'मातामेला सिरिल रामाफोसा' साउथ अफ्रीका के राष्ट्रपति, बीते कुछ दिनों से काफी चर्चा में हैं. कारण यह है कि 26 जनवरी, 2019 को भारत अपना 70वां गणतंत्र दिवस मनाने जा रहा है और रामाफोसा इसके मुख्य अतिथि हैं. रामाफोसा साउथ अफ्रीका के पांचवे निर्वाचित राष्ट्रपति हैं. इनसे पहले जैकब जुमा साउथ अफ्रीका के राष्ट्रपति थे. बाद में जुमा ने 14 फरवरी, 2018 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद अगले राष्ट्रपति के तौर पर रामाफोसा को चुना गया.
राजनीति में प्रवेश करने से पहले रामाफोसा साउथ अफ्रीका के जड़ तक फैले रंगभेदी नस्लवाद के खिलाफ आवाज उठाते थे. रंगभेद के दिनों में ब्लैक लोगों को झूठे आरोपों के तहत जेल में डाल दिया जाता था. साल 1974 में जब रामाफोसा भी ऐसी ही गिरफ्तारी का शिकार हुए तो वह महज 22 साल के थे. कॉलेज में पढ़ रहे थे. उन्हें 11 महीने जेल में रखा गया. बाहर निकलने के बाद उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की और फिर ट्रेड यूनियन की नेतागिरी करने लगे. रामाफोसा को लगता था कि रंगभेद से त्रस्त इस देश में श्वेत राज के खिलाफ विरोध करने का यही तरीका है. जब 1990 में 27 साल की कैद के बाद मंडेला रिहा हुए तो रामाफोसा उनके साथ मिलकर देश में लोकतंत्र लाने वालों में शामिल थे.
रंगभेद के खिलाफ आंदोलन के प्रमुख चेहरों में रहे रामाफोसा
रामाफोसा साउथ अफ्रीका में हुए एंटी-अपार्थिड (रंगभेदी नस्लवाद) आंदोलन का हिस्सा रहे हैं. एंटी-अपार्थिड (रंगभेदी नस्लवाद) आंदोलन की सफलता का परिणाम ही देश के पहले ब्लैक राष्ट्रपति 'नेल्सन मंडेला' थे. इस आंदोलन ने देश के ब्लैक और वाईट विशेषाधिकृत लोगों के बीच की असमानताओं को पाटने का काम किया.
साउथ अफ्रीका में ब्लैक लोगों को बहुत से अधिकारों से वंचित रखा गया, वोटिंग इसमें से एक है. जब नेल्सन मंडेला देश के पहले ब्लैक राष्ट्रपति बने तो देश के ब्लैक लोगों के लिए काफी काम किया. मंडेला रामाफोसा को देश के अगले भावी राष्ट्रपति के रूप में देखते थे. लेकिन अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस ने उनकी जगह थाबो मबेकी को अगला राष्ट्रपति बनाया. इस पर रामाफोसा काफी निराश हुए. नतीजतन उन्होंने खुद सियासत से किनारा कर लिया. मंडेला उन्हें नई पीढ़ी का सबसे गिफ्टेड नेता कहते थे.
एंटी-अपार्थिड आंदोलन का हिस्सा और अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस के सदस्य रहे रामाफोसा ने फिर बिजनेस करना शुरू कर दिया. उनका नाम साउथ अफ्रीका के नामी बिजनेसमैन में शुमार है. साल 2014 में रामाफोसा को अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस का निर्वाचित अध्यक्ष चुना गया था. 2014 से 2018 तक बतौर पार्टी अध्यक्ष वह काम करते रहे. फिर साल 2018 में वह देश के पांचवें राष्ट्रपति के रूप में पदासीन हुए.
रामाफोसा पर लग चुके हैं महिलाओं के साथ संबंध बनाने के आरोप
66 साल के रामाफोसा पर रंगीन मिजाजी के भी आरोप लग चुके हैं. पिछले साल वह लगातार कई महिलाओं के साथ संबंधों के आरोपों को लेकर घिरे रहे. एक आरोप को उन्होंने स्वीकार भी किया. बाकी के बारे में उनका कहना था कि ये सब उन्हें बदनाम करने के लिए किया जा रहा है. अपने जिस अफेयर को उन्होंने माना, उसके बारे में कहा कि इसके बारे में उन्होंने अपनी पत्नी को बता दिया था. अन्य आरोपों का असर लम्बे समय तक नहीं रहा.
गाय से है खास लगाव
सिरिल रामाफोसा अपनी जेब में हमेशा गाय की तस्वीर रखते हैं. वह इन गायों की तस्वीर लोगों को दिखाते भी रहते हैं. रामाफोसा की सभी गायों के अपने नाम हैं. उन्होंने अपने ही फार्म में गायों के प्रजनन को बढ़ावा दिया. रामाफोसा, राजनेताओं को गिफ्ट में उच्च नस्ल की गाय देते हैं.
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