यूं तो भारत में भी पीरियड के दौरान महिलाओं को अशुद्ध समझा जाता है, लेकिन नेपाल में पीरियड के दौरान महिलाओं को असहनीय स्थिति से गुजरना पड़ता है. पीरियड में अशुद्ध समझी जानी वाली महिलाओं को इस पूरी अवधि में घर से बाहर बने एक बिना खिड़की वाली झोपड़ी में रहना होता है, वहीं दूर-दूर से उन्हें खाना-पानी सबकुछ दिया जाता है. इसे चौपदी कहते हैं. नेपाल में इस रीति को गैर-कानूनी घोषित किया जा चुका है, लेकिन फिर भी लोग इसे मानते हैं.
ऐसी ही स्थिति में नेपाल में एक 35 साल की महिला और उसके दो बच्चों की मौत हो गई. रात में सोते हुए उनकी झोपड़ी में आग लग गई थी, जिसकी वजह से धुएं में दम घुटकर उनकी मौत हो गई.
न्यूज18 की खबर के मुताबिक, घटना पश्चिमी बजूरा जिले की है, जहां अंबा बोहारा नाम की महिला मंगलवार को अपने 12 और नौ साल के बेटे के साथ ठंड भरी रात से बचने लिए अपनी झोपड़ी में आग सुलगाकर सो गई थी, इस दौरान वहां आग लग गई और धुएं से उनकी मौत हो गई.
लोकल पुलिस चीफ उद्धव सिंह भट ने बताया कि जब महिला की सास ने अगले दिन झोपड़ी खोली तो तीनों मृत पड़े थे. उनकी चादर भी जल गई थी और बोहारा के पैर भी जले हुए थे. उन्होंने कहा कि पुलिस पोस्टमार्टम की रिपोर्ट का इंतजार कर रही है ताकि मौत के कारणों का पता चल सके लेकिन उसे विश्वास है कि उनकी मौत दम घुटने से हुई है.
बता दें कि नेपाल में महिलाओं को माहवारी के दौरान घर से बाहर रहने को मजबूर किया जाता है. इस प्रथा को चौपदी कहते हैं. इस प्रथा को 2005 में ही गैर-कानूनी घोषित कर दिया गया था. पिछले साल ही वहां इस प्रथा को थोपने वालों पर तीन महीने की जेल और 3,000 के जुर्माने की सजा लागू की गई थी. लेकिन अभी भी कुछ इलाकों में लोग इसका पालन करते हैं.
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