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राफेल पर अब फ्रांस में विवाद, सरकार और दसॉ से डील की मांगी गई डीटेल

फ्रेंच न्यूज़ वेबसाइट में छपी रिपोर्ट के अनुसार एनजीओ की दर्ज शिकायत में राफेल डील में भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग का शक जाहिर किया गया है. एनजीओ ने उम्मीद जताई है कि राष्ट्रीय पब्लिक प्रॉसीक्यूटर ऑफिस इसकी जांच करेगी और जल्द ही किसी फैसले पर पहुंचेगी

Updated On: Nov 24, 2018 03:39 PM IST

FP Staff

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राफेल पर अब फ्रांस में विवाद, सरकार और दसॉ से डील की मांगी गई डीटेल

फ्रांस के एक भ्रष्टाचार निरोधी एनजीओ ने भारत के साथ हुई राफेल डील को लेकर देश के वित्तीय मामलों के प्रॉसीक्यूटर ऑफिस में एक शिकायत दर्ज कराई है और इस मामले में जांच किए जाने की मांग की है.

शेरपा नाम की यह एनजीओ आर्थिक अपराधों के खिलाफ कानूनी लड़ती है. एनजीओ ने अपनी शिकायत में पूछा है कि किन परिस्थितियों में 36 फाइटर जेट के लिए भारत के साथ समझौता हुआ और अनिल अंबानी की कंपनी को डील के लिए चुनने के पीछे क्या कारण था?

फ्रेंच न्यूज़ वेबसाइट 'मीडियापार्ट' में छपी रिपोर्ट के अनुसार एनजीओ द्वारा दर्ज की गई शिकायत में राफेल डील में भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग का शक जाहिर किया गया है. एनजीओ ने उम्मीद जताई है कि राष्ट्रीय पब्लिक प्रॉसीक्यूटर ऑफिस इसकी जांच करेगी और जल्द ही किसी फैसले पर पहुंचेगी.

यह शिकायत अक्टूबर के अंतिम महीने में की गई थी, लेकिन अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि जांच शुरू हुई है या नहीं. राफेल डील का मुद्दा उस वक्त काफी विवादों में आ गया, जब भारत में विपक्षी पार्टियों ने सरकार के ऊपर भ्रष्टाचार का आरोप लगाना शुरू कर दिया. कांग्रेस पार्टी ने सरकार से सवाल पूछा कि अनिल अंबानी की कंपनी को ऑफसेट पार्टनर के रूप में चुनने का क्या कारण था. हालांकि दसॉ और सरकार दोनों ने आरोप को निराधार बताकर खारिज कर दिया.

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बता दें कि राफेल डील 2016 में की गई थी. इस मामले ने उस वक्त तूल पकड़ लिया था जब फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने कहा था कि उनके पास अनिल अंबानी की कंपनी को चुनने के अलावा कोई विकल्प नहीं था.

वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और वकील प्रशांत भूषण द्वारा दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से राफेल जेट की खरीद मूल्य से जुड़ी हुई सारी जानकारी 10 दिन के अंदर सौंपने का आदेश दिया था.

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