पांच राज्यों के हालिया विधानसभा चुनाव के नतीजों की गूंज पाकिस्तान की मीडिया में भी सुनाई दी.
हालांकि, पाकिस्तानी उर्दू मीडिया की कई खबरों को पढ़कर लगता है कि दिन रात भारत विरोधी राग अलापने वाले पाकिस्तानी अखबारों को भारत के बारे में कितनी कम बुनियादी जानकारी है.
विधानसभा चुनावों के नतीजे आने के बाद जहां कांग्रेस के नेताओं को पंजाब के सिवाय बाकी जगहों पर जवाब देते नहीं बन रहा है, वहीं पाकिस्तानी अखबार ‘रोजनामा एक्सप्रेस’ का संपादकीय है- भारत के प्रांतीय चुनावों में कांग्रेस का बेहतर प्रदर्शन.
अखबार ने पंजाब की स्पष्ट जीत के साथ साथ गोवा और मणिपुर में कांग्रेस के सबसे बड़ी पार्टी बनने का जिक्र तफसील से किया है जबकि उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड में बीजेपी की भारी जीत को सिर्फ दो लाइनों में निपटा दिया है.
कांग्रेस का बढ़िया प्रदर्शन
अखबार कहता है कि कांग्रेस ने पांचों राज्यों में जीत दर्ज करने का बीजेपी का सपना पूरा नहीं होने दिया.
साफ जाहिर है कि अखबार उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड जैसे बड़े राज्यों की सियासी अहमियत से बेखबर है और उसके लिए बस गितनी अहम है कि कांग्रेस तीन राज्यों में कामयाब हुई है और बीजेपी दो राज्यों में.
वहीं, ‘दुनिया पाकिस्तान’ नाम के एक अखबार ने सुर्खी लगाई- प्रांतीय चुनावों में बीजेपी को झटका, कांग्रेस को बढ़त हासिल. इस अखबार का भी वही तर्क है कि कांग्रेस तीन राज्यों में जबकि बीजेपी सिर्फ दो राज्यों में सबसे आगे रही.
अखबार ने यह भी लिखा है कि नोटबंदी के बाद मोदी की लोकप्रियता गिरी है, इसलिए यूपी में उनकी पार्टी की कामयाबी पर विश्लेषक हैरान हैं और इससे चुनावों में धांधली के बीएसपी नेता मायावती के आरोपों की पुष्टि होती है.
एआरवाई चैनल की वेबसाइट ने चुनाव नतीजों को लेकर संतुलित खबर दी लेकिन उसकी रिपोर्ट में भी मायावती के इल्जामों को प्रमुखता से जगह दी गई है.
रिपोर्ट के मुताबिक मायावती ने पूछा है कि उत्तरप्रदेश में मुसलमानों के वोट भला बीजेपी को कैसे मिल गए?
पाक दुश्मन रणनीति कामयाब
वहीं ‘दुनिया न्यूज’ चैनल की वेबसाइट ने भारत के विधानसभा चुनाव नतीजों की खबर पर सनसनीखेज हेडलाइन लगाई- ‘मोदी की पाकिस्तान दुश्मन रणनीति कामयाब रही.’
रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों के चुनावों ने भारतीय राजनीति पर नरेंद्र मोदी की गिरफ्त मजबूत कर दी है.
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ऑनलाइन रिपोर्ट कहती है कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी मुखिया अमित शाह की रणनीति को कामयाब बनाने के लिए खुद नरेंद्र मोदी मैदान में उतर गए.
ये भी कि यूपी में पार्टी की जीत इसलिए भी अहम है कि अब संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा में बीजेपी को बहुमत मिल जाएगा और वह अपनी मर्जी से कानून बनाएगी.
दुनिया न्यूज के मुताबिक यूपी की जीत इस बात का भी सबूत है कि लोग मोदी की नीतियों से संतुष्ट हैं. रिपोर्ट कहती है कि चुनाव प्रचार में पाकिस्तान को अलग-थलग करने की नीतियों का खूब जोर-शोर से प्रचार किया गया.
पंजाब में कांग्रेस की जीत पर टिप्पणी की गई है कि वहां के लोग पाकिस्तान विरोधी बातों पर ध्यान नहीं देते, इसीलिए मोदी की पार्टी वहां कामयाब नहीं हो सकी. पंजाब को लेकर कहीं भी रिपोर्ट में नशे की समस्या और सत्ता विरोधी लहर जैसे स्थानीय मुद्दों का कोई जिक्र नहीं है.
इस से जाहिर होता है कि रिपोर्ट लिखने वाले को पंजाब की सियासत के बारे में कोई जानकारी नहीं है जबकि उसकी सीमाएं पाकिस्तान से मिलती हैं.
दल-बदलुओं की बल्ले-बल्ले
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वहीं ‘उर्दू पॉइंट’ वेबसाइट की खबर है- कई भारतीय राजनेताओं को विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी बदलना रास आ गया.
रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब और उत्तराखंड से लेकर उत्तर प्रदेश तक यही देखने को मिला कि नेताओं ने अपनी पार्टी छोड़ कर दूसरी पार्टियों का दामन थाम लिया और उन्हें चुनाव में जीत भी मिली है.
इसमें पूर्व क्रिकेटर और टीवी पर्सनैलिटी नवजोत सिंह सिद्धू का नाम खास तौर से लिया गया है, जो चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस में शामिल हुए.
इसके अलावा रीता बहुगुणा जोशी, स्वामी प्रसाद मौर्य और सौरभ बहुगुणा जैसे कई नामों का हवाला इस रिपोर्ट में दिया गया है.
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