बांग्लादेश के एक शीर्ष अधिकारी ने असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) को भारत का आंतरिक मामला बताया और कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री शेख हसीना को व्यक्तिगत तौर पर आश्वासन दिया है कि एनआरसी सूची में छूटे लोगों को उनके देश वापस नहीं भेजा जाएगा.
हसीना के राजनीतिक सलाहकार एचटी इमाम ने कहा, ‘भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने व्यक्तिगत तौर पर हमारी प्रधानमंत्री को भरोसा दिलाया है कि जिन लोगों के नाम एनआरसी सूची में नहीं हैं उन्हें बांग्लादेश वापस नहीं भेजा जाएगा.’
इमाम ने हालांकि दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच की बातचीत का ब्योरा नहीं दिया लेकिन कहा, ‘भारत की ओर से हमें बार-बार आश्वस्त किया गया है कि बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता पैदा करने के लिए इस प्रकार का (वापस भेजने का) कोई कदम नहीं उठाया जाएगा. खासतौर पर जब हम (बांग्लादेश) इस वर्ष के अंत में अपने राष्ट्रीय चुनाव की ओर बढ़ रहे हैं.’
बीजेपी महासचिव राम माधव ने सितंबर में कहा था कि असम एनआरसी की अंतिम सूची में जिन लोगों के नाम नहीं हैं उन्हें उनके देश वापस भेजा जाएगा.
इमाम ने कहा कि ढाका में भारतीय उच्चायुक्त हर्षवर्द्धन ने भी बार बार हमसे यही कहा है कि इससे ड़रने की जरूरत नहीं है और हमें इसकी चिंता नहीं करनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि यह भारत का आंतरिक मामला है. हालांकि उन्होंने कहा कि भारतीय उपमहाद्वीप के 1947 में विभाजन के परिणामस्वरूप दोनों ओर बड़ी संख्या में लोगों ने कूच किया था. इमाम ने कहा, विभाजन के दौरान एक बार जब लोगों का बंटवारा हो गया तो जो लोग दोनों ओर जहां भी बस गए उस देश के नागरिक बन गए.
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