श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने संसद की कार्यवाही आगामी 16 नवंबर तक के लिए शनिवार को स्थगित कर दी. उनके इस फैसले के बाद देश में राजनीतिक संकट और गहरा गया है. वहीं, बर्खास्त प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने अपना बहुमत साबित करने के लिए संसद का आपातकालीन सत्र बुलाने की मांग की है.
सिरीसेना ने शुक्रवार को एक नाटकीय घटनाक्रम के तहत प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को बर्खास्त कर उनकी जगह पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को नया प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया.
सिरिसेना का यह कदम नवनियुक्त प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे को राहत देने के मकसद से उठाया गया माना जा रहा है और इस कदम से राजपक्षे को संसद में बहुमत साबित करने के लिए समय मिल गया है. संसद में राजपक्षे और सिरिसेना के पास कुल 95 सीटें हैं. इस तरह, 225 सदस्यों वाले सदन में साधारण बहुमत के आंकड़े से वे कुछ पीछे हैं.
वहीं, बर्खास्त प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसंघे की पार्टी यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) के पास 106 सीटें हैं और बहुमत का जादुई आंकड़ा हासिल करने के लिए उन्हें सिर्फ सात सीटें कम पड़ रही हैं. यूएनपी ने दावा किया है कि राष्ट्रपति ने यह कदम इसलिए उठाया है क्योंकि राजपक्षे के पास सदन में बहुमत नहीं है.
संसद के अधिकारियों के मुताबिक सदन की कार्यवाही 16 नवम्बर तक स्थगित रहेगी. वर्ष 2019 के सालाना बजट के लिए संसद का सत्र 5 नवम्बर को आहूत किया गया था. विक्रमसिंघे ने कहा है कि राजपक्षे को उनकी जगह शपथ दिलाना ’अवैध और असंवैधानिक’ है और वह देश की संसद में अपना बहुमत साबित कर देंगे.
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