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आतंकी संगठन है आईएसआई, फिर पाक को आतंकी देश घोषित करने में देर किस बात की?

सर्जिकल स्ट्राइक ने पाकिस्तान की कलई खोली तो यूएन में सुषमा ने पाकिस्तान को बेनकाब कर डाला

Updated On: Oct 04, 2017 11:05 PM IST

Kinshuk Praval Kinshuk Praval

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आतंकी संगठन है आईएसआई, फिर पाक को आतंकी देश घोषित करने में देर किस बात की?

पाकिस्तान पर अब तक का सबसे संगीन आरोप उस देश ने लगाया है जिसके अरबों डॉलरों की मुफ्तखोरी ने पाकिस्तान को परमाणु बम बनाने की हैसियत दे डाली. पहली बार अमेरिका ने माना कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की आतंकी संगठनों के साथ सांठगांठ है. अमेरिकी मरीन कॉर्प्स के जनरल जोसेफ डनफोर्ड ने कहा कि आईएसआई और आतंकी संगठनों में न सिर्फ गहरे रिश्ते हैं बल्कि आईएसआई की अपनी विदेश नीति भी है. जोसेफ डनफोर्ड ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टॉफ के चेयरमैन भी हैं.

General Joseph Dunford, Chairman of the Joint Chiefs of Staff, testifies before the Senate Armed Services Committee on Capitol Hill in Washington, U.S. September 26, 2017. REUTERS/Aaron P. Bernstein - RC1654B14D40

अमेरिकी विदेश मंत्री जिम मैटिस ने भी माना कि आईएसआई की अपनी विदेश नीति पर पाकिस्तान सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है. उन्होंने साफ कहा कि पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को अमेरिका ने अपनी डिवाइस के जरिए देखा है. ऐसे देशों को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा जो कि आतंकी समूहों को पनाह दे रहे हों.

व्हाइट हाउस में ट्रंप प्रशासन के आने के बाद पाकिस्तान के लिए झटकों का सिलसिला जारी है. इससे पहले अमेरिका के रक्षा विभाग के एक पूर्व अधिकारी माइकल रूबिन ने भी पाकिस्तान को आतंकी संगठनों को प्रायोजित करने वाला देश बताया था. रूबिन ने कहा था कि पाकिस्तान, कतर और तुर्की को आतंकवाद को स्पॉन्सर करने वाला देश घोषित करने का समय आ चुका है.

वॉशिंगटन एक्जामिनर में लिखे ओपन एडिटोरियल में उन्होंने कहा था कि आईएसआई लगातार तालिबान को मदद दे रहा है जबकि पाकिस्तानी सरकार जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों को पनाह दे रही है.

INDIAN-ARMY-PTI

जरूरत पड़ी तो पाक में आतंकी ठिकानों पर हमला करेगा अमेरिका

दरअसल पाकिस्तान पर अमेरिकी रुख में आए बदलाव की बड़ी वजह भारत की सर्जिकल स्ट्राइक है. आतंकवादी हमले का करारा जवाब देने वाली सर्जिकल स्ट्राइक ने पाकिस्तान को दुनिया के सामने बेनकाब कर दिया. पाकिस्तान को वो दर्द दिया जिसे न वो दिखा सका और न ही छुपा सका. लेकिन दुनिया के सामने ये साबित हो गया कि उसकी जमीन पर किस तरह से आतंकियों की फैक्ट्री तैयार की जा रही थी.

अमेरिका ने भी भारत की सर्जिकल स्ट्राइक का समर्थन किया था और पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर फटकार लगाई थी. अमेरिका के टेररिज्म और फाइनेंशियल इंटेलिजेंस के अधिकारी एडम जुबिन ने कहा था कि पाकिस्तान के भीतर पल रहे आतंकी संगठनों के खिलाफ आईएसआई कोई कार्रवाई नहीं होने देती है. आईएसआई की वजह से ही पाकिस्तान में आतंकी संगठनों को पनाह मिली हुई है. उन्होंने सख्त रुख अपनाते हुए पाकिस्तान को ताकीद किया था कि जरूरत पड़ने पर अमेरिका पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को खत्म करने से नहीं हिचकेगा.

Sushma Swaraj @ UN

जबकि इसके उलट पाकिस्तान लगातार खुद को आतंकवाद से पीड़ित देश बताता रहा तो अमेरिका को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में परमाणु राष्ट्र होने की वजह से ब्लैकमेल भी करता रहा. लेकिन भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इस बार संयुक्त राष्ट्र में जिस तरह पाकिस्तान की असली फितरत की धज्जियां उड़ाईं उससे दुनिया का ध्यान पाकिस्तान के असल चेहरे की तरफ गया. सुषमा ने कहा था कि आजादी के बाद भारत ने इंजीनयर, डॉक्टर और वैज्ञानिक तैयार किए तो पाकिस्तान ने आतंकवादी तैयार किए. पाकिस्तान के पास भारत के एक भी आरोप का जवाब नहीं था. दुनिया भी ये जान चुकी है कि जिस देश में दुनिया का सबसे दुर्दांत और मोस्टवांटेड आतंकी ओसामा छिपा रहा हो वो मुल्क अमेरिका के लिए सगा कैसे हो सकता है?

U.S. - Pakistan Clean Energy Business Opportunities Conference December 1-2, 2015.

अपने ही जाल में फंसा पाक

लेकिन अब खुद पाकिस्तान अपने ही बनाए जाल में पूरी तरह से फंस चुका है. दुनिया के सामने खुद को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सहयोगी बताने की दलीलें खारिज हो गई है. अमेरिका पाकिस्तान और पीओके में लगे आतंकी कैंपों के चप्पे-चप्पे को सैटेलाइट के जरिए खंगाल चुका है. इस बार अमेरिका पुरानी गलती नहीं दोहराएगा. वैसे भी चीन के साथ पाकिस्तान की बढ़ती नज़दीकी ने अमेरिका को हाथ झटकने का मौका दे दिया है. अब अमेरिका एशिया मे भारत के साथ सामरिक और आर्थिक साझेदारी बढ़ा कर चीन के साथ सत्ता का संतुलन बनाना चाह रहा है.

अमेरिका की बड़ी चिंता पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को लेकर है. पाक के परमाणु हथियारों के आतंकी संगठनों के हाथ लगने का खतरा अमेरिका कई बार जता चुका है. ऐसे में अमेरिका की भविष्य की रणनीति अब यही होनी चाहिए कि वो जल्द ही पाकिस्तान को आतंकवाद प्रायोजित करने वाले देशों की लिस्ट में शामिल कर उसके परमाणु हथियारों को अंतरराष्ट्रीय निगरानी के हवाले कर दे.

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