं.

अभी टूट सकते हैं और सांसद

न्यूज18 की खबर के मुताबिक राजपक्षे के खेमे ने पहले से ही एक टीएनए सांसद को उपमंत्री पद के लालच में अपने पाले में ले लिया है. इसी के साथ अब टीएनए की संसदीय ताकत 15 हो गई है और अनुमान लगाया जा रहा है कि उनमें से कम से कम 4 और राजपक्षे का समर्थन करने के इच्छुक हैं. राजपक्षे का दावा है कि उनके पास बहुमत साबित करने के लिए पर्याप्त सांसद हैं और कम से कम छह विक्रमासिंघे के सांसद भी उनके समर्थन में आ सकते हैं.

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