महिलाओं को गाड़ी चलाने की आजादी मिलने की घोषणा के बाद अब सऊदी अरब में महिलाएं स्पोर्ट्स स्टेडियम में भी दाखिल हो पाएंगी. अब तक महिलाओं को स्टेडियम में कोई मैच देखने की इजाजत नहीं थी.
सऊदी में महिलाओं को ज्यादा आजादी दिए जाने की दिशा में यह एक और कदम है. पिछले महीने ही यह घोषणा हुई थी कि उन्हें गाड़ियां चलने की इजाजत दी जाएगी. सऊदी अरब के अतिरूढ़िवादी सुन्नी इस्लामिक समाज में ये कदम बेहद महत्वपूर्ण हैं.
वहां के कठोर नियमों में महिलाओं के लिए सीमित आजादी ही दी जाती है. जरा वहां के अन्य नियमों पर भी गौर फरमाइए-महिलाएं अपने पुरुष संरक्षक (पिता, पति इत्यादि) की मर्जी के बिना शादी नहीं कर सकती, तलाक नहीं दे सकती, यात्रा नहीं दे सकती, नौकरी नहीं कर सकती, कोई मेडिकल सर्जरी नहीं करवा सकतीं. इसके अलावा वह खुल कर पुरुषों के साथ घुल-मिल नहीं सकतीं आदि. ऐसा लगता है मानो वहां यह माना जाता है कि अगर एक इंसान महिला के रूप में पैदा हुई है तो वह अपने लिए फैसले करने के काबिल नहीं हो सकती.
बदलाव ला रहा है शहजादा
लेकिन कदम-दर-कदम इसमें बदलाव की बयार आती दिखाई पड़ रही है. पहले सड़कों पर गाड़ी चलाने और अब स्टेडियमों में प्रवेश का फैसला महिलाओं के लिए सौगात बन कर आया है. माना जा रहा है कि इसी तर्ज पर सऊदी अरब की महिलाओं को और भी अधिकार दिए जाने वाले हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि सऊदी के इस्लाम के ‘अधिक कड़े व्याख्या’ को मानने वाले समाज में इतना सुधार कैसे होने लगा है?
इसका जवाब हैं वहां के 32 वर्षीय शहजादे मोहम्मद बिन सलमान. सलमान ने सऊदी में बदलाव लाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता जता दी है. लेकिन अगर आपको लगता है कि यह बदलाव इसलिए आया है क्योंकि वहां के शासकों के मन में महिलाओं के लिए बहुत अच्छे ख्याल उमड़ने लगें हैं तो आप गलत है. वहां जो कुछ होता है, उसका कहीं न कहीं तेल से नाता होता है. इसका भी है.
दरअसल तेल की कीमतों में भारी गिरावट के बाद से सऊदी अरब की हालत पतली हो चुकी है. वह समझ चुका है कि तेल तो कभी न कभी ख़त्म हो जाना है. उसके ऊपर से ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेट चेंज के कारण तेल पर निर्भरता भी कम होने वाली है, ऐसे में सऊदी ने तेल से इतर अपना अस्तित्व तलाशने का काम शुरू कर दिया है.
यह निर्भर करता है कई सारी चीजों पर जैसे युवाओं को और ताकत देना, सामाजिक ढांचे में सुधर लाना और देश की अर्थव्यवस्था को दोबारा पटरी पर लाना. इन सब चीजों को हासिल करने का काम महिलाओं को देश की मुख्यधारा में अधिक जगह दिए बिना नहीं हो सकता. ऐसे भी देश की आधी आबादी का अगर इस्तेमाल ही नहीं किया जाएगा तो देश तो सिर्फ आधी ताकत से ही चल पाएगा.
सऊदी कट्टरपंथी इस्लाम छोड़ेगा
इसी कारण सऊदी के सुल्तान ने एक हालिया निवेश सम्मलेन में कहा कि वह देश में ‘ज्यादा उदार इस्लाम’ लाएंगे. उनके इन कदमों का वहां के धर्मगुरु पुरजोर विरोध भी कर रहे हैं. सऊदी अरब में पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में कदम उठाए जाने की चर्चा भी हो रही है. इस तथ्य पर गौर कीजिए-सऊदी में महिलाओं को घर से बाहर बुर्का पहनना अनिवार्य है पर दुबई में पर्यटक बीच पर बिकिनी पहन सकती हैं. दुबई और पूरे यूएई की अर्थव्यवस्था में पर्यटन का बहुत बड़ा स्थान है.
सऊदी अरब अगर अर्थव्यवस्था के लिए ही सही, महिलाओं को ज्यादा ताकत देता है तो यह कदम जरूर अन्य बेहतर कदमों को प्रेरणा देगा. उम्मीद करिए कि सऊदी अरब में महिलाओं के अच्छे दिन आने वाले हैं.
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