भारत और जापान के बीच सिविल न्यूक्लियर करार पर पाकिस्तानी अखबारों को उम्मीद के मुताबिक मिर्ची लगी है. भारत ने जहां विश्वास दिलाया है कि जापानी परमाणु टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल सिर्फ शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए होगा, वहीं जापान ने कहा है कि अगर भारत ने कोई परमाणु परीक्षण किया तो करार खत्म हो जाएगा. लेकिन पाकिस्तानी अखबारों को न भारत के वादे पर भरोसा है और न ही जापान की बात पर.
परमाणु करार पर चिढ़ा पाकिस्तान
रोजनामा ‘पाकिस्तान’ लिखता है भारतीय प्रधानमंत्री शांति और अमन के लाख गीत गाएं, परमाणु टेक्नोलॉजी का शांतिपूर्ण इस्तेमाल का वादा भी कबूल कर लें लेकिन अतीत का रिकॉर्ड ऐसा है कि मोदी के किसी वादे पर भरोसा नहीं किया जा सकता.
अखबार के मुताबकि भारत ने वैसे भी परमाणु अप्रसार संधि एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं. ऐसे में, भारत अगर जापान से होने वाले समझौते का पूरी तरह पालन नहीं करता है तो उसे अंतरराष्ट्रीय दबाव भी नहीं झेलना होगा.
अखबार लिखता है कि अगर जापानी टेक्नोलॉजी की मदद से भारत ने कोई एटमी परीक्षण कर डाला और अपने पड़ोसी देशों के लिए और खतरे पैदा किए तो जापान कैसे अपनी जिम्मेदारी पूरी करेगी, इसलिए जापान ने भारत की बात पर भरोसा कर उसके साथ एटमी टेक्नोलॉजी का समझौता करके बहुत बड़ी गलती की है.
अब तक पाकिस्तान को हड़प लेता भारत
‘नवा ए वक्त’ लिखता है कि इससे पहले भी भारत ने अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन से परमाणु सहयोग के समझौते कर आधुनिक और पारंपरिक हथियारों एटमी हथियारों का ढेर लगा लिया है. भारत को जंगी जुनून का शिकार बताते हुए अखबार लिखता है कि वो ऐसा सिर्फ पाकिस्तान की सुरक्षा को कमजोर करने की नीयत से कर रहा है.
आए दिन भारत पर चढ़ाई करने वाला ये अखबार लिखता है कि पाकिस्तान के पास अगर परमाणु टेक्नोलॉजी न होती तो भारत अब तक कब का उसे हड़प गया होता. नवा ए वक्त लिखता है कि भारत आज भी पाकिस्तान की संप्रभुता को तार-तार करने की नीयत रखता है और इसलिए उसने जापान से न्यूक्लियर डील की है.
दैनिक ‘दुनिया’ लिखता है कि क्षेत्र में शांति कायम करने की जिम्मेदारी भारत के कंधों पर है. अखबार के मुताबिक हो सकता है कि भारत के पास विदेशी मुद्रा भंडार के ढेर हो, उद्योग और कारोबार में वो बहुत आगे निकल गया हो, लेकिन अगर क्षेत्र में शांति नहीं होगी तो भारत अपनी एक अरब से ज्यादा की आबादी को शिक्षा, सेहत, रहने की सुविधा और खुशहाली नहीं दे पाएगा.
चीन की आपत्ति
एक्सप्रेस ने भी तल्ख शब्दों का इस्तेमाल करते हुए लिखा है कि भारत सिविल न्यूक्लियर समझौतों के जुनून में अंधा हुआ जा रहा है. अखबार लिखता है कि भारत और जापान के बीच हुए समझौते पर चीन और उसके साथ ही परमाणु अप्रसार के लिए काम करने वाली संस्थाओं ने आपत्ति जताई है.
दूसरे पाकिस्तानी अखबारों में भी भारत-जापान न्यूक्लियर करार पर चीन की प्रतिक्रिया को तवज्जो दी गई है. चीन ने उम्मीद जताई है कि भारत और जापान, क्षेत्र के देशों की आशंकाओं का सम्मान करते हुए शांति और स्थिरता के लिए ज्यादा काम करेंगे.
इसके अलावा भारत की जिस खबर की पाकिस्तान में सबसे ज्यादा चर्चा है, वो नोटबंदी. कहीं सोशल मीडिया पर पांच सौ और एक हजार के नोटों को टॉयलेट पेपर की तरह दिखाए जाने की चर्चा है तो कहीं बैंकों और एटमीएम के सामने लंबी लंबी कतारें सुर्खियां बनी हैं. ‘मशरिक’ ने खबर लगाई नोट बंद होने के बाद मंदिरों में धन की बारिश तो ‘उम्मत’ की सुर्खी थी भारत में करेंसी नोटों का सिलसिला अब जानें लेने लगा, चार की मौत.
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