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पाकिस्तान डायरी: विधानसभा चुनाव नतीजों से नरेंद्र मोदी के लिए बजी खतरे की घंटी

ज्यादातर पाकिस्तानी अखबारों ने इस मौके का इस्तेमाल एक बार फिर प्रधानमंत्री मोदी और उनकी नीतियों को निशाना बनाने के लिए किया है. इऩके संपादकीयों को पढ़ कर समझ आता है कि उन्हें भारत के बारे में कितनी कम जानकारी है

Updated On: Dec 17, 2018 09:42 AM IST

Seema Tanwar

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पाकिस्तान डायरी: विधानसभा चुनाव नतीजों से नरेंद्र मोदी के लिए बजी खतरे की घंटी

भारत के 5 राज्यों में हालिया संपन्न विधानसभा चुनावों में बीजेपी की हार की चर्चा पाकिस्तान तक में हो रही है. सभी बड़े पाकिस्तानी उर्दू अखबारों ने इस विषय पर संपीदकीय लिखे और नतीजों को आम चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए बड़ा झटका करार दिया है. पाकिस्तानी मीडिया की राय में, इन नतीजों ने कांग्रेस में नई जान फूंक दी है, जिससे वो अगले साल आम चुनाव में पूरे आत्मविश्वास के साथ उतरेगी. कुछ अखबार तो अगले आम चुनाव के बाद भारत में सत्ता परिवर्तन की भविष्यवाणी भी कर रहे हैं.

ज्यादातर पाकिस्तानी अखबारों ने इस मौके का इस्तेमाल एक बार फिर प्रधानमंत्री मोदी और उनकी नीतियों को निशाना बनाने के लिए किया है. लेकिन कई अखबारों के संपादकीयों को पढ़ कर समझ आता है कि उन्हें भारत के बारे में कितनी कम जानकारी है. लगता है चुनाव नतीजों का विश्लेषण से ज्यादा उनकी दिलचस्पी पाकिस्तानी प्रोपेगेंडा को आगे बढ़ाने में है.

पाकिस्तानी चश्मा

रोजनामा एक्सप्रेस लिखता है कि जिस भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बारे में दावे किए जाते थे कि अब उससे कोई सत्ता नहीं छीन सकेगा, वो अपने गढ़ समझे जाने वाले राज्यों में बुरी तरह से हार गई. अखबार कहता है कि 2019 में होने वाले आम चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बड़ा झटका लगा है. लेकिन रोजनामा एक्सप्रेस का संपादकीय लिखने वालों को इन विधानसभा चुनावों की कितनी कम जानकारी है, उसका पता संपादकीय में बीजेपी की हार के लिए गिनाए गए कारणों से चलता है. अखबार ने पर्यवेक्षकों के हवाले से लिखा है कि पाकिस्तान के खिलाफ ज़हर उगलना, चरमपंथ का शर्मनाक प्रदर्शन और मुसलमान दुश्मनी मोदी को ले डूबी. हालिया विधानसभा चुनावों की रिपोर्टिंग में क्या आपने कभी इन मुद्दों का जिक्र सुना था?

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बीजेपी के मजबूत गढ़ माने जाने वाले राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में हुए चुनाव में कांग्रेस को बड़ी कामयाबी मिली है (फोटो: पीटीआई)

नवा-ए-वक्त ने भी विधानसभा चुनाव नतीजों का विश्लेषण पाकिस्तानी चश्मे से किया है. अखबार के मुताबिक पर्यवेक्षकों का ख्याल है कि मोदी सरकार भारतीय आम चुनावों तक पाकिस्तान से दुश्मनी को बढ़ावा देती रहेगी ताकि इसका चुनावी फायदा हासिल कर सके लेकिन 5 राज्यों में जनता ने मोदी सरकार को नॉकआउट कर के पाकिस्तान शत्रुता पर आधारित उनके नकारात्मक एजेंडे का मुंह तोड़ जवाब दे दिया है.

अखबार लिखता है कि अगर मोदी सरकार ने पाकिस्तान के साथ दुश्मनी बढ़ाने का सिलसिला बरकार रखा और शांति का रास्ता अख्तियार नहीं किया तो भारतीय आम चुनावों में बीजेपी की हार होनी तय है. मतलब पूरे संपादकीय को पढ़ कर लगता है कि जैसे भारत का अगला चुनाव पाकिस्तान के मुद्दे पर ही लड़ा जाएगा. इस अखबार में न तो भारतीय किसानों की समस्याओं का जिक्र है और न ही युवाओं के रोजगार और आर्थिक-सामाजिक मुश्किलों का, जो शायद भारतीय मतदाता के लिए सबसे बड़े मुद्दे हैं.

बीजेपी अजेय नहीं

औसाफ लिखता है कि भारत के विधानसभा चुनावों ने नरेंद्र मोदी सरकार के लिए अगले साल होने वाले आम चुनाव से पहले खतरे की घंटी बजा दी है. अखबार कहता है कि अब जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार की अवधि पूरी होने वाली है, तो मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के नतीजों का असर आम चुनावों पर पड़ेगा. अखबार की राय है कि राहुल गांधी के युवा नेतृत्व में कांग्रेस फिर से भारत पर राज करती नजर आ रही है.

अखबार के मुताबिक 3 बड़े राज्यों में कामयाबी से कांग्रेस में नई जान आ गई है और इससे यह संदेश जाएगा कि बीजेपी अजेय नहीं है, बल्कि उसे हराया जा सकता है. अखबार कहता है कि यह सब बातें कांग्रेस के लिए अगले आम चुनावों में बेहद जरूरी रफ्तार हासिल करने में सहायक होंगी.

Pakistan Urdu Newspaper

पाकिस्तानी मीडिया और उर्दू अखबार भारत में संपन्न 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों को दोनों देशों के बीच वर्षों से चली आ रही शत्रुता के चश्मे से विश्लेषण कर रहे हैं (फोटो: रॉयटर्स)

रोजनामा दुनिया लिखता है कि जिन 5 राज्यों में चुनाव हुए, उनमें से 3 में कांग्रेस ने बीजेपी से सत्ता छीन ली है. अखबार ने मोदी सरकार पर अपने फायदे के लिए अल्पसंख्यकों को मुसीबत में डालने का आरोप लगाया है. अखबार की राय में, मोदी ने पिछले साढ़े 4 साल में जो फसल बोई है, अब वो उसी की फसल काटने को मजबूर हैं. अखबार की टिप्पणी है कि कट्टरपंथी सोच को बढ़ावा देने वालों के लिए विधानसभा चुनाव के नतीजों में बड़े सबक छिपे हैं, अगर कोई समझने की कोशिश करे तो उन्हें समझा जा सकता है.

नाकामी का सबब

रोजनामा खबरें ने विधानसभा चुनावों का जिक्र करते हुए लिखा है कि कुछ राज्यों में मोदी का बहुत असर और रसूख था, लेकिन फिर भी बीजेपी वहां अपनी सत्ता गंवा बैठी. अखबार को उम्मीद है कि जिस तरह पाकिस्तान के वोटरों ने बदलाव के हक में वोट दिया, भारत के वोटर भी ऐसा ही करेंगे. अखबार कहता है कि भारत में लोकतंत्र की जड़ें मजबूत है इसलिए मोदी ने अपनी हार मान ली और किसी तरह की धांधली का भी आरोप नहीं लगाया, लेकिन मोदी को उनकी नीतियों ने सोच में जरूर डाल दिया है. अखबार के मुताबिक भारतीय प्रधानमंत्री की कथनी और करनी का फर्क ही उनकी नाकामी का सबब है.

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